Hi, I am on Matrubharti मेरा YouTube चैनल मेरी भाषा मेरी शैली Instagram - meribhashamerishaily (Blog. meribhashamerishaily.blogspot.com) ........ twitter account, @RaiJyotiprakash ........ facebook... jyoti prakash rai हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है और हिंदी हमारे देश की पहचान है, इसलिए " गर्व से कहो हम भारतीय हैं "

मिल गया है यार मुझको घुंघरुओं की झंकार वाला
यार अपनो के लिए जीत कर भी हार वाला
देता है खुद को कष्ट लेकिन दूसरों की फिक्र है
मुझको बनाया भाग्यशाली यार मेरा प्यार वाला

ज्योति प्रकाश राय❤

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पृथ्वी पर जितने भी जीव हैं चाहे वह किसी भी रूप में हो सब प्रकृति के प्रभाव में ही जीते और मरते हैं। प्रकृति हमारे लिए जितना लाभदायक है उससे कहीं ज्यादा हानिकारक भी है। कहने का तात्पर्य यह है कि हम प्रकृति का सदुपयोग करेंगे तो लाभ मिलेगा और दुरुपयोग करेंगे तो हानि स्वभाविक है। जैसे रास्ते में जा रहे किसी कुत्ते को पत्थर मारने पर वह काटने दौड़ता है उसी प्रकार प्रकृति से छेड़-छाड़ करने पर हमें स्वयं ही दुष्प्रभाव झेलना पड़ता है।

इस युग में यदि किसी का दोहन हो रहा है तो वह एक मात्र प्रकृति है। चाहे वह पेड़ों को काटने से हो या पानी का व्यर्थ बहाव हो या वनस्पतियों का जंगलों का आग के चपेट में आ जाना। सब का जिम्मेदार केवल एक मात्र मनुष्य ही है, जिसने अपने स्वार्थ के लिए अन्य जीव - जंतुओं की परवाह किए बिना प्रकृति का जरूरत से अधिक उपयोग किया है। जिसके फल स्वरूप मौसम में परिवर्तन यानी समय से पहले बरसात समय से पहले या समय के बाद सर्दी व गर्मी। इसके बाद भी मनुष्य तरह - तरह की तकनीक का इस्तेमाल कर के वायु मंडल में सेटेलाईट छोड़ना बड़ी-बड़ी मिसाइलें बनाना ईंधन का अत्यधिक उपयोग करना यह सब हवाओं को प्रदूषण युक्त करने के प्रमुख कारण हैं।
और प्रदूषण बढ़ते ही रोगों की शक्तियाँ भी प्रबल होने लगती हैं जिसका सीधा असर मनुष्यों पर तो पड़ता ही है साथ - साथ पशु - पक्षियों को भी झेलना पड़ता है।
आज मनुष्य हकीकत से ज्यादा दिखावे पर निर्भर हो गया है जिसका परिणाम यह भी है कि प्रकृति की ओर ध्यान देने की फुरसत ही नही मिल रही है, सब अपने आप को ही सँवारने में इतने व्यस्त हैं कि प्रकृति की तरफ किसी का ध्यान ही नही जा रहा है।
पौधरोपण के लिए हमारी सरकारें हमेशा प्रयासरत रहती हैं चाहे वो केन्द्र सरकार हो या राज्य सरकार लेकिन जिम्मेदारी उन लोगों की बनती है जो ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यरत हैं। उनके साथ - साथ हर व्यक्ति को चाहिए कि वो अपने बगीचों में, खेतों में या अन्य जगहों पर पेड़ लगाए और उसको सिंचित कर आक्सीजन में बढ़ोत्तरी करने के काबिल बनाए।
लेकिन नही उन्हें तो लगता है कि रुपया है तो सब कुछ संभव है यह सोच प्रकृति पर प्रहार ही तो है जिसका निशाना कभी अचूक नही हो सकता यह सोच ही प्रकृति को कमजोर बना रही है जिसका फल स्वयं मनुष्यों को ही भोगना पड़ रहा है।
हमें बचपन में पढ़ाया जाता था की " वृक्ष लगाओ पानी दो, पत्र लिखो तुम नानी को " इसका अर्थ केवल मनोरंजन से नही था इसका अर्थ यह भी था कि जिस कागज पर तुम लिखोगे वो पेड़ काटकर ही बनाए जाते हैं इसलिए पेड़ लगाना भी उतना ही आवश्यक है जितना की पत्र लिखना। किंतु आज के समय में मोबाईल फोन पत्रों का सिलसिला तो कम कर ही दिया है लेकिन इसके रेडियेसन का असर भी सीधे प्रकृति पर और प्रकृति के जरिये सभी जीवों पर गलत प्रभाव डाल रहा है।

