hindi Best Short Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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मेट्रो By Anil jaiswal

मेट्रो प्लेटफॉर्म पर आकर रुकी। दरवाजे खुले, तो रामलाल ने अंदर पैर रखा। आज मेट्रो में ज्यादा भीड़ नहीं थी। रामलाल ने चारों ओर नजरें दौड़ाईं। सारी सीटें फुल थीं। इससे उन्हें क्या? वह ध...

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तपती रेत पर By rajendra shrivastava

लघुकथा-- तपती रेत पर --राजेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव, ‘’जब भी मुँह खोलेगी आग उगलेगी।‘’ ‘कोई ना भी बोले; तो भी दीवालों से बु...

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ब्रेकअप By Shivani Verma

"ऋषभ हम सिर्फ दोस्त हैं और दोस्त ही रहेंगे।" कृतिका के मुँह से ये जवाब सुनकर ऋषभ दुःखी हो गया लेकिन फिर भी उसने उम्मीद नही छोड़ी थी। ग्रामीण परिवेश से आयी कृतिका जब यूनिवर्सिटी पढ़ने...

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रघुवन की कहानियां - राम दरबार By Sandeep Shrivastava

रघुवन में आज सुबह से ही प्रसन्नता का वातावरण था। सभी लोग आँखों में प्रसन्नता लिए किसी की प्रतीक्षा कर रहे थे। झुण्ड के झुण्ड रघुवन के बरगदी हनुमान मंदिर की और बढ़े जा रहे थे। बाबा व...

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सफरनामा By तेज साहू

सफरनामा- कभी कभी मेरे दिल मे ख़्याल आता है,की जैसे तुझको बनाया गया है,मेरे लिए...की धीमी आवाज़ में रेलवेस्टेशन के बाहर लाउडस्पीकर में संगीत बज रहा हैं.स्टेशन के अंदर डिस्प्ले में गाड़...

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मेरी चाय...... By Gal Divya

मेरी चाय.......वो बारिश के बाद पकोड़ो के साथ पी हुुुई चाय...वो शर्दी की सुबह कांपते हाथों से पी हुुुई चाय...वो दोस्तों के साथ दुनिया की...

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मुकदमा By Rajan Singh

छोटा सा कमरानुमा सिलनयुक्त कोर्ट रूम, मुज़रिम व मुज़रिमों को पेशी पे मिलने आये स्वजन. भीड़-भाड़ से गचागच था यह बदबूदार कमरा. एक नाज़िर, जज के स्टेज के ठीक नीचे टाइपिंग मशीन लेकर बै...

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दो लघुकथाएं...1- मैं कौन हूँ।। 2- इन्द्रधनुष।। By निशा शर्मा

1- मैं कौन हूँ!!!माँ.. माँ... माँ... अरी क्या हुआ ?क्यों गला फाड़ रही है? माँ मैं कौन हूँ? बताओ न माँ कौन हूँ मैं ? अरी हुआ क्या? माँ तुम झूंठ बोलती हो,तुम तो मुझे परी कहती हो और क...

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राजनीति का धर्म - नजरिये अपने अपने By Abhinav Singh

दृश्य एक( एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल का डिबेट रूम )बहस का विषय : राजनीति का धर्म या धर्म की राजनीति एंकर- नमस्कार दोस्तों। आपका स्वागत है देश के नम्बर वन न्यूज चैनल फलाना ढिमका पर। द...

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लघुकथाएँ By Sneh Goswami

बड़ा होता बचपन माँ ! कहाँ है। देख ! मेरे पास क्या है ?पार्वती चूल्हे के सामने बैठी रोटी सेक रही थी। हाथ का काम छोड़ बेटे की ओर हाथ बढ़ाया। " क्या है रे ! दिखा तो .. "गौरव ने पो...

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बूढ़ा घोड़ा By Anil jaiswal

कांतिलाल ने सामने से आ रहे रिक्शा को आवाज लगाई तो रिक्शेवाले ने रिक्शा रोका।कांति की नजर रिक्शेवाले से मिली, तो वह सकपका उठे। यह तो मोहल्ले के ही रामलखन जी थे। अभी तो वह गांव से अप...

