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तूने जो ना कहा मैं वो सुनता रहा खामखां बेवजह ख्वाब बुनता रहा। जाना जब से मांगी तेरी इक नजर इस शहर में ना अपना ठिकाना रहा। तुझको जानता रहा खुद को भूलता रहा खामखां बेवजह ख्वाब बुनता रहा। क्या मोहब्बत नहीं रही ? हमें इजाजत नहीं रही। फिर भी है मंगा रब से सदा। आज भी तुझको चाहते हैं क्यों तेरी गलियों में आते हैं? तू ही बता कैसे दूं तुझको बता। जाने क्यूं हम हैं ये करते मगर? तू मिले ना मिले रहे तेरे ही सनम । अपनी चाहत को में, यूं ही करता रहा। खामखां बेवजह ख्वाब बुनता रहा। सृष्टि तिवाड़ी ‘शान'
Jay hind
Ek gall sunte ja tu Tere bina na kujh hor nhi chaida h mennu Dil ch tu te saah ch tu Hor ki dassa me tennu Tu hi jind e or saddi jaan v tu Ek dil se dil ki baat me karu Jad bulae bula na tu Saamne hi khadi milangi tenu Aur mn kare kadhi saath jindadi guzaran da Banke aa jaungi teri sada nal rehva nu Srishti Tiwari - srishti tiwari
लोग प्यार में अक्सर धोखा खा जाते हैं। बेवफाओं से वफ़ा कर बदले में, ज़ख्म वफ़ादारों को दे जाते हैं। सृष्टि तिवारी ‘शान' - srishti tiwari
घर में घुसकर मारा कैसे तूने सोचा ऐ पाकिस्तान ? कि हमारे भाइयों का लहू बहा कर बनाएगा कश्मीर को हिस्सा ए आतंकिस्तान । देख आज वापस तेरे घर में घुसकर मार आई सेना ए हिन्दुस्तान । जहां पर खाने और पानी के पड़ गए लाले पर आतंक चढ़ा परवान । कश्मीर लेना चाहते पहले झांको तुम अपने गिरेबान। सावधान पाकिस्तान वरना बन जाओगे भिखारिस्तान। 48 में अबोध बालक, 65 में छोटा बच्चा और 99 में समझा किशोर । अब भी अक्ल न आई तो तेरी नस-नस देंगे निचोड़ । और सुन तुझे तेरे दोस्त चीन पर था न बड़ा गुरूर । मेड इन चाइना तकनीक ने ही उतारा तेरा फितूर। पहलगाम हमले के बाद हर हिंदुस्तानी का दिमाग बन गया था तंदूर । जिसे आज शांति मिली वजह बना ऑपरेशन सिंदूर । मोदी जी आप हो नं वन सनातनी । शोक उठाने के बाद मार गिराए 90 आतंकिस्तानी । हमारी तीनों सेनाओं ने मिलकर मचाई खूब खलबली । जिससे साहनी उसकी गली गली । जय हिंद जय हिंद की सेना बोले गर्वित होकर ’शान'। ना हिंदू ना मुसलमान देख एक है हिंदुस्तान हम सब एक हैं संपूर्ण हैं अखण्ड है हिंदुस्तान। सृष्टि तिवारी शान
तिरंगे में लिपटा हुआ मैं जो चौखट पर तेरी आऊं बस इतना मैं चाहूं कि माँ भारती का बेटा कहलाऊं मेरी तमन्ना है बस यही तुम मुझको सदा याद रखना बस इतना है तुमसे कहना बस इतना है तुमसे कहना कभी याद मेरी जो आए इस वर्दी को तू देख लेना अगर मन हो कभी मिलने का तो वर्दी में तू ही मुझे ढूंढ लेना मैं मिलूं या ना मिलूं तुम मुझको महसूस करना बस इतना है तुमसे कहना बस इतना है तुमसे कहना सृष्टि तिवारी शान