धन्यवाद!

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गुड़गांव

एक बार फिर जिंदगी छाँव तक ले आई
ये उम्मीद बीच लहरों से नाव तक ले आई

सुना था उनको चलाने वाली भी जिंदगी थी
मै फिसला तो ये जिंदगी पाँव तक ले आई

छोड़ कर शहर एक दम से थम सा गया था
फिर मेरी जिंदगी मुझे मेरे गाँव तक ले आई

सिलसिला ता-उम्र चलता रहेगा लेखन का
भले ही जिंदगी अभी गुड़गांव तक ले आई

ज्योति प्रकाश राय

-Jyoti Prakash Rai

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आज दीन दुखिया भी है मगन मेरे राम जी
क्या पता क्यूँ लग गई है लगन मेरे राम जी

है बहुत मन मोहिनी बाल लीलाएं आपकी
अदभुत छवि रोटी लिए नगन मेरे राम जी

वर्षों से था प्रतीक्षारत आज धन्य धन्य है
माँ अहिल्या का शापित बदन मेरे राम जी

मिथिला नगर की हर गली लालायित हो गई
जब से पड़े जनक पुर में चरन मेरे राम जी

इक ओर छीर सागर हैं इक ओर भूमिजा हैं
दोनों से प्रेम जोड़ते यह नयन मेरे राम जी

है यहाँ किसको पता होना है क्या भोर में
सुबह वन जायेंगे सिय लखन मेरे राम जी

विधि का विधान है यही यह आप ही की देन है
आप ही में है समाहित चौदह भुवन मेरे राम जी

आपने ही था रचा लंका विनाश का समय
बस इसीलिए हुआ सीता हरन मेरे राम जी

हैं बहुत ही भाव के भूखे दिखे शबरी के घर
खाये जूठे बेर भी होकर मगन मेरे राम जी

हनु सुग्रीव अंगद आप में बालि हंता आप हैं
हैं संहारक मेघ रावन कुंभकरन मेरे राम जी

जयघोष करता है जहाँ आज अयोध्या नाथ की
यह ज्योति करता बार बार नमन मेरे राम जी

ज्योति प्रकाश राय
भदोही उत्तर प्रदेश

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मै तेरे शहर में आ गया तुमको खबर हुई है क्या
रंग आसमां पर छा गया तुमको खबर हुई है क्या

वो जो तेरे साथ था उस दिन मुझे मिला वहा
उसकी नजर में और है तुमको खबर हुई है क्या

छाया है क्यूँ इतना अंधेरा आज तेरे शहर में
लगता है उसके गाँव में जल्दी सहर हुई है क्या

है सभी के पास दौलत फिर भी परेशां हैं सब
शायद तेरी गली में ही कुछ दर-ब-दर हुई है क्या

ज्योति प्रकाश राय
भदोही उत्तर प्रदेश

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नए वर्ष का है अभिनंदन
नव दुर्गा का पूजन वंदन
आओ मिलकर साथ में बोलें
जय जय जय कौशल्या नंदन

सुखी रहे यह सारी जनता
सब के तुम ही कर्ता धर्ता
तुम्ही प्रफुल्लित तुम ही क्रंदन
जय जय जय कौशल्या नंदन

नए बीज घर - घर आयेंगे
सभी कृषक को हर्षायेंगे
खुशियाँ बिखरे हर घर आँगन
जय जय जय कौशल्या नंदन

नव किसलय की नई तरंगे
तरु पल्लव में हैं नई उमंगे
भरत भूमि का मस्तक चंदन
जय जय जय कौशल्या नंदन

नवरात्री की ज्योति जलेगी
सारी विपदा पल में टलेगी
बाबा भैरव अलख निरंजन
जय जय जय कौशल्या नंदन

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जल ही जीवन है ( जल नही जाना तो जल जाना)

सूखा

बीति गयल होली कै दिनवा
फागुन बीतल जाइ रहे
भगवान बचावइ सब कै जिनगी
गृष्म काल नियराइ रहे

पिछले बरस क बात सोचि के
अँखिया से पानी छलकत बा
जह तह अबहीं तालाब कुँआ में
रचि - रचि पानी झलकत बा

फिर से कुछ दिन में ओइसइ
संकट के बादल छाइ रहे
भगवान बचावइ सब कै जिनगी
गृष्म काल नियराइ रहे

ठाकुर क इनारा सूखा बा
सरजू क तलबवा बंजर जइसे
हे ईश्वर मा र जिनि पानी बिन
लगत करेजवा खंजर जइसे

सब जीव जन्तु के मृत्यू क
आरोपी तोहइ ठहराइ रहे
अब तुही बचाव सब कै जिनगी
गृष्म काल नियराइ रहे

हाथ जोरि के ज्योति पुकारत
विनती सुनि ल हे स्वामी
सूखा मति करिह तालाब कुँआ
जीवन के संवरिह हे स्वामी

खग मृग अउ मनई खातिर
हम आज तोहइ गोहराइ रहे
भगवान बचाव सब कै
जिनगी गृष्म काल नियराइ रहे

ज्योति प्रकाश राय
भदोही उत्तर प्रदेश

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रुपिया नाही कमाइत

सारी दुनियादारी हमरे ऊपर
घर क जिम्मेदारी हमरे ऊपर
तबउ जिम्मेदार नाही कहाईत
काहे से की रुपिया नाही कमाइत

खाई न गुटखा नाही पान सुपारी
लेई न दारू बीयर न महुआ तारी
हम बढि़ - चढ़ि के नाही बतियाइत
काहे से की रुपिया नाही कमाइत

गाय भैंस अउ खेती बारी हम देखी
कूड़ा कचरा गोबर माटी हम फेकी
कौनउ काम से तनिकउ नाही लजाइत
काहे से की रुपिया नाही कमाइत

देखि के लोगवा हैरान बहुत बा
काहे की हमरे अंदर जान बहुत बा
तबउ घर में इज्जत नाही पाइत
काहे से की रुपिया नाही कमाइत

देखि लिहा हम के बा कइसन
ठीक बा सब जइसन बा तइसन
ज्योति हई हम नाही बुझाइत
संघर्ष से पीछे हम नाही पराइत
काहे से की रुपिया नाही कमाइत

ज्योति प्रकाश राय
भदोही उत्तर प्रदेश

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हजारों में मोहब्बत के वो तारे तीन लगते हैं
हवाएं साथ ना हो जब नजारे हीन लगते हैं
ये कैसी आग है जो सब जला कर राख करती है
जो तुम ना हो संग मेरे तो सब गमगीन लगते हैं

ज्योति प्रकाश राय
भदोही

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जिंदगी के सभी पल संवारेंगे हम
तुम रहोगे कहीं भी पुकारेंगे हम
हाथ को हाथ से एक कर दो प्रिये
संग जीवन को अपने गुजारेंगे हम

ज्योति प्रकाश राय
भदोही, उत्तर प्रदेश

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