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तीन अफसाँचे By Anil Makariya

रामराज★ (लघुकथा-1)"15 साल से निर्विरोध चुनकर आ रहा हूँ, इसबार कौन आ गया बे मेरे खिलाफ पर्चा भरने?"बाहुबली नेता अपने चमचों के बीच विदेशी सोफे पर अपना पहलू बदलते हुए बोले।"सरकार! स्व...

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गांधीजी के वे प्यारे तीन बंदर By Annada patni

गांधी जी के वे प्यारे तीन बंदर अन्नदा पाटनी दरवाज़े पर अजीब सी दस्तक सुनाई दी । देखा तो तीन बंदर थे । मैं डर गई, बोली," अरे तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? जाओ छत पर जाओ और वहीं कूदो फाँ...

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अनोखी मित्रता - 8 By Payal Sakariya

जिंदगी में कुछ दोस्त मंजिल तक साथ निभाते है, तो कुछ खास तो सिर्फ सही राह दिखा कर ही चले जाते है।?️ शाम का समय था, आकाश अपने कमरे में इधर-उधर घुम रहा था। दिशा को...

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घरौंदा By Priya Gupta

बाजार में अचानक उन्हें इस रूप में देखकर मैं दंग रह गए वह मुझे देख नहीं सकी बाजार में भीड़ काफी था ना कुछ कहती पूछती तब तक वह भीड़ में समा चुकी थी घर आने पर भी मैं सोच में थी कि वह...

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टिफिन By Anil jaiswal

"मिसेज दीपिका वर्मा, आपका बेटा खाली टिफ़िन लेकर स्कूल आता है। भूख लगने पर वह रोज अपने पार्टनर से टिफ़िन मांगकर खाता है।" प्रिंसिपल कहे जा रहे थे और मिसेज वर्मा का चेहरा गुस्से से ला...

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मजहब By pragati gupta

शाम के छहः बज रहे हैं । पार्क में एक लड़का बैठा है सीट पर तभी पीछे से एक लड़की आकर उस लड़के के बगल में बैठ जाती हैं ।लडके का नाम अर्पित हैं और लडकी का शबाना ।ये दोनों अलग अलग मजहब...

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मैं लौट कर आऊंगा By Rama Sharma Manavi

आज जान्हवी खुश भी थी,साथ ही विगत की यादों के पुनः स्मरण से व्यथित भी थी।आज उसकी प्रिय सखी शुचि अपने डेढ़ साल के बेटे पार्थ एवं पति विनय के साथ आ रही थी।उनके स्वागत की तैयारियों...

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प्रतिशोध - 2 By S Sinha

क्रमशः अंतिम भाग 2 में पढ़िए क्या रूपाली और शिवम फिर मिल सकते हैं ! भाग 2 - कहानी - प्रतिशोध इसके बाद दोनों में बातचीत तक बंद थी . ट्रेनिंग पूरी होने के बाद शिवम् ने हैदर...

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आस्था By Shivani Verma

रजिया बेगम सिलाई मशीन पर बैठी खयालों में इतनी डूबी थी कि उन्हें बाहर दरवाजे पर हुई दस्तक सुनाई नही दी। जोर से दरवाज़ा पीटने की आवाज़ पर उनका ध्यान टूटा।"अरे दुआ बिट...

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साईकिल से स्कूटी तक का सफर By Ruchi Dixit

नई स्कूटी पाकर मन उमंग से भर गया किन्तु साथ मे चिन्तित भी | क्या पता मुझे चलानी आयेगी भी या नही ?? इसे तो देखकर ही भय लगता है | बचपन मे साइकिल चलाने की बड़ी इच्छा थी, उस वक्त मेरी...

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ऑनलाइन पढ़ाई By Kumar Kishan Kirti

"रिया,तुम मोबाइल से क्या कर रही हो?"माँ अपनी बेटी रिया की तरफ गुस्से से देखती हुई चिल्लाकर बोली"कुछ तो नहीं माँ, बस पढ़ाई कर रही हूं"रिया डरती हुई बोलीइतना सुनते ही माँ का गुस...

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पुनर्मिलन By Ratna Raidani

आज आकाश, शुचि, भूमि, समीर और सलिल ने क्षितिज के घर पर मिलना तय किया। बाकी सारे मित्र समय पर पहुँच गए पर समीर को आने में काफी देर लग गयी। उसके आते ही आकाश ने उससे पूछा, "कितनी देर ल...

