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......जो बह रहा था भाव मन के अंदर,
उसे दिशा देने का काम तुमने किया है।
कागज कलम तो कितने जमाने से थे,
पर,
सही मायनों में ,
जज्बातो को बयां करना तुम्हे देखकर सुझ रहा है।

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..... जब तुम्हारे अंदर के प्रेम भाव को समझा ही न गया हो,
तब तुम बन जाते हो गहन तत्वज्ञानी.... हर बात का अंत और उसकी अंतिम परिभाषा को परिभाषित करने लगते हो।
सब शून्य है यह हर कोई जानता है पर उसे महसूस करने के लिए तुम्हे टूटना पड़ता है।
r@hul.

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.....उम्र के हर पड़ाव पर हम सब अकेले होते है।हमारी त्रासदी का मूल्य केवल हम ही जानते है।हम क्या महसूस क्या करते है ,यह औरो के लिए केवल बाते है।

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....वास्तविकता में जो चीज हमारे आंसूओ का कारण बनती है,
वही हमारा मोह है। फिर चाहे किसी चीज को पाने की चाह हो या किसी के द्वारा ठुकराया जाना ...मन के मुताबिक बात न होने पर हमारी असली कीमत समझ आती है।

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......इंसान का वक्त अगर सही न हो तो ,
अपने भी मुंह फेर लेते है।

......जब कोई किसी को ,किसी आभासी जगत में ब्लॉक कर देता है,
तो असलियत में कोई उस व्यक्ति का विश्वास खो देता है।