Quotes by Suvidha undirwade in Bitesapp read free

Suvidha undirwade

Suvidha undirwade

@suvidhaundirwade9446
(5)

वो रात अधूरी सी, वो बात अधूरी सी...

जुगनूओं की रौशनी में हुई, वो मुलाक़ात अधूरी सी,
वो रात अधूरी सी, वो बात अधूरी सी...

लिपटे हुए थे कुछ जज़्बात, हम दोनों की करवटों में,
चादर में पड़ी सिलवटों कि वो सौगात अधूरी सी....।।
वो रात अधूरी सी, वो बात अधूरी सी...

जज़्बातों की स्याही से लिखें कुछ ख़्वाब उस अंधेरे कमरे में,
उन ख्वाबों को सजाती उजाले कि शुरुआत अधूरी सी....।।
वो रात अधूरी सी, वो बात अधूरी सी...

मद्धम चलती सांसें जगा रही थी अरमान, कुछ तेरे कुछ मेरे दिल में,
तेज धड़कनों से बरसती अरमानों की बरसात अधूरी सी....।।
वो रात अधूरी सी, वो बात अधूरी सी...

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#भाषाएं गुम हो जाती है..


नजर से नजर टकराती है,
उठी पलकें झुक जाती हैं,
शर्म की लाली लहराती हैं,
तब, भाषाएं गुम हो जाती हैं..।।

दिल से दिल मिल जाते है,
धड़कने जरासी बढ़ जाती है,
सांसे भी मद्धम हो जाती हैं,
तब, भाषाएं गुम हो जाती हैं...।।

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#जिंदगी_बहुत_ख़ूबसूरत_है


मुहब्बत में सौ बार दिल टूटे,
बिखरे टुकड़ों को फिर कोई,
जोड़के उसमे प्यार भर दे,
तो जिंदगी ख़ूबसूरत हैं...।।

बहुत बह चुकी नदियां आंसुओं की,
उसी बहते पानी से कभी अगर,
होठों पे मुस्कुराहट के फूल खिले,
तो जिंदगी ख़ूबसूरत है....।।

घने हो बादल आँखों के,
काजल भरी बारिश भी हुई हो,
वही काला रंग अगर चेहरा सजा दे,
तो जिंदगी ख़ूबसूरत है.....।।

अल्फ़ाज़ भी गुम हो,
और जज़्बात भी नम हो,
हर दर्द के बाद अगर खुशियां आए,
तो जिंदगी ख़ूबसूरत है....।।

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#गझल



कितनी बार दिखी मौत से लड़ना सीखा है
यूं ही नहीं ज़िन्दगी का फलसफा सीखा है

बगियन के फूल भी रोते होंगे मुरझाते-मुरझाते
ऐसे ही नहीं उन्होंने कांटों में खिलना सीखा है

अक्सर खो जाती है ख़ुशबू सूखे फूलों से
फिर भी गैरों के लिए उसने महकना सीखा है

ख़त्म हो जाती है ज्योती दुनिया रोशन करके
उसने आग से, आह सहकर जलना सीखा है

उड़ जाते है रंग, किसी बेवा की ज़िन्दगी से
तभी तो उसने रंगों से परेज़ करना सीखा है

शायद रोशनी बनी रहे रात के अंधेरे में भी,
ढलते सूरज के साथ चांद ने निकलना सीखा है

ज़मीं की तड़प पे बहाता होगा आसमान आंसू
मिलने कि चाहत में, उसने बरसना सीखा है

जज्बातों के भी दर्द कभी बेजुबान होते होंगे
ग़ज़ल ने इसलिए अल्फाजों में भीगना सीखा है

यहां कुछ भी नहीं है मुस्तकिल जहां मे सुविधा
मुसाफ़िर ने अपने गमों से ही हसना सीखा है.

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मचल रही हूं मै,
थोड़ी पिघल रही हूं मै,
ख़्वाब नए बुन रही हूं मै,
शायद फिरसे तेरे,
प्यार में फिसल रही हूं मै..।।

कह रही हूं में,
दूरी थोड़ी सह रही हूं मै,
अरमान दिल में जगा रही हूं मै,
शायद फिरसे तेरे,
प्यार में बह रही ही मै..।।

संभल रही हूं मै,
रुक के चल रही हूं मै,
इश्क़ तेरा पल पल जी रही हूं मै,
शायद फिरसे तेरे,
प्यार में ढल रही हूं मै..।।

बिखर रही हूं मै,
थोड़ी सुधर रही हूं मै,
प्यार के गीत गुनगुना रही हूं मै,
शायद फिरसे तेरे,
प्यार में सवर रही हूं मै..।।

डर रही हूं मै,
खुदसे लड़ रही हूं मै,
बगावत जमानेसे कर रही हूं मै,
शायद फिरसे तेरे,
प्यार को पढ़ रही हूं मै..।।

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हां, तुझ बिन तो अधूरी सी मैं....

तेरी भीगी आंखो की नमी सी मैं,
तेरी सोहबत ना हो तो थमी सी मैं,
अगर तुम मुहब्बत की बारिश हो,
तो महकती जमीं सी मैं,
हां, तुझ बिन अधूरी सी मैं...।।

तेरे दिल की धड़कन सी मैं,
तेरे दरद की तड़पन सी मैं,
दीदार तू करना चाहत हैं तेरा,
ओ रे पिया, उसी दर्पण सी मैं,
हां, तुझ बिन अधूरी सी मैं...।।

तेरी बंसी से निकली धुन सी मैं,
तेरी राधा बसे जिसमें उस मन सी मैं,
तेरे सांवले रंग में समाई,
ओ कान्हा,उस निले रंग सी मैं,
हां, तुझ बिन अधूरी सी मैं...।।

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#बहुत_तकलीफ_होती_है



आप करते है जब मुहब्बत पर शक हमारे,
तो बहुत तकलीफ़ होती हैं..।
शायद हुई है दिल लगाने की गलती हमसे,
ये सोचकर बहुत तकलीफ़ होती है...।

यूं तो भीड़ में हम भी रहते हैं, पर आपको ताकते है,
आप तनहा छोड़ देते है अनजान राहों में हमें,
तो बहुत तकलीफ़ होती है..।

शायर तो नहीं है हम, पर लिखते आपके लिए है,
अनदेखा करते है जब आप लफ़्ज़ों को हमारे,
तो बहुत तकलीफ़ होती है....।

चाहते है हम आपकी बाहों में उम्र गुजरे,
पर बात आप जब जुदाई की करते है,
तो बहुत तकलीफ़ होती है....। _शब्दसुर

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#सारा_दोष_हमारा_था


ये दिल कम्बख़त उन्हीं पे आया,
इजहार - ए - इश्क़ भी हमने किया,
उनकी झूठी मुहब्बत में खोने का,
सारा दोष हमारा था....।

रहते खामोश तो, इश्क़ ये बेजुबां कहलाता,
रोता बहुत मगर, टूटने का दर्द तो ना सहता,
बेवजह नाजुक दिल को कुर्बान करने का,
सारा दोष हमारा था...।

खता तो हुई थी, दिल लगाने की,
सजा भी मिली आंसू बहाने की,
किसी बेवफा से दिल का सौदा करने का,
सारा दोष हमारा था....।

अब ना दिल धड़कता है, ना अब आंसू बहते है,
आते जाते कितने लोग, टूटे दिल पे हसते रहते है,
धड़कते दिल को बेजान बनाने का,
सारा दोष हमारा था...।

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