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करना हमें खुशी देता है , आनन्द देता है , दु:ख देता है , विषाद देता है , पश्चाताप देता है "मगर ! जीवन में होना तय है | " यह अटल सत्य है |
मुझसे बड़ा बैरी मेरा कोई नही मुझे मुझसे बचा के रखना , जो मै चाहूँ , माँगू कभी न देना जो तू चाहे , चाहे देना वही देना | अंतिम 😭🙏 अरदास
अक्सर भीतर कोई धिक्कार कर कहता हो जैसे जिस शब्द को स्वयं न जिया उसे प्रकट करना व्यर्थ है | तभी बोल पड़ती हूँ मैं ! प्रश्नात्मक जो जिया नही तो शब्द कैसे जाग रहे हैं और फिर प्रश्न अशान्ति की गोद मे बैठ जाता है अनिश्चित पश्चाताप लेकर |
पूरा जगत गुरु तत्व से पूर्ण है | गुरु अर्थात ग्रहण करना जो बात समझ आ जाये उसे स्वीकार कर आगे बढ़ना यह जीवन में अनंत है मगर जिसके सम्मुख बैठकर मन शान्त हो जाये वही परमगुरु द्वार है वही जो सबके भीतर अप्रकट में विराजमान है | गुरु पूर्णिमा की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 🙏💐 हम सभी को सतगुरूदेव का आशीष प्राप्त हो |
धर्म से सुदृढ़ , संयमित , सफल सुशासित राजनीति हो सकती है मगर ! राजनीति से धर्म नही |
है दोष मुझमें अनगिनत मगर ! दोषो में मै नही !!
जिसकी हद जितनी उसकी दुनिया बस उतनी , नाहक गिला -शिकवा , कमी ||
-- Mohan Dhama https://video.matrubharti.com/111883939/trending-video
दुनिया सुख - दुःख , मुँख पढ़ती है केवल एक माँ है जो संतान के भीतर की उदासी पढ़ती है | -Ruchi Dixit
है मुझमें तो बताता क्यों नही ? देखना है तुझे अब दिखाता क्यों नही !! दूर जो कभी गया ही नही पास आने की इच्छा क्यों जगाता रहा | है मुझमे जो है तेरी मर्जी , मर्ज बढ़ाता- घटाता रहा | दिखाता है बदल -बदल कर तश्वीरों को आखिर क्या जताता बताता रहा | तश्वीर के साथ हर दिन ढलती रही आँसुँओं में मगर ! अब तक समझ न पाई हूँ तू क्यों ? क्या ? समझाता रहा ...
किसी के जीवन को बेचने का अधिकार किसी को कैसे मिल सकता है | कारोबार उसी चीज का हो सकता है जो हमारे द्वारा निर्मित हो , निर्जीव वस्तुओं का | क्या किसी जीव को हम बना सकते है | जब हम निर्माणक नही तो हमें खत्म करने का अधिकार किसने दिया | निरीह पशु बलात बेच कर मारे काटे जा रहे है | उनकी हत्या का दोषी पूरा समाज , राष्ट्र और विश्व है | एक माँ अपने बच्चे की पीड़ा बर्दाश्त नही कर सकती हत्या क्या सहन कर लेगी ? उस माँ से भय किसी को क्यों नही लगता जिसकी एक कुपित दृष्टि मात्र से सकल विनाश निश्चित है |
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