hindi Best Short Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • कुछ खट्टी कुछ मीठी

    लघुकथा ( कुछ खट्टी कुछ मीठी✍?)------------------------------------------"मम्मी ज...

  • दिवाली के बाद

    सुमित आज बड़ा खुश था उसका ऑफिस में प्रमोशन हो गया था अब वह एक टेलिकॉम कंपनी का सी...

  • जिम्मेदारी

    अपनी किताब हाथ में लिए मैं बहुत देर से बस पन्ने ही पलटे जा रही थी। दो महीने बाद...

शराब By Saadat Hasan Manto

“आप के मुँह से बू क्यों आ रही है”

“कैसी बू?”

“जैसी पहले आया करती थी मुझे बनाने की कोशिश न कीजिए”

“लाहौल वला, तुम बनी बनाई हो, तुम्हें कौन बना सकता है”

“आप बात टाल क...

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फोन की घंटी - 1 By Saroj Prajapati

फोन की घंटीसंडे का दिन यानी कि सप्ताह का सबसे व्यस्त दिन और अगर आप वर्किंग वूमेन है तो समझ लीजिए ! मैं भी उनमें से एक ही हूं। दोपहर के 3:00 बज गए । मैंने जल्दी जल्दी हाथ चलाना शुरू...

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कचहरी By Ved Prakash Tyagi

कचहरी अपने परिवार के साथ सोहन एक फ्लैट में रह रहा था, छोटा भाई भी साथ में ही रहता था। दो कमरो वाले फ्लैट में एक कमरा तो अपना निजी और दूसरा कमरा आने जाने वालों के लिए रखा हुआ था। कु...

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वालिद साहब By Saadat Hasan Manto

तौफ़ीक़ जब शाम को कलब में आया तो परेशान सा था।

दोबार हारने के बाद उस ने जमील से कहा। “लो भई मैं चला।”

जमील ने तौफ़ीक़ के गोरे चिट्टे चेहरे की तरफ़ ग़ौर से देखा और कहा। “इतनी...

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कुछ खट्टी कुछ मीठी By Pushp Saini

लघुकथा ( कुछ खट्टी कुछ मीठी✍?)------------------------------------------"मम्मी जी !मम्मी जी जल्दी चलिये "। कृति ने अपनी सास से कहा " क्या हुआ, क्या आफ़त आ गई "। सरोज ने कहा " मम्मी...

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दोस्ती By Shweta Misra

कुमुद तीन भाइयों की एकलौती बहन और मैथिली एकलौती संतान अपने माँ बाप की l दोनों ही के कुछ निश्चित दायरे थे जिसे दोनों के माता पिता ने तय कर रखे थे l कुमुद के पिता का स्थानान्तरण उस श...

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अफ़सोस By Pranav Vishvas

बात उस रीयूनियन पार्टी की है जहाँ मुझे और साहिल को अपने स्कूल के दोस्तों से दोबारा मिलने का मौका मिला हम पार्टी में पहुँचे और जैसे सभी दोस्त हमारा ही इंतज़ार कर रहे थे, हम सब बहुत ख...

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दिवाली के बाद By Swati Grover

सुमित आज बड़ा खुश था उसका ऑफिस में प्रमोशन हो गया था अब वह एक टेलिकॉम कंपनी का सीनियर मैनेजर बन चुका था । सब उसे ऑफिस में बधाईयाँ देते हुए उसके द्वारा दी गई पार्टी का आनंद ले रहे थे...

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जिम्मेदारी By Monika kakodia

अपनी किताब हाथ में लिए मैं बहुत देर से बस पन्ने ही पलटे जा रही थी। दो महीने बाद मेरी एम.बी.ए प्रवेश की परीक्षा होने वाली थी।कई दिनों की मशक्कत के बाद आज मैंने ये दृढ़ निश्चय किया कि...

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हिटलर की प्रेमकथा - 3 By Kusum Bhatt

गौरी, राधा, सीना परी और माँ का गला रूँध गया था... असूज (अश्विन) का महीना काल बनकर उतरा... खा गई अपनी नानी... हाँ... तू खा गई’’, मेरी माँ ने मुझे कोसा था।
मैं सिसकते हुए बोली, ‘‘ना...

