hindi Best Short Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • लिखी हुई इबारत - 5

    9 - दंड गाड़ी से उतरकर , बहुत आत्म विश्वास के साथ धीरज ने अ...

  • नींव की ईंट

    वह बूढ़ी औरत पसीने से तर-बतर थी..पर बूढ़ी हड्डियों में जोश और उत्साह देखते बनता...

  • कोरोना पॉजिटिव

    "चलिए लाइन से आइए, एक दूसरे से पर्याप्त दूरी बनाए रखिये, तुम्हरा मास्क कहा है??...

फैसला By अनुभूति अनिता पाठक

आज छः महीने की कैद के बाद सिया आख़िरकार घर आ गयी। अपनी बेटी को गले लगाकर खूब रोई, खूब प्यार किया और रो - रोकर अपने अंदर का सारा गुब़ार निकाल लिया। सास - ससूर ने भी अपनी खुशी प्रकट...

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एक अनोखा दिन By Vinayak Potdar

आज सुबह से ही मैं बड़ी अच्छे मूड में थी। चाहे आज देर से उठी और तैयार होकर ऑफिस निकलने के लिए देर होने वाली थी पर इससे मुझे कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला था। आखिर महीने में एक दिन लेट...

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लिखी हुई इबारत - 5 By Jyotsana Kapil

9 - दंड गाड़ी से उतरकर , बहुत आत्म विश्वास के साथ धीरज ने अपना चेहरा मोबाइल की स्क्रीन में देखा। नोटों से भरे हुए सूटकेस को हल्के से थपथपाया।आज एक और तथाकथित...

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नींव की ईंट By राजेश ओझा

वह बूढ़ी औरत पसीने से तर-बतर थी..पर बूढ़ी हड्डियों में जोश और उत्साह देखते बनता था..सर पर तीन ईंटे तूली कपड़े में बांधे लिये चली जा रही थी..शरीर धूल धूसरित..पर चेहरे पर उत्साही चमक...

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सफेद रंग - भाग 2 By Namita Verma

मुन्नी जैसे तैसे होश को संभालते हुए घर पहुँची एक अदना सी उम्मीद लिए,कि शायद उसके बाबा उसके साथ ऐसा नहीं करेंगे, उसकी ये सारी शंकाऐ तो अब सिर्फ बाबा ही दूर कर सकते थे,(उम्मीदों को ल...

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कोरोना पॉजिटिव By RISHABH PANDEY

"चलिए लाइन से आइए, एक दूसरे से पर्याप्त दूरी बनाए रखिये, तुम्हरा मास्क कहा है?? तुम्हे समझ नही आता क्या तब से एलाउंस किया जा रहा है कि बिना मास्क के कोई भी यहा नही आएगा" - मुन्नी ल...

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ज़िन्दगी की धूप-छाँव - 11 By Harish Kumar Amit

ज़िन्दगी की धूप-छाँव हरीशं कुमार ’अमित' हिसाब दफ़्तर में उसकी बगलवाली सीट पर बैठनेवाली सहकर्मी रोज़ाना के वक़्त से आधा घंटा देर से आई. उसने गौर से उसे देखा. सहकर्मी का चेहरा मुर्झ...

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सुलझती गाँठे By Ratna Raidani

डॉक्टर मोहित एक मशहूर मनोरोग चिकित्सक थे जो रिटायरमेंट के बाद अपने गृहनगर कुन्नूर में अपनी सेवायें दे रहे थे। रोज की तरह आज भी जैसे ही उन्होंने क्लीनिक में प्रवेश किया, कुछ लोग पहल...

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एक नदी की प्रेम कहानी By Sheetal

नदी का एक बहुत पुराना प्रेमी है गगन, दोनों एक दूसरे को सदियों से देखते चले आ रहे थे. दोनों ने कई हज़ार साल एक दूसरे को देखा, देखते देखते दोनों में प्यार हो गया. नदी ने कहा हम ज़रूर म...

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चिट्ठी आई है ! By Amit Singh

भले ही चिट्ठियों का आना-जाना अब बीते वक़्त की बात लगती हो, लेकिन इसे चाहने वाले आज भी कम नहीं हैं | अब भी हमारे मन के किसी कोने-अँतरे में यह चाह रहती है कि काश, मेरे नाम भी कोई चिट्...

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ऑनर किलिंग By Akassh Yadav Dev

"ज़िंदगी के खूबसूरत होने के मायने क्या हैं?""तुम्हारी आँखों मे एक टक देखते जाना!""भक...तुम्हे तो बस मौका चाहिए होता है!""लेह...गुस्साती काहे हो?""गुस्सा न करूं तो क्या तुम्हारी आरती...

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प्रेमपत्र By Rama Sharma Manavi

आज तो स्मार्ट फोन का जमाना है।प्रेम हो ,नाराजगी हो,कुशल क्षेम पूछनी हो,आने जाने की सूचना देनी हो या समय बिताने के लिए गॉसिप करना हो,फोन मिलाया हो गई बात, बहुत हुआ तो वीडियो कॉ...

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सड़क By Mukta Priyadarshani

एक दिन फुर्स़त के समय मैं फेसबुक स्क्रॉल कर रही थी कि एक तस्वीर दिखी, वो तस्वीर मेरी एक दोस्त ने शेयर की थी और उसके ऊपर कैप्शन डला था - 'ब्यूटीफुल'। उस तस्वीर को देखते ही ख...

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जल्लाद By Dhruv Mavapuri

हाहाकार चारो तरफ विध्वंस , हर जगह खून ही खून ऐसा लग रहा था मानो आसमान से खून की बारिश हो रही है। अपनी आंखो से देखा हुआ ये नजारा कोई मरते दम तक नहीं भुला पाएगा।बात है भयंकर दिखने वा...

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अनोखी मित्रता - 6 By Payal Sakariya

हमने देखा था कि ( दिशा कहती है advise accepted ... ) अब आगे ....... दिशा आरुष के घर जाती है , आंटी आप से तो कट्टी कर लेनी है , वैसे तो आप कहते है , कि में आपकी बेटी से...

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Single Father By Anil Patel_Bunny

14 अगस्त, मुंबई।मुंबई के एक बंगले में रहते मिस्टर मेहता आज थोड़े से उदास थे। वैसे तो मौका ख़ुशी का था, पर उस ख़ुशी को सेलिब्रेट करने के लिए उनके साथ कोई नहीं था। मेहता जी एक C.A. थे,...

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चुनाव या चुनौती By Ratna Raidani

"लीजिये सर, मिठाई" आलोक ने डब्बा आगे बढ़ाते हुए कहा। आज वो ख़ुशी से फूला नहीं समा रहा था।"अरे वाह आलोक, क्या बात है? आज सुबह सुबह मिठायी?" आलोक के बॉस शिरीष सर ने एक टुकड़ा उठाते हुए...

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पान वाले चाचा By Roushan kumar

पान वाले चाचाआज दीपक फिर से अपनी बचपन की सबसे सुखद पल जहाँ बिता था उसी शहर के लिए निकल पड़ा था, कुछ पुरानी बातों में डूबने,उसे फिर से महशुस करने और सबस...

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बिल्कुल सही वसीयत By S Sinha

कहानी - बिल्कुल सही वसीयत ¨ जीवन के अंतिम पड़ाव में आ कर इतना कष्ट भोगना होगा , ऐसा कभी सोचा भी न था मैंने . ¨ शांति द...

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तेरी आंखों के दरिया का..... By Anand Raj Singh

कुछ बातें हम दिल के किसी कोने में छूपा देते हैं,और इतने गहरे से बांधते हैं कि वो दोबारा हमें ही नहीं मिलते।बस कभी किसी मोड़ पर अचानक वो सामने आ जाता है,और आँख खुली रह जाती है,और हम...

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रिश्तों की डोर By Kusum

तीनो बहनों से राखी बंधवाकर, मेरे अंदर असीम सुख का अनुभव होता है। मेरी तीनों छोटी बहनें राखी से पहले ही शुरू हो जाती हैं, कि, किसको क्या चाहिए। मुझे भी उनकी छोटी-छोटी फरमाइशें पूरी...

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चॉकलेट By SURENDRA ARORA

चॉकलेट उसने जब से होश संभाला उसका बाप जिसे वो बापू कहता था, उसके लिए हर शाम दफ्तर से लौटते हुए एक चॉकलेट लाता और उसे अपनी गोद में भरकर भरपूर प्यार करता । उसके बाद अपनी पतलून की जेब...

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कैपेचीनो By Anuj Tiwari

कैपेचीनो कुछ कहानियाँ सत्यता के इतने करीब होती हैं कि कहानियां लगती ही नहीं और कुछ हकीकतें वक़्त के साथ ऐसी हो जाती हैं जो पूरी ज़िंदगी सिर्फ कहानियों सी लगने लगती हैं। ऐसी ही एक...

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बरसात की अनकही दास्ताँ By Ankusha Bulkunde

दो साल पहले की बात है | बरसात का सीजन था| सुबह के आठ बजे थे| मैं रोज़ की तरह टीवी देखने बैठ गया| लाइव न्यूज़ चल रही थी," काल रात की भारी बरसात के वजह से सड़कों पर पा...

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वो बारह घण्टे का पसीना By AKANKSHA SRIVASTAVA

जमीन जल चुकी आसमा बाकी है सूखे हुए कुएं तुम्हारा इम्तिहान बाकी है, ऐ- बादल बरस जाना इस बार भी समय पर किसी का मकान गिरवी तो किसी की लगन फीकी है, टपकते है छत उसके कच्चे इमारतों के फि...

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तिरस्कृत By Neerja Pandey

जल्दी जल्दी हाथ चलाते हुए सुमित्रा गरमा गरम परांठे बनाकर सब को दे रही थी। सुबह का नाश्ता सब साथ ही करते थे । फटाफट परांठे सेंक कर सुमित्रा दोनों बेटे बहू और पति को दे रही थी सुबह क...

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सन्देशा - 2 By Vikash Dhyani

हरीश के जाने के दुःख में कमला कभी कभी मायूस हो जाती थी। कभी कभी लगता की जैसे वो एक दिन लौट के वापिस आ जायेगा उसके जाने का दुःख कमला सीने में दबाये बैठी थी ठीक से रो भी नहीं पाई थी।...

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एक उम्मीद - भाग - 2 By Neha Awasthi

अभी तक कहानी में आपने देखा है कि उसकी सास और ससुर का ही जिक्र है पर बेटे का नहीं क्योंकि उनका बेटा बस अपनी मां के इशारे पर चलता है, उसमें अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करने की छमता नहीं...

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तुम और मैं - 3 By Rahul Pandey

तुम और मैं - अध्याय - 3 ( दूरियाँ ) — बचपन के कुछ किस्सों और कहानियों से निकाली गई एक छोटी सी लेखनी है। मैं Rahul Pandey ( poetpahadi ) आशा करता हूँ की आपको यह कोशिश ज़रूर पंसद आये...

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खिलवत By Mukta Priyadarshani

झुर्रियों से भरी देह, पके हुए बाल, थकी हुई आँखें, पसीने से लथपथ जगह-जगह से फ़टी हुई कमीज़, माथे से टपकती मेहनत की बूंदें और कमज़ोर, बेबस व पीड़ा से कराहते पैर जो शक्तिहीन होते हुए...

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प्यारे भैया By Priyanka Jangir

यह कहानी सत्यता पर आधारित हैं | इस कहानी में भाई बहन के रिश्ते को दर्शाया गया हैं, की भाई बहन का रिश्ता कितना अटूट होता हैं

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नैसर्गिक सुख By rajendra shrivastava

लघु कथा-- नैसर्गिक सुख --राजेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव ‘’कल्‍लो....कल्‍लो...।‘’ चिल्‍लाते-च...

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मिस्ड कॉल By Sunita Agarwal

आभा अपने पिता की लाडली दो भाइयों की बहिन थी ।उसके एक गलत कदम ने उसे कहाँ से कहाँ पंहुचा दिया था।काश उसने भावनाओं में बहकर गलत कदम नउठाया होता तो आज वो भी किसी घर की रौनक होती।यूँ न...

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मॉ पर लघुकथाएँ By Kishanlal Sharma

बेसहारा--------------"मम्मी,इरा का तुम्हारे साथ निर्वाह नही हो सकता।"उमेश इन्टर मे पढ़ता था।तभी उसे अपने साथ पढ़ने वाली इरा से प्यार हो गया था।इरा क्रिस्चियन थी।रमेश नही चाहता था,उसक...

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छोटू By Deepika Mona

अरे छाया जल्दी चलना, रोज की तरह आज फिर हम लोग बस स्टैंड जाने में लेट हो जाएंगे। ग्रामीण सेवा भी पूरी भर जाएगी। ऐसा कह के दिशा लगभग छाया का हाथ खींचते हुए बस स्टैंड तक ले कर चली गई...

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काला चश्मा By Lalit Rathod

बचपन में पहली बार चश्मा लगाकर किस तरह का चेहरा बनाया होगा याद नहीं, लेकिन हीरो जैसा तो कतई नहीं होगा। मां के जिद पर पहली बार स्कूल के एनुअल फंक्शन में चश्मा पहनकर डांस करने पर राजी...

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इंसानियत By S Sinha

कहानी - इंसानियत मैं पूरे दो साल बाद बेटे के साथ पटना आया था . बंगलुरु से पटना तक तो फ्लाइट से आया , पर पटना से अपने गाँव तारेगना तक एक घंट...

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इंदौरी पोहे By Ratna Raidani

रजत ने फ्रिज खोलकर अंदर निगाहें घुमायी। ठूंस ठूंस कर भरे हुए फ्रिज में जहां कभी एक कटोरी भी रखने की जगह नहीं होती थी, वह आज वीरान सुनसान सड़क की तरह दिखाई दे रहा था। सिर्फ कुछ उबले...

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जीवन - साथी By Kusum

"उनकी सूनी-सूनी आंखें बार बार दरवाजे पर जाकर लौट आती।" मन मैं अजीब सी बैचैनी महसूस कर रहे थे। लेकिन उन्हें यह समझ नही आ रहा था, कि ऐसा क्यों हो रहा है। बहू जाते - जाते नाश्ता बनाकर...

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समर्पण By Sunita Agarwal

आज एक बार फिर उसे मन मारना पड़ा । कई दिनों से सोच रही थी कि समीर घर की मरम्मत करायेंगे तो ये करवाउंगी वो करवाउंगी क्योंकि समीर तो सारा दिन आफिस में रहते हैं में ही घर में रहती हूँ त...

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फ़ोटो By amitaabh dikshit

अपनी गाड़ी वर्कशाप में देने के बाद, मैं चौराहे की ओर बस स्टैंड की तरफ निकल गया। शायद इस गरज से कि बस या टैक्सी कुछ भी मिल जाये तो घर चला जाय। इस चिलचिलाती धूप में पैदल जाने से तो ब...

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दो ध्रुवों पर मित्रता के रंग  By कल्पना मनोरमा

दो ध्रुवों पर मित्रता के रंग “हेलो सुजाता, क्या मैं अभी बात कर सकती हूँ ?”“हाँ हाँ क्यों नहीं | दिन में दो से चार बार फोन करोगी और बार-बार क्या यही पूछती रहोगी...|”“अरे यार….तुम...

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फैसला By अनुभूति अनिता पाठक

आज छः महीने की कैद के बाद सिया आख़िरकार घर आ गयी। अपनी बेटी को गले लगाकर खूब रोई, खूब प्यार किया और रो - रोकर अपने अंदर का सारा गुब़ार निकाल लिया। सास - ससूर ने भी अपनी खुशी प्रकट...

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एक अनोखा दिन By Vinayak Potdar

आज सुबह से ही मैं बड़ी अच्छे मूड में थी। चाहे आज देर से उठी और तैयार होकर ऑफिस निकलने के लिए देर होने वाली थी पर इससे मुझे कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला था। आखिर महीने में एक दिन लेट...

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लिखी हुई इबारत - 5 By Jyotsana Kapil

9 - दंड गाड़ी से उतरकर , बहुत आत्म विश्वास के साथ धीरज ने अपना चेहरा मोबाइल की स्क्रीन में देखा। नोटों से भरे हुए सूटकेस को हल्के से थपथपाया।आज एक और तथाकथित...

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नींव की ईंट By राजेश ओझा

वह बूढ़ी औरत पसीने से तर-बतर थी..पर बूढ़ी हड्डियों में जोश और उत्साह देखते बनता था..सर पर तीन ईंटे तूली कपड़े में बांधे लिये चली जा रही थी..शरीर धूल धूसरित..पर चेहरे पर उत्साही चमक...

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सफेद रंग - भाग 2 By Namita Verma

मुन्नी जैसे तैसे होश को संभालते हुए घर पहुँची एक अदना सी उम्मीद लिए,कि शायद उसके बाबा उसके साथ ऐसा नहीं करेंगे, उसकी ये सारी शंकाऐ तो अब सिर्फ बाबा ही दूर कर सकते थे,(उम्मीदों को ल...

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कोरोना पॉजिटिव By RISHABH PANDEY

"चलिए लाइन से आइए, एक दूसरे से पर्याप्त दूरी बनाए रखिये, तुम्हरा मास्क कहा है?? तुम्हे समझ नही आता क्या तब से एलाउंस किया जा रहा है कि बिना मास्क के कोई भी यहा नही आएगा" - मुन्नी ल...

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ज़िन्दगी की धूप-छाँव - 11 By Harish Kumar Amit

ज़िन्दगी की धूप-छाँव हरीशं कुमार ’अमित' हिसाब दफ़्तर में उसकी बगलवाली सीट पर बैठनेवाली सहकर्मी रोज़ाना के वक़्त से आधा घंटा देर से आई. उसने गौर से उसे देखा. सहकर्मी का चेहरा मुर्झ...

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सुलझती गाँठे By Ratna Raidani

डॉक्टर मोहित एक मशहूर मनोरोग चिकित्सक थे जो रिटायरमेंट के बाद अपने गृहनगर कुन्नूर में अपनी सेवायें दे रहे थे। रोज की तरह आज भी जैसे ही उन्होंने क्लीनिक में प्रवेश किया, कुछ लोग पहल...

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एक नदी की प्रेम कहानी By Sheetal

नदी का एक बहुत पुराना प्रेमी है गगन, दोनों एक दूसरे को सदियों से देखते चले आ रहे थे. दोनों ने कई हज़ार साल एक दूसरे को देखा, देखते देखते दोनों में प्यार हो गया. नदी ने कहा हम ज़रूर म...

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चिट्ठी आई है ! By Amit Singh

भले ही चिट्ठियों का आना-जाना अब बीते वक़्त की बात लगती हो, लेकिन इसे चाहने वाले आज भी कम नहीं हैं | अब भी हमारे मन के किसी कोने-अँतरे में यह चाह रहती है कि काश, मेरे नाम भी कोई चिट्...

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ऑनर किलिंग By Akassh Yadav Dev

"ज़िंदगी के खूबसूरत होने के मायने क्या हैं?""तुम्हारी आँखों मे एक टक देखते जाना!""भक...तुम्हे तो बस मौका चाहिए होता है!""लेह...गुस्साती काहे हो?""गुस्सा न करूं तो क्या तुम्हारी आरती...

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प्रेमपत्र By Rama Sharma Manavi

आज तो स्मार्ट फोन का जमाना है।प्रेम हो ,नाराजगी हो,कुशल क्षेम पूछनी हो,आने जाने की सूचना देनी हो या समय बिताने के लिए गॉसिप करना हो,फोन मिलाया हो गई बात, बहुत हुआ तो वीडियो कॉ...

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सड़क By Mukta Priyadarshani

एक दिन फुर्स़त के समय मैं फेसबुक स्क्रॉल कर रही थी कि एक तस्वीर दिखी, वो तस्वीर मेरी एक दोस्त ने शेयर की थी और उसके ऊपर कैप्शन डला था - 'ब्यूटीफुल'। उस तस्वीर को देखते ही ख...

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जल्लाद By Dhruv Mavapuri

हाहाकार चारो तरफ विध्वंस , हर जगह खून ही खून ऐसा लग रहा था मानो आसमान से खून की बारिश हो रही है। अपनी आंखो से देखा हुआ ये नजारा कोई मरते दम तक नहीं भुला पाएगा।बात है भयंकर दिखने वा...

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अनोखी मित्रता - 6 By Payal Sakariya

हमने देखा था कि ( दिशा कहती है advise accepted ... ) अब आगे ....... दिशा आरुष के घर जाती है , आंटी आप से तो कट्टी कर लेनी है , वैसे तो आप कहते है , कि में आपकी बेटी से...

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Single Father By Anil Patel_Bunny

14 अगस्त, मुंबई।मुंबई के एक बंगले में रहते मिस्टर मेहता आज थोड़े से उदास थे। वैसे तो मौका ख़ुशी का था, पर उस ख़ुशी को सेलिब्रेट करने के लिए उनके साथ कोई नहीं था। मेहता जी एक C.A. थे,...

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चुनाव या चुनौती By Ratna Raidani

"लीजिये सर, मिठाई" आलोक ने डब्बा आगे बढ़ाते हुए कहा। आज वो ख़ुशी से फूला नहीं समा रहा था।"अरे वाह आलोक, क्या बात है? आज सुबह सुबह मिठायी?" आलोक के बॉस शिरीष सर ने एक टुकड़ा उठाते हुए...

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पान वाले चाचा By Roushan kumar

पान वाले चाचाआज दीपक फिर से अपनी बचपन की सबसे सुखद पल जहाँ बिता था उसी शहर के लिए निकल पड़ा था, कुछ पुरानी बातों में डूबने,उसे फिर से महशुस करने और सबस...

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बिल्कुल सही वसीयत By S Sinha

कहानी - बिल्कुल सही वसीयत ¨ जीवन के अंतिम पड़ाव में आ कर इतना कष्ट भोगना होगा , ऐसा कभी सोचा भी न था मैंने . ¨ शांति द...

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तेरी आंखों के दरिया का..... By Anand Raj Singh

कुछ बातें हम दिल के किसी कोने में छूपा देते हैं,और इतने गहरे से बांधते हैं कि वो दोबारा हमें ही नहीं मिलते।बस कभी किसी मोड़ पर अचानक वो सामने आ जाता है,और आँख खुली रह जाती है,और हम...

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रिश्तों की डोर By Kusum

तीनो बहनों से राखी बंधवाकर, मेरे अंदर असीम सुख का अनुभव होता है। मेरी तीनों छोटी बहनें राखी से पहले ही शुरू हो जाती हैं, कि, किसको क्या चाहिए। मुझे भी उनकी छोटी-छोटी फरमाइशें पूरी...

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चॉकलेट By SURENDRA ARORA

चॉकलेट उसने जब से होश संभाला उसका बाप जिसे वो बापू कहता था, उसके लिए हर शाम दफ्तर से लौटते हुए एक चॉकलेट लाता और उसे अपनी गोद में भरकर भरपूर प्यार करता । उसके बाद अपनी पतलून की जेब...

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कैपेचीनो By Anuj Tiwari

कैपेचीनो कुछ कहानियाँ सत्यता के इतने करीब होती हैं कि कहानियां लगती ही नहीं और कुछ हकीकतें वक़्त के साथ ऐसी हो जाती हैं जो पूरी ज़िंदगी सिर्फ कहानियों सी लगने लगती हैं। ऐसी ही एक...

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बरसात की अनकही दास्ताँ By Ankusha Bulkunde

दो साल पहले की बात है | बरसात का सीजन था| सुबह के आठ बजे थे| मैं रोज़ की तरह टीवी देखने बैठ गया| लाइव न्यूज़ चल रही थी," काल रात की भारी बरसात के वजह से सड़कों पर पा...

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वो बारह घण्टे का पसीना By AKANKSHA SRIVASTAVA

जमीन जल चुकी आसमा बाकी है सूखे हुए कुएं तुम्हारा इम्तिहान बाकी है, ऐ- बादल बरस जाना इस बार भी समय पर किसी का मकान गिरवी तो किसी की लगन फीकी है, टपकते है छत उसके कच्चे इमारतों के फि...

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तिरस्कृत By Neerja Pandey

जल्दी जल्दी हाथ चलाते हुए सुमित्रा गरमा गरम परांठे बनाकर सब को दे रही थी। सुबह का नाश्ता सब साथ ही करते थे । फटाफट परांठे सेंक कर सुमित्रा दोनों बेटे बहू और पति को दे रही थी सुबह क...

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सन्देशा - 2 By Vikash Dhyani

हरीश के जाने के दुःख में कमला कभी कभी मायूस हो जाती थी। कभी कभी लगता की जैसे वो एक दिन लौट के वापिस आ जायेगा उसके जाने का दुःख कमला सीने में दबाये बैठी थी ठीक से रो भी नहीं पाई थी।...

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एक उम्मीद - भाग - 2 By Neha Awasthi

अभी तक कहानी में आपने देखा है कि उसकी सास और ससुर का ही जिक्र है पर बेटे का नहीं क्योंकि उनका बेटा बस अपनी मां के इशारे पर चलता है, उसमें अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करने की छमता नहीं...

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तुम और मैं - 3 By Rahul Pandey

तुम और मैं - अध्याय - 3 ( दूरियाँ ) — बचपन के कुछ किस्सों और कहानियों से निकाली गई एक छोटी सी लेखनी है। मैं Rahul Pandey ( poetpahadi ) आशा करता हूँ की आपको यह कोशिश ज़रूर पंसद आये...

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खिलवत By Mukta Priyadarshani

झुर्रियों से भरी देह, पके हुए बाल, थकी हुई आँखें, पसीने से लथपथ जगह-जगह से फ़टी हुई कमीज़, माथे से टपकती मेहनत की बूंदें और कमज़ोर, बेबस व पीड़ा से कराहते पैर जो शक्तिहीन होते हुए...

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प्यारे भैया By Priyanka Jangir

यह कहानी सत्यता पर आधारित हैं | इस कहानी में भाई बहन के रिश्ते को दर्शाया गया हैं, की भाई बहन का रिश्ता कितना अटूट होता हैं

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नैसर्गिक सुख By rajendra shrivastava

लघु कथा-- नैसर्गिक सुख --राजेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव ‘’कल्‍लो....कल्‍लो...।‘’ चिल्‍लाते-च...

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मिस्ड कॉल By Sunita Agarwal

आभा अपने पिता की लाडली दो भाइयों की बहिन थी ।उसके एक गलत कदम ने उसे कहाँ से कहाँ पंहुचा दिया था।काश उसने भावनाओं में बहकर गलत कदम नउठाया होता तो आज वो भी किसी घर की रौनक होती।यूँ न...

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मॉ पर लघुकथाएँ By Kishanlal Sharma

बेसहारा--------------"मम्मी,इरा का तुम्हारे साथ निर्वाह नही हो सकता।"उमेश इन्टर मे पढ़ता था।तभी उसे अपने साथ पढ़ने वाली इरा से प्यार हो गया था।इरा क्रिस्चियन थी।रमेश नही चाहता था,उसक...

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छोटू By Deepika Mona

अरे छाया जल्दी चलना, रोज की तरह आज फिर हम लोग बस स्टैंड जाने में लेट हो जाएंगे। ग्रामीण सेवा भी पूरी भर जाएगी। ऐसा कह के दिशा लगभग छाया का हाथ खींचते हुए बस स्टैंड तक ले कर चली गई...

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काला चश्मा By Lalit Rathod

बचपन में पहली बार चश्मा लगाकर किस तरह का चेहरा बनाया होगा याद नहीं, लेकिन हीरो जैसा तो कतई नहीं होगा। मां के जिद पर पहली बार स्कूल के एनुअल फंक्शन में चश्मा पहनकर डांस करने पर राजी...

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इंसानियत By S Sinha

कहानी - इंसानियत मैं पूरे दो साल बाद बेटे के साथ पटना आया था . बंगलुरु से पटना तक तो फ्लाइट से आया , पर पटना से अपने गाँव तारेगना तक एक घंट...

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इंदौरी पोहे By Ratna Raidani

रजत ने फ्रिज खोलकर अंदर निगाहें घुमायी। ठूंस ठूंस कर भरे हुए फ्रिज में जहां कभी एक कटोरी भी रखने की जगह नहीं होती थी, वह आज वीरान सुनसान सड़क की तरह दिखाई दे रहा था। सिर्फ कुछ उबले...

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जीवन - साथी By Kusum

"उनकी सूनी-सूनी आंखें बार बार दरवाजे पर जाकर लौट आती।" मन मैं अजीब सी बैचैनी महसूस कर रहे थे। लेकिन उन्हें यह समझ नही आ रहा था, कि ऐसा क्यों हो रहा है। बहू जाते - जाते नाश्ता बनाकर...

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समर्पण By Sunita Agarwal

आज एक बार फिर उसे मन मारना पड़ा । कई दिनों से सोच रही थी कि समीर घर की मरम्मत करायेंगे तो ये करवाउंगी वो करवाउंगी क्योंकि समीर तो सारा दिन आफिस में रहते हैं में ही घर में रहती हूँ त...

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फ़ोटो By amitaabh dikshit

अपनी गाड़ी वर्कशाप में देने के बाद, मैं चौराहे की ओर बस स्टैंड की तरफ निकल गया। शायद इस गरज से कि बस या टैक्सी कुछ भी मिल जाये तो घर चला जाय। इस चिलचिलाती धूप में पैदल जाने से तो ब...

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दो ध्रुवों पर मित्रता के रंग  By कल्पना मनोरमा

दो ध्रुवों पर मित्रता के रंग “हेलो सुजाता, क्या मैं अभी बात कर सकती हूँ ?”“हाँ हाँ क्यों नहीं | दिन में दो से चार बार फोन करोगी और बार-बार क्या यही पूछती रहोगी...|”“अरे यार….तुम...

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