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लघुकथाएँ By Abha Dave

1)गृह प्रवेश--------------नंदिनी आज सुबह से ही उतावली थी । उसने पूजा की सारी तैयारी कर ली थी बस अपने माता- पिता के आने का इंतजार कर रही थी । नंदिनी के पति और उसके दोनों बच्चे उसके...

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वो अनजान आदमी By Ashish Garg Raisahab

रात के 11 बज रहे थे , नंदिता अपने दोस्त की बर्थडे पार्टी से लौट रही थी ,कई ऑटो वालों को हाथ दिया मगर किसी ने भी मंगलम विहार की तरफ जाने के लिए हां नही की । कम से कम 3 किलोमीटर का...

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देखो, तुम मरना मत By Anil jaiswal

सारे काम निबटाकर सरिता अपने कमरे में घुसी, तो निढाल हो चुकी थी। रिटायर्ड रमा शंकर पलंग पर बैठे उनका इंतजार कर रहे थे। उन्होंने घड़ी देखी, साढ़े दस बज चुके थे। "आज सब काम खत्म करते कर...

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आगोश By rajendra shrivastava

लघुकथा-- आगोश --राजेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव, कमरे का दरवाजा खोलते ही मधु अन्‍दर चली गई, तत्‍काल बाद ही मैं उसके पीछे-पीछे आ गया। वह प...

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पराई By डिम्पल गौड़

मायके आए हुए मुझे पूरे दस दिन हो चुके थे.पति विशाल से फोन पर बातचीत करने के बाद उठी ही थी कि देखा,माँ अपना बक्सा खोले बैठी है. बक्से के खुलते ही एक चिर-परिचित भीनी सुगन्ध से सुवासि...

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स्वंय से स्वंय तक का सफर By Anant Dhish Aman

"स्वयं क्या है" हम जो दिख रहे होते है वह हम नही है वह एक माया जिसके मोहपाश में हम सभी बंधे होते है ।। अध्यात्म के अनुसार और विज्ञान के अनुसार हमारा निर्माण पंचतत्व से हुआ है जो कि...

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वो पल By Vijay Prajapati

कुछ पल याद मै !करीब नौ साल पहलें का एक बिछडा दोस्त मिला। मे बहुत खुश था उस्से देख कर,और वो मुझको देखकर जैसे चमत्कारीक आश्चर्य मै था,वो भी बेईन्तहा खुश था,उसके खुशी के मारे बोलते बो...

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लिखी हुई इबारत - 6 By Jyotsana Kapil

11 -आईना " हमारे बबुआ की तो एक ही डिमांड है की लड़की सुंदर हो ।" एक गुलाब जामुन मुँह में भरते हुए लड़के की माँ ने कहा। " तो हमारी साक्षी कौन सी कम है, देखिये न, कैस...

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रामू काका By Rajesh Kumar Srivastav

"अरे! बबुआ। तुम कईसे-कईसे यहाँ पहुँच गए।" रामू काका अचानक मुझे दरवाज़े पर खड़ा पाकर हैरान थे। दरवाज़ा खोलकर झट मुझे अपनी गोद में उठाना चाहा। लेकिन अब मैं इतना भारी हो गया था कि काका...

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असलियत(लघुकथा) By Kumar Kishan Kirti

"बाबू जी,मुझे कुछ खाने को दीजिए,बड़ी तेज भूख लगी है"एक नवयुवक भिखारी अपने सामने खड़े रईस व्यक्ति से गिड़गिड़ाते हुए बोला,लेकिन वह रईस व्यक्ति इतना सुनते ही क्रोधित होकर बोला,"चल भ...

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भीगा बदन नम आँखें By Abha Yadav

वह अकेली थी और वह तीन.सभी का बदन पानी में तर-बतर था.कपड़ों से पानी की बूंदें इस तरह टपक रही थीं ,जैसे पानी का टेप अधखुला रह गया हो. शाम का धुंधलका हो गया था. काले बादलो...

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ज़िन्दगी की धूप-छाँव - 13 - अंतिम भाग By Harish Kumar Amit

ज़िन्दगी की धूप-छाँव हरीशं कुमार ’अमित' आदत ‘‘पापा, जल्दी घर आ जाओ. छोटू खेलते-खेलते गिर गया है. सिर से बड़ा खून बह रहा है. मम्मी भी ऑफिस में हैं. डॉक्टर के पास ले जाना पड़ेगा.’’...