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पुत्रमोह By Madhudeep

1 - पुत्रमोह
2 - बिना सिर का धड़
3 - निदान

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अख़बार By Ajay Kumar Awasthi

आज सुबह अखबार देर से आया ...... आज सुबह झुंझलाहट हो रही थी. तेज बारिश हो रही थी,लाईट गोल और 8 बज रहे थे अखबार नहीं आया था. बहुत गुस्सा आ रहा था,हाकर से लेकर एजेंसी वाले से लेकर...

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माफ़ी By Saroj Prajapati

रमेश बाबू की पत्नी को लास्ट स्टेज का कैंसर बता डॉक्टरों ने दिल्ली एम्स रेफर कर दिया। वैसे रमेश बाबू ने अपने जीवन में कभी पत्नी को उतना महत्व नहीं दिया। उनके लिए तो मां और बड़ी बहिन...

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हवन एक परिवर्तन By Swati Grover

शाम से ही कल्याणी देवी की कोठी में हवन की तैयारी चल रही थी। कोठी में केवल शोर उन्हीं का शोर सुनाई दे रहा था। सभी मुलाजिम बड़ी ही तत्परता से घर के सारे काम निपटा रहे थे। कल्याणी देव...

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गधे का दर्द By Ajay Amitabh Suman

अपना गधा संपन्न था , पर सुखी नहीं। दर्द तो था , पर इसका कारण पता नहीं चल रहा था। मल्टी नेशनल कंपनी में कार्यरत होते हुए भी , अजीब सी बैचैनी थी। सर झुकाते झुकाते उसकी गर्दन तो टेड़ी...

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यह आषाढ़ का आकाश नहीं है By Sushma Munindra

रोज एक घर खाली हो रहा है।
गॉंव जवार में एक ही खबर सुनाई पड़ती है। चौपाल से ले कर सीवान तक। आज फला अपने परिवार को लेकर अपने लड़के के पास शहर चला गया। आज फला अपने भाई के पास, आज फला अ...

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सुरजू छोरा - 4 By Kusum Bhatt

दो साल पहले का दृश्य धुंध के बीच से उगने लगा... पुजारी के चेहरे पर एक और चेहरा लगा है जो बाहर वाले को अपना कुरूप दिखने नहीं देता, उस समय एक पूरी रात उन्हें नींद नहीं आई बार-बार करव...

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बेटे घर कब आओगे By RAM NIVAS VERMA

आज - कल खुश कम और परेशान इंसान ज्यादा दिखते हैं, जबकि आज के समय में हर कोई कामयाब है और अच्छा पैसा कमा रहा है। फिर ऐसा क्या है ? कि इंसान के पास सब कुछ होते हुए भी वह दुखी रहता है...

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विदाउट यू (WITHOUT YOU)) By Swati Grover

विदाउट यू (WITHOUT YOU))

"यार ! मयंक यह हमारे देश में क्या हो रहा है ? देश में छोटी-छोटी बच्चियों के साथ कैसी दरिंदिगी हो रही हैं । मेरा तो मन कर रहा है जान से मार दूँ।...

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रहमत-ए-खुदा-वंदी के फूल By Saadat Hasan Manto

ज़मींदार, अख़बार में जब डाक्टर राथर पर रहमत-ए-ख़ुदा-वंदी के फूल बरसते थे तो यार दोस्तों ने ग़ुलाम रसूल का नाम डाक्टर राथर रख दिया। मालूम नहीं क्यूँ, इस लिए कि ग़ुलाम रसूल को डाक्टर...

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वर्दी वाली बीवी - 3 By Arpan Kumar

तीन बजकर पचास मिनट पर ‘सिरपूर कागज नगर’ आया। अब आंध्रप्रदेश आ चुका है। स्टेशनों के नाम तेलगू में लिखे जाने दिखने लगे। ‘सिरपूर कागज नगर’ आंध्रप्रदेश के अदीलाबाद जिले में है।
नेवी म...

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उसके हिस्से की जिंदगी By Sushma Munindra

सरलता नहीं सोचती थी उस चुके हुये आदमी में साहस और दृढ़ता बाकी थी। वह फैसले लेना साथ ही सुनियोजित योजनाओं पर विचार करना छोड़ चुका था। थोड़ी दूर तक टहल—डोल कर हजारी कालोनी के अपने आवास...