शिव की शक्ति संसार मुझे है कहे मां पर मैं तो करती शिव की भक्ति मुझमें है शिव, शिवमय हूं मैं मै तो हूं बस शिव की शक्ति। पिछले जन्म पिता ने ठुकराया जिसे मैं वो ही शिव की अर्द्धांगिनी सती। पर इस बार जन्मी उनके अनन्य भक्त के घर बनकर पर्वत राज पुत्री पार्वती। मांगा वरदान में मैंने उन्हें जिनकी कथा थी मैं मां से सुनती। आज उसी दिन पाने चली आपको जिस दिन दक्ष के अहं के कारण भस्म बनी थी सती। जिस दिन हुआ बिछोह हमारा आज ही है वो रात्रि । बस एक ही वर चाहे हम कि बने हम हर जन्म आपकी पात्रि । संसार मुझे है कहे मां पर मैं तो करती शिव की भक्ति मुझमें है शिव, शिवमय हूं मैं मै तो हूं बस शिव की शक्ति। सृष्टि तिवाड़ी
अधूरी कितना आसान है किसी का हो जाना। मुश्किल है किसी का होकर बस उसी का रह जाना। हमने तो इस दो दिन के प्यार वाली दुनिया में बस उसी को अपना माना । लोग पूछते है वो कौन है जिसे मैंने न पाकर भी सिर्फ अपना माना। कहते हैं न कि कुछ कहानियां अधूरी ही अच्छी लगती हैं। तुझे खोना ही मुझे अब मेरी तकदीर लगती है। ओए सुन तू ही था और तेरी जगह मैं किसी और को नहीं दे सकती हूं। तुझे पुकारती तो हूं पर तेरा नाम न ले सकती हूं। तेरी यादों में क्यूं जीना है शिकायत भी तुझसे करती हूं। यारा कौन तुझे यूं ही प्यार करेगा जैसे मैं करती हूं। Srishti Tiwari Shaan
राम मंदिर ५०० वर्ष अवध में बंटी आज बधाई । चौदह वर्ष नहीं ५०० वर्षों का वनवास खत्म कर आए हैं रघुराई। किसी समय आया वो बाबर आत्यातायी । हमारी संस्कृति नष्ट करने हेतु उसने मंदिर तुड़वा बाबरी मस्जिद थी बनवाई। उसने सोचा हम हिन्दू भूल जाएंगे गाथा ए रघुराई। अयोध्या का नाम बदल उसने नगरी फैज़ाबाद बसाई । फिर पीढ़ियां बीत गई पर राम लला की वापसी न होने पाई । हुआ देश आजाद परंतु राम लला की किसी को सुध न आई । ऐसे ही बीते कुछ साल और फिर अटल जी के संग युवाओं ने कर दी बाबरी मस्जिद पर चढ़ाई। परंतु कुछ सियासी दलों को राम भक्ति रास न आई। उन्होंने राम भक्तों पर गोलियां भी बरसाई। अब मंदिर है या मस्जिद ये होती रही सुनवाई। और न जाने राम लला ने कितने ही वर्षों टेंट में बिताई। फिर दिया कोर्ट ने फैसला कि वहां मंदिर था और हो उसकी बनवाई। सुन कर सब की अखियां अति हर्षाई। अब आई वो शुभ घड़ी जब मोदी जी ने राम मंदिर की नींव रखवाई । आज हर घर मन रही दिवाली ‘शान' से लौट कर आए हैं हमारे रघुराई। सृष्टि तिवाड़ी शान
90s और 00s वाला बचपन वो बचपन का दौर ही कुछ अलग था। जब जादू और भूत भी लगता सच था। जब फेरी टेल्स वाली कहानियां हर लड़की को पसंद होती थी। और 1₹ में चार टॉफियां आ जाया करती थी। और वो काली और ऑरेंज पेप्सी किसने नहीं खाई होगी। बॉल से कांच टूटने पर पड़ोसियों से सज़ा किसने नहीं पाई होगी। पांच रुपए में दोस्तों को पेस्ट्री खिला दिया करते थे। खटोरी चापट इमली चूरण के चटकारे हम सब मिलकर लिया करते थे। जब गुड्डा गुड्डी का ब्याह हम सब रचाते थे। खाने में बिस्किट का हलवा और नमकीन की सब्जी हम बनाते थे। पार्ले जी बिस्किट का मजा बिना चाय के क्या ही आया था। सच में 90s और 00s का वो बचपन हमने खुलकर बिताया था। सृष्टि तिवाड़ी शान -srishti tiwari
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