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आगे तुम्हारी मर्जी By Anju Kharbanda

आगे तुम्हारी मर्जी रमिता आज बहुत खुश थी, खुशी की बात तो थी ही... बरसों से जिस अवसर का बेकरारी से इंतजार था आज वो दिन आ ही गया । ऑफिस पहुंचते ही चपरासी ने चेयरमैन सर का मेसेज दिया-...

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दोस्ती - गलतफहमी का शिकार By Neha Awasthi

स्तुति और आन्या दो सहेलियां बारिश के मौसम में साथ बैठी मजे ले रही थी । टेबल पर कॉफी रखी हुई थी और आपस में बातें चल रही थी । दोनों की दोस्ती ज्यादा लंबी तो नहीं कुछ 2 साल की थी पर प...

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कलमकार हूँ  By AKANKSHA SRIVASTAVA

"मैं एक खुली किताब हूँ तुम जितना मुझे पढ़ोगे पन्नों की तरह तुम मुझमे सिमटते जाओगे हा मैं एक खुली किताब हूँ।" नमस्कार, मित्रों कैसे है आप। बस सोची बहुत दिन हो गया बातचीत हुए,किसी ने...

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पाती प्रेम की By Dr Jaya Anand

पाती प्रेम की मेरे प्रिय ! ' मेरे ' …..,कितना अच्छा लग रहा है मुझे कि किसी को मैं अपना कह कर बुला सकती हूँ । किसी पर मेरा पूर्ण अधिकार ..जिससे मैं खुल कर हर बात कह सकती हू...

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क्या ये प्यार था ? By Ashish Garg Raisahab

शशि गुप्ता , जी हां यही तो नाम था उसका , जिसका नाम सुनकर ही दिल मे कुछ कुछ होने लगता था ,कानों में संगीत बजने लगता था । जिसको देखकर दिल जे धड़कने की स्पीड 150 तक पहुंच जाती थी ,जिस...

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Exam वाला Love By Raman Verma

पहली परीक्षा कुछ नहीं आता । यही सही समय था खुद से साक्षात्कार का । अपनी कमियों के बारे में सोचने का और उन पर विजय पाने के बारे में भी सोचने का । Exam खत्म हो तो बस पढ़ना शुरू , सार...

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सफ़ेद गुलाब By S Sinha

कहानी -- सफ़ेद गुलाब मैं उन दिनों पटना में रहता था . मेरे घर की छत से मास्टर साहब की छत भी जुडी थी , बीच में बस चार फ़ीट की रेलिंग...

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ये सब लिखना ज़रूरी था क्या? By Gadhavi Prince

◆यहां बस कुछ लेेेख हे जो आपको अच्छे लगेेंगे!1. एक पुरानी बात।वह मेरी बचपन कि दोस्त थी, फीर हम बडें हो गया,मैं समज दार हो गया ,मुजे पता लग गया था कि पसंद आने ओर प्यारा लगने मे क्य...

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सच्चाई By Dharnee Variya

सुनो, आज मैं कौनसी साड़ी पहनू?? "कोई भी पहनो, तुम सबमें अच्छी ही लगोगी।" स्नेहल की ओर प्यारभरी नजर से मुस्कुराते हुए स्वराज ने कहा। लेकिन अपनी पुरानी तस्वीर पे नजर जाते ही आईने के स...

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भूख (उसके हिस्से की) By Vinay Panwar

भूख*** आज पिताजी का श्राद्ध है, हर साल की तरह हम अनाथालय में भोजन प्रायोजित करना चाहते थे लेकिन शायद इस बार बुकिंग कराने में देर हो गयी थी और जो तारीख हम चाहते थे उस दिन...

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यात्रा By स्वाती यादव

बात बहुत पुरानी नहीं है , बाते कभी पुरानी नहीं होती ही नहीं ।जब भी उन बातो को याद किया जाता है वो नई होती रहती है। बहोत खुशी और शांती थी आज विराट के पास ,घर से दूर पढ़ने जा रहा था...

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हलवा By Abhinav Singh

“तुम्हारे पास तो मेरे के लिये वक्त ही नहीं होता। घर पर होकर भी घर पर नहीं होते तुम। यहाँ आकर भी लैपटाप में खोये रहते हो। तुम्हें तो इसी से शादी करनी चाहिये थी।“ सुप्रिया ने सुबह सु...

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मेट्रो By Anil jaiswal

मेट्रो प्लेटफॉर्म पर आकर रुकी। दरवाजे खुले, तो रामलाल ने अंदर पैर रखा। आज मेट्रो में ज्यादा भीड़ नहीं थी। रामलाल ने चारों ओर नजरें दौड़ाईं। सारी सीटें फुल थीं। इससे उन्हें क्या? वह ध...

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तपती रेत पर By rajendra shrivastava

लघुकथा-- तपती रेत पर --राजेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव, ‘’जब भी मुँह खोलेगी आग उगलेगी।‘’ ‘कोई ना भी बोले; तो भी दीवालों से बु...

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ब्रेकअप By Shivani Verma

"ऋषभ हम सिर्फ दोस्त हैं और दोस्त ही रहेंगे।" कृतिका के मुँह से ये जवाब सुनकर ऋषभ दुःखी हो गया लेकिन फिर भी उसने उम्मीद नही छोड़ी थी। ग्रामीण परिवेश से आयी कृतिका जब यूनिवर्सिटी पढ़ने...

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रघुवन की कहानियां - राम दरबार By Sandeep Shrivastava

रघुवन में आज सुबह से ही प्रसन्नता का वातावरण था। सभी लोग आँखों में प्रसन्नता लिए किसी की प्रतीक्षा कर रहे थे। झुण्ड के झुण्ड रघुवन के बरगदी हनुमान मंदिर की और बढ़े जा रहे थे। बाबा व...

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सफरनामा By तेज साहू

सफरनामा- कभी कभी मेरे दिल मे ख़्याल आता है,की जैसे तुझको बनाया गया है,मेरे लिए...की धीमी आवाज़ में रेलवेस्टेशन के बाहर लाउडस्पीकर में संगीत बज रहा हैं.स्टेशन के अंदर डिस्प्ले में गाड़...

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मेरी चाय...... By Gal Divya

मेरी चाय.......वो बारिश के बाद पकोड़ो के साथ पी हुुुई चाय...वो शर्दी की सुबह कांपते हाथों से पी हुुुई चाय...वो दोस्तों के साथ दुनिया की...

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मुकदमा By Rajan Singh

छोटा सा कमरानुमा सिलनयुक्त कोर्ट रूम, मुज़रिम व मुज़रिमों को पेशी पे मिलने आये स्वजन. भीड़-भाड़ से गचागच था यह बदबूदार कमरा. एक नाज़िर, जज के स्टेज के ठीक नीचे टाइपिंग मशीन लेकर बै...

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दो लघुकथाएं...1- मैं कौन हूँ।। 2- इन्द्रधनुष।। By निशा शर्मा

1- मैं कौन हूँ!!!माँ.. माँ... माँ... अरी क्या हुआ ?क्यों गला फाड़ रही है? माँ मैं कौन हूँ? बताओ न माँ कौन हूँ मैं ? अरी हुआ क्या? माँ तुम झूंठ बोलती हो,तुम तो मुझे परी कहती हो और क...

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राजनीति का धर्म - नजरिये अपने अपने By Abhinav Singh

दृश्य एक( एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल का डिबेट रूम )बहस का विषय : राजनीति का धर्म या धर्म की राजनीति एंकर- नमस्कार दोस्तों। आपका स्वागत है देश के नम्बर वन न्यूज चैनल फलाना ढिमका पर। द...

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लघुकथाएँ By Sneh Goswami

बड़ा होता बचपन माँ ! कहाँ है। देख ! मेरे पास क्या है ?पार्वती चूल्हे के सामने बैठी रोटी सेक रही थी। हाथ का काम छोड़ बेटे की ओर हाथ बढ़ाया। " क्या है रे ! दिखा तो .. "गौरव ने पो...

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बूढ़ा घोड़ा By Anil jaiswal

कांतिलाल ने सामने से आ रहे रिक्शा को आवाज लगाई तो रिक्शेवाले ने रिक्शा रोका।कांति की नजर रिक्शेवाले से मिली, तो वह सकपका उठे। यह तो मोहल्ले के ही रामलखन जी थे। अभी तो वह गांव से अप...

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तीन अफसाँचे By Anil Makariya

रामराज★ (लघुकथा-1)"15 साल से निर्विरोध चुनकर आ रहा हूँ, इसबार कौन आ गया बे मेरे खिलाफ पर्चा भरने?"बाहुबली नेता अपने चमचों के बीच विदेशी सोफे पर अपना पहलू बदलते हुए बोले।"सरकार! स्व...

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गांधीजी के वे प्यारे तीन बंदर By Annada patni

गांधी जी के वे प्यारे तीन बंदर अन्नदा पाटनी दरवाज़े पर अजीब सी दस्तक सुनाई दी । देखा तो तीन बंदर थे । मैं डर गई, बोली," अरे तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? जाओ छत पर जाओ और वहीं कूदो फाँ...

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अनोखी मित्रता - 8 By Payal Sakariya

जिंदगी में कुछ दोस्त मंजिल तक साथ निभाते है, तो कुछ खास तो सिर्फ सही राह दिखा कर ही चले जाते है।?️ शाम का समय था, आकाश अपने कमरे में इधर-उधर घुम रहा था। दिशा को...

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घरौंदा By Priya Gupta

बाजार में अचानक उन्हें इस रूप में देखकर मैं दंग रह गए वह मुझे देख नहीं सकी बाजार में भीड़ काफी था ना कुछ कहती पूछती तब तक वह भीड़ में समा चुकी थी घर आने पर भी मैं सोच में थी कि वह...

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टिफिन By Anil jaiswal

"मिसेज दीपिका वर्मा, आपका बेटा खाली टिफ़िन लेकर स्कूल आता है। भूख लगने पर वह रोज अपने पार्टनर से टिफ़िन मांगकर खाता है।" प्रिंसिपल कहे जा रहे थे और मिसेज वर्मा का चेहरा गुस्से से ला...

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मजहब By pragati gupta

शाम के छहः बज रहे हैं । पार्क में एक लड़का बैठा है सीट पर तभी पीछे से एक लड़की आकर उस लड़के के बगल में बैठ जाती हैं ।लडके का नाम अर्पित हैं और लडकी का शबाना ।ये दोनों अलग अलग मजहब...

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मैं लौट कर आऊंगा By Rama Sharma Manavi

आज जान्हवी खुश भी थी,साथ ही विगत की यादों के पुनः स्मरण से व्यथित भी थी।आज उसकी प्रिय सखी शुचि अपने डेढ़ साल के बेटे पार्थ एवं पति विनय के साथ आ रही थी।उनके स्वागत की तैयारियों...

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प्रतिशोध - 2 By S Sinha

क्रमशः अंतिम भाग 2 में पढ़िए क्या रूपाली और शिवम फिर मिल सकते हैं ! भाग 2 - कहानी - प्रतिशोध इसके बाद दोनों में बातचीत तक बंद थी . ट्रेनिंग पूरी होने के बाद शिवम् ने हैदर...

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आस्था By Shivani Verma

रजिया बेगम सिलाई मशीन पर बैठी खयालों में इतनी डूबी थी कि उन्हें बाहर दरवाजे पर हुई दस्तक सुनाई नही दी। जोर से दरवाज़ा पीटने की आवाज़ पर उनका ध्यान टूटा।"अरे दुआ बिट...

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साईकिल से स्कूटी तक का सफर By Ruchi Dixit

नई स्कूटी पाकर मन उमंग से भर गया किन्तु साथ मे चिन्तित भी | क्या पता मुझे चलानी आयेगी भी या नही ?? इसे तो देखकर ही भय लगता है | बचपन मे साइकिल चलाने की बड़ी इच्छा थी, उस वक्त मेरी...

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ऑनलाइन पढ़ाई By Kumar Kishan Kirti

"रिया,तुम मोबाइल से क्या कर रही हो?"माँ अपनी बेटी रिया की तरफ गुस्से से देखती हुई चिल्लाकर बोली"कुछ तो नहीं माँ, बस पढ़ाई कर रही हूं"रिया डरती हुई बोलीइतना सुनते ही माँ का गुस...

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पुनर्मिलन By Ratna Raidani

आज आकाश, शुचि, भूमि, समीर और सलिल ने क्षितिज के घर पर मिलना तय किया। बाकी सारे मित्र समय पर पहुँच गए पर समीर को आने में काफी देर लग गयी। उसके आते ही आकाश ने उससे पूछा, "कितनी देर ल...