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सुन्नू By RAM NIVAS VERMA

लेखक - राम निवास 22 जून 2019 रोज की तरह मैं अपने ऑफिस से घर आया तो मैंने किसी पंछी के बच्चे की आवाज़ सुनी, वह आवाज़ एक छोटे कार्टून बॉक्स से आ रही थी जब मैंने उसमे झाँक कर देखा तो...

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गलती किसकी By Anju Gupta

जून की चिलचिलाती धूप में सुधा अभी घर के बाहर पहुँची ही थी कि उसे घर के अंदर से कुछ आवाजें सुनाई दीं । उसकी जेठानी और पड़ौसन बैठी उसी की बातें कर रही थीं । उसकी जेठानी कह रही थी – “...

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पागल By Sarvesh Saxena

अभी कुछ ही देर हुई थी मुझे दुकान खोले कि बच्चों का शोर, सीटी और तालियां सुनाई देने लगी, दुकान से बाहर आकर देखा तो फिर वही रोज की कहानी, ये आजकल के बच्चे भी ना जरा भी भावनाये नहीं ह...

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शुभ सात कदम By Sushma Munindra

जैसे ही हम पहला फेरा लेते हैं, तुम मेरी आत्मा, साथी, गृहस्वामिनी और पथ प्रदर्शक बन जाती हो।
प्रजापति विवाह के ये कौल करार दिल बहलाने के लिये उम्दा हैं वरना पति, पत्नी को अपनी आत्म...

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वह भूखी और गन्दी लड़की By Kusum Bhatt

पहली नजर में मैंने उसे पहचाना ही नहीं, पहचानती भी कैसे उसकी तब्दीली की तो सपने मंे भी कल्पना नहीं कर सकती थी मैं, वैसे भी कल्पना करने की जरूरत ही नहीं थी। उसे तो तभी मैं अपनी स्मृत...

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तब राहुल सांकृत्यायन को नहीं पढ़ा था - 4 By Arpan Kumar

उसके पिता उस समय गाँव में नहीं थे। अपने बैंक की ओर से ऑडिट करने वे बक्सर तरफ़ के गाँवों में थे। रात भर में ही लाली देवी की हालत ऐसी हो गई जैसे उसका दस किलो वज़न घट गया हो। लोग उसको स...

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शराब By Saadat Hasan Manto

“आप के मुँह से बू क्यों आ रही है”

“कैसी बू?”

“जैसी पहले आया करती थी मुझे बनाने की कोशिश न कीजिए”

“लाहौल वला, तुम बनी बनाई हो, तुम्हें कौन बना सकता है”

“आप बात टाल क...

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फोन की घंटी - 1 By Saroj Prajapati

फोन की घंटीसंडे का दिन यानी कि सप्ताह का सबसे व्यस्त दिन और अगर आप वर्किंग वूमेन है तो समझ लीजिए ! मैं भी उनमें से एक ही हूं। दोपहर के 3:00 बज गए । मैंने जल्दी जल्दी हाथ चलाना शुरू...

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कचहरी By Ved Prakash Tyagi

कचहरी अपने परिवार के साथ सोहन एक फ्लैट में रह रहा था, छोटा भाई भी साथ में ही रहता था। दो कमरो वाले फ्लैट में एक कमरा तो अपना निजी और दूसरा कमरा आने जाने वालों के लिए रखा हुआ था। कु...

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वालिद साहब By Saadat Hasan Manto

तौफ़ीक़ जब शाम को कलब में आया तो परेशान सा था।

दोबार हारने के बाद उस ने जमील से कहा। “लो भई मैं चला।”

जमील ने तौफ़ीक़ के गोरे चिट्टे चेहरे की तरफ़ ग़ौर से देखा और कहा। “इतनी...

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कुछ खट्टी कुछ मीठी By Pushp Saini

लघुकथा ( कुछ खट्टी कुछ मीठी✍?)------------------------------------------"मम्मी जी !मम्मी जी जल्दी चलिये "। कृति ने अपनी सास से कहा " क्या हुआ, क्या आफ़त आ गई "। सरोज ने कहा " मम्मी...

