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साथ दिवाना हूँ मैं-थाम लूँगा तुमको महज़ लचीले मृदंग से , भटके तुम हो-राह दिखलाऊंगा मैं तुम्हारे मंजिल की । साथ चलना होगा मेरे-पथिक बन कर ही सही , देश की ख़ातिर-साथ निभाना होगा मेरा दोस्त बन कर ही सही । -Kailash Jangra
Don't compare youelrself with your demerites , sometimes seeing of merites ownself , took place important role in your life , and give a new way to you . Hesitate to speak false , don't hesitate to speak true . -Kailash Jangra
ख़ोज जिन ख्वाबों में खोया हूँ मैं , उनका कोई दर्पण नहीं । जिस बदन का बना हूँ मैंं , उसका कोई मोल नहीं ।। जिस प्रेम की ख़ोज में हूँ मैं , उसका कोई अंत नहीं । जिस ईश्वर की ख़ोज में हूँ मैं , उसका कोई नाम नहीं ।। -Kailash Jangra
भटकते रास्ते बावरा हो रहा यूँ ही, यौवन के उन्माद से तू । यत्न किए लेकिन, नादान भटक गया मूढ़ जग में तू ।। प्रासाद तू समझता, खंडहर है वह। कोई प्रत्याशा न कर, तेरे नीड़ विनाश की चंचलता है यह।। अच्छा है बेसुध होना, इतना नहीं कि राह भटकना । भटके हो जिस कारण तुम, वह जड़ उखाड़ना ।। थाम लेना पग के लचीले वेग अपने, महज़ दूरी वास्ते । दूरी यही अहसास हो तुम्हें, भटके किसी और के वास्ते ।। -Kailash Jangra
वक़्त की रफ़्तार के साथ, तनिक श्वेत मन के साथ। चलता जा रहा तू, काया की माया के साथ।। पात्र तू, अलौकिक संसार में फंसा है। नि:शेष नमित है तू, इस माया की अंधड़ से।। क्षण भी न गंवा तू, निकल फ़रिश्ता बन कर। बाबे-गुनह समाप्त होंगे, एजाजे-सुखन बनता, वक़्त की रफ़्तार के साथ ।। -Kailash Jangra
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