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लघुकथाएँ By Abha Dave

1)गृह प्रवेश--------------नंदिनी आज सुबह से ही उतावली थी । उसने पूजा की सारी तैयारी कर ली थी बस अपने माता- पिता के आने का इंतजार कर रही थी । नंदिनी के पति और उसके दोनों बच्चे उसके...

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वो अनजान आदमी By Ashish Garg Raisahab

रात के 11 बज रहे थे , नंदिता अपने दोस्त की बर्थडे पार्टी से लौट रही थी ,कई ऑटो वालों को हाथ दिया मगर किसी ने भी मंगलम विहार की तरफ जाने के लिए हां नही की । कम से कम 3 किलोमीटर का...

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देखो, तुम मरना मत By Anil jaiswal

सारे काम निबटाकर सरिता अपने कमरे में घुसी, तो निढाल हो चुकी थी। रिटायर्ड रमा शंकर पलंग पर बैठे उनका इंतजार कर रहे थे। उन्होंने घड़ी देखी, साढ़े दस बज चुके थे। "आज सब काम खत्म करते कर...

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आगोश By rajendra shrivastava

लघुकथा-- आगोश --राजेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव, कमरे का दरवाजा खोलते ही मधु अन्‍दर चली गई, तत्‍काल बाद ही मैं उसके पीछे-पीछे आ गया। वह प...

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पराई By डिम्पल गौड़

मायके आए हुए मुझे पूरे दस दिन हो चुके थे.पति विशाल से फोन पर बातचीत करने के बाद उठी ही थी कि देखा,माँ अपना बक्सा खोले बैठी है. बक्से के खुलते ही एक चिर-परिचित भीनी सुगन्ध से सुवासि...

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स्वंय से स्वंय तक का सफर By Anant Dhish Aman

"स्वयं क्या है" हम जो दिख रहे होते है वह हम नही है वह एक माया जिसके मोहपाश में हम सभी बंधे होते है ।। अध्यात्म के अनुसार और विज्ञान के अनुसार हमारा निर्माण पंचतत्व से हुआ है जो कि...

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वो पल By Vijay Prajapati

कुछ पल याद मै !करीब नौ साल पहलें का एक बिछडा दोस्त मिला। मे बहुत खुश था उस्से देख कर,और वो मुझको देखकर जैसे चमत्कारीक आश्चर्य मै था,वो भी बेईन्तहा खुश था,उसके खुशी के मारे बोलते बो...

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लिखी हुई इबारत - 6 By Jyotsana Kapil

11 -आईना " हमारे बबुआ की तो एक ही डिमांड है की लड़की सुंदर हो ।" एक गुलाब जामुन मुँह में भरते हुए लड़के की माँ ने कहा। " तो हमारी साक्षी कौन सी कम है, देखिये न, कैस...

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रामू काका By Rajesh Kumar Srivastav

"अरे! बबुआ। तुम कईसे-कईसे यहाँ पहुँच गए।" रामू काका अचानक मुझे दरवाज़े पर खड़ा पाकर हैरान थे। दरवाज़ा खोलकर झट मुझे अपनी गोद में उठाना चाहा। लेकिन अब मैं इतना भारी हो गया था कि काका...

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असलियत(लघुकथा) By Kumar Kishan Kirti

"बाबू जी,मुझे कुछ खाने को दीजिए,बड़ी तेज भूख लगी है"एक नवयुवक भिखारी अपने सामने खड़े रईस व्यक्ति से गिड़गिड़ाते हुए बोला,लेकिन वह रईस व्यक्ति इतना सुनते ही क्रोधित होकर बोला,"चल भ...

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भीगा बदन नम आँखें By Abha Yadav

वह अकेली थी और वह तीन.सभी का बदन पानी में तर-बतर था.कपड़ों से पानी की बूंदें इस तरह टपक रही थीं ,जैसे पानी का टेप अधखुला रह गया हो. शाम का धुंधलका हो गया था. काले बादलो...

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ज़िन्दगी की धूप-छाँव - 13 - अंतिम भाग By Harish Kumar Amit

ज़िन्दगी की धूप-छाँव हरीशं कुमार ’अमित' आदत ‘‘पापा, जल्दी घर आ जाओ. छोटू खेलते-खेलते गिर गया है. सिर से बड़ा खून बह रहा है. मम्मी भी ऑफिस में हैं. डॉक्टर के पास ले जाना पड़ेगा.’’...