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दोस्ती By Shweta Misra

कुमुद तीन भाइयों की एकलौती बहन और मैथिली एकलौती संतान अपने माँ बाप की l दोनों ही के कुछ निश्चित दायरे थे जिसे दोनों के माता पिता ने तय कर रखे थे l कुमुद के पिता का स्थानान्तरण उस श...

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अफ़सोस By Pranav Vishvas

बात उस रीयूनियन पार्टी की है जहाँ मुझे और साहिल को अपने स्कूल के दोस्तों से दोबारा मिलने का मौका मिला हम पार्टी में पहुँचे और जैसे सभी दोस्त हमारा ही इंतज़ार कर रहे थे, हम सब बहुत ख...

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दिवाली के बाद By Swati Grover

सुमित आज बड़ा खुश था उसका ऑफिस में प्रमोशन हो गया था अब वह एक टेलिकॉम कंपनी का सीनियर मैनेजर बन चुका था । सब उसे ऑफिस में बधाईयाँ देते हुए उसके द्वारा दी गई पार्टी का आनंद ले रहे थे...

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जिम्मेदारी By Monika kakodia

अपनी किताब हाथ में लिए मैं बहुत देर से बस पन्ने ही पलटे जा रही थी। दो महीने बाद मेरी एम.बी.ए प्रवेश की परीक्षा होने वाली थी।कई दिनों की मशक्कत के बाद आज मैंने ये दृढ़ निश्चय किया कि...

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हिटलर की प्रेमकथा - 3 By Kusum Bhatt

गौरी, राधा, सीना परी और माँ का गला रूँध गया था... असूज (अश्विन) का महीना काल बनकर उतरा... खा गई अपनी नानी... हाँ... तू खा गई’’, मेरी माँ ने मुझे कोसा था।
मैं सिसकते हुए बोली, ‘‘ना...

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पुत्रमोह By Madhudeep

1 - पुत्रमोह
2 - बिना सिर का धड़
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अख़बार By Ajay Kumar Awasthi

आज सुबह अखबार देर से आया ...... आज सुबह झुंझलाहट हो रही थी. तेज बारिश हो रही थी,लाईट गोल और 8 बज रहे थे अखबार नहीं आया था. बहुत गुस्सा आ रहा था,हाकर से लेकर एजेंसी वाले से लेकर...

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माफ़ी By Saroj Prajapati

रमेश बाबू की पत्नी को लास्ट स्टेज का कैंसर बता डॉक्टरों ने दिल्ली एम्स रेफर कर दिया। वैसे रमेश बाबू ने अपने जीवन में कभी पत्नी को उतना महत्व नहीं दिया। उनके लिए तो मां और बड़ी बहिन...

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हवन एक परिवर्तन By Swati Grover

शाम से ही कल्याणी देवी की कोठी में हवन की तैयारी चल रही थी। कोठी में केवल शोर उन्हीं का शोर सुनाई दे रहा था। सभी मुलाजिम बड़ी ही तत्परता से घर के सारे काम निपटा रहे थे। कल्याणी देव...

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गधे का दर्द By Ajay Amitabh Suman

अपना गधा संपन्न था , पर सुखी नहीं। दर्द तो था , पर इसका कारण पता नहीं चल रहा था। मल्टी नेशनल कंपनी में कार्यरत होते हुए भी , अजीब सी बैचैनी थी। सर झुकाते झुकाते उसकी गर्दन तो टेड़ी...

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यह आषाढ़ का आकाश नहीं है By Sushma Munindra

रोज एक घर खाली हो रहा है।
गॉंव जवार में एक ही खबर सुनाई पड़ती है। चौपाल से ले कर सीवान तक। आज फला अपने परिवार को लेकर अपने लड़के के पास शहर चला गया। आज फला अपने भाई के पास, आज फला अ...

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सुरजू छोरा - 4 By Kusum Bhatt

दो साल पहले का दृश्य धुंध के बीच से उगने लगा... पुजारी के चेहरे पर एक और चेहरा लगा है जो बाहर वाले को अपना कुरूप दिखने नहीं देता, उस समय एक पूरी रात उन्हें नींद नहीं आई बार-बार करव...

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बेटे घर कब आओगे By RAM NIVAS VERMA

आज - कल खुश कम और परेशान इंसