Hey, I am on Matrubharti!

मैं तो खड़ी हूं वही की वही !
अगर पीछे मुड़ सको तो बात कर लेना।

छुपा के रखे है तेरे यादों के रंग।
अगर पीछे मुड़ सको तो ले जाना।

तेरे आने का एहसास बांधा है।
अगर पीछे मुड़ सको तो खोल जाना।

तेरी तो आदत है आना और जाना।
मुझे यही आदत तो छोड़ जाना है।

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जब शब्द मुरझाते जाते हैं।
तब भाव सुख जाते हैं।

उन एहसासों का कोई,
मोल नहीं होता जीवन में।

शब्द सारे व्यर्थ हो रहे हैं।
अब मौन हो जाते हैं।

पीड़ा पढ़ी जाए तो मन से,
मौन समर्थ हो जाता हैं।

मार पडे मौन कि जीवन,
स्तब्ध हो जाता है।

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चाहतें अलग कब थी हमारी।
हसरतें छुपी कब थी हमारी।

तेरा साथ हो तो सांसों की चाहत कब थी!
यूं ही राह में एक दुनिया बसा ली थी हमने।

छोटी-छोटी खुशियों की लकीरे बना ली थी हमने।
खोजती रहती हूं उसे चेहरे को और ।
ढलती शाम में छुपा लेती हूं।

ऐहसासो का गहरा समंदर,
इन आंखों में समां लेती हूं ।

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चलो अब चल निकलते हैं।
सारी दुनिया में प्यासे सभी है।
राधा भी रही आधी अधूरी।
मीरा ने खाया अपना राज पाट।
प्यास सबकी कहां पूरी होती है यहां।

इंतजार करना अपने बस की बात नहीं।
राधा ने तो छोड़ दिया था अपना अस्तित्व ।
साथ दिया रुक्मणी का तो छोड़ दी बांसुरी ।
तु पल पल तड़पता था तो क्यों हम फंसे ।
इन बेकार की बातों में।

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उसी छबी को बनाया हमने खुदा।
खुदा को भी हमने समझाया।

हर आहट पर नेकी बिछाई हमने।
लफ्जों में एक नया सुर छेड़ा हमने।

नई सुबह का नया सुरज देखा हमने।
पल पल पुरानी यादों को संजोया हमने।

रास्ता नया मंजिल नई सोच भी नई।
वेदना तो अभी भी खडी है, तेरी राह में।

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तेरी हर एक बात के खिलाफ खड़ी हूं मैं।
तेरी हर नाराजगी के खिलाफ खड़ी हूं मैं।

तेरे हर सवालों पर खड़ी हूं मैं।
झुकना तो मेरी फितरत में आया ही नहीं।

नाजो से नहीं आंसुओं पे पाली हूं मैं।
हर ठोकर पर खरी उतरी हूं मैं।

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