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आगे तुम्हारी मर्जी By Anju Kharbanda

आगे तुम्हारी मर्जी रमिता आज बहुत खुश थी, खुशी की बात तो थी ही... बरसों से जिस अवसर का बेकरारी से इंतजार था आज वो दिन आ ही गया । ऑफिस पहुंचते ही चपरासी ने चेयरमैन सर का मेसेज दिया-...

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दोस्ती - गलतफहमी का शिकार By Neha Awasthi

स्तुति और आन्या दो सहेलियां बारिश के मौसम में साथ बैठी मजे ले रही थी । टेबल पर कॉफी रखी हुई थी और आपस में बातें चल रही थी । दोनों की दोस्ती ज्यादा लंबी तो नहीं कुछ 2 साल की थी पर प...

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कलमकार हूँ  By AKANKSHA SRIVASTAVA

"मैं एक खुली किताब हूँ तुम जितना मुझे पढ़ोगे पन्नों की तरह तुम मुझमे सिमटते जाओगे हा मैं एक खुली किताब हूँ।" नमस्कार, मित्रों कैसे है आप। बस सोची बहुत दिन हो गया बातचीत हुए,किसी ने...

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पाती प्रेम की By Dr Jaya Anand

पाती प्रेम की मेरे प्रिय ! ' मेरे ' …..,कितना अच्छा लग रहा है मुझे कि किसी को मैं अपना कह कर बुला सकती हूँ । किसी पर मेरा पूर्ण अधिकार ..जिससे मैं खुल कर हर बात कह सकती हू...

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क्या ये प्यार था ? By Ashish Garg Raisahab

शशि गुप्ता , जी हां यही तो नाम था उसका , जिसका नाम सुनकर ही दिल मे कुछ कुछ होने लगता था ,कानों में संगीत बजने लगता था । जिसको देखकर दिल जे धड़कने की स्पीड 150 तक पहुंच जाती थी ,जिस...

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Exam वाला Love By Raman Verma

पहली परीक्षा कुछ नहीं आता । यही सही समय था खुद से साक्षात्कार का । अपनी कमियों के बारे में सोचने का और उन पर विजय पाने के बारे में भी सोचने का । Exam खत्म हो तो बस पढ़ना शुरू , सार...

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सफ़ेद गुलाब By S Sinha

कहानी -- सफ़ेद गुलाब मैं उन दिनों पटना में रहता था . मेरे घर की छत से मास्टर साहब की छत भी जुडी थी , बीच में बस चार फ़ीट की रेलिंग...

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ये सब लिखना ज़रूरी था क्या? By Gadhavi Prince

◆यहां बस कुछ लेेेख हे जो आपको अच्छे लगेेंगे!1. एक पुरानी बात।वह मेरी बचपन कि दोस्त थी, फीर हम बडें हो गया,मैं समज दार हो गया ,मुजे पता लग गया था कि पसंद आने ओर प्यारा लगने मे क्य...

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सच्चाई By Dharnee Variya

सुनो, आज मैं कौनसी साड़ी पहनू?? "कोई भी पहनो, तुम सबमें अच्छी ही लगोगी।" स्नेहल की ओर प्यारभरी नजर से मुस्कुराते हुए स्वराज ने कहा। लेकिन अपनी पुरानी तस्वीर पे नजर जाते ही आईने के स...

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भूख (उसके हिस्से की) By Vinay Panwar

भूख*** आज पिताजी का श्राद्ध है, हर साल की तरह हम अनाथालय में भोजन प्रायोजित करना चाहते थे लेकिन शायद इस बार बुकिंग कराने में देर हो गयी थी और जो तारीख हम चाहते थे उस दिन...

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यात्रा By स्वाती यादव

बात बहुत पुरानी नहीं है , बाते कभी पुरानी नहीं होती ही नहीं ।जब भी उन बातो को याद किया जाता है वो नई होती रहती है। बहोत खुशी और शांती थी आज विराट के पास ,घर से दूर पढ़ने जा रहा था...

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हलवा By Abhinav Singh

“तुम्हारे पास तो मेरे के लिये वक्त ही नहीं होता। घर पर होकर भी घर पर नहीं होते तुम। यहाँ आकर भी लैपटाप में खोये रहते हो। तुम्हें तो इसी से शादी करनी चाहिये थी।“ सुप्रिया ने सुबह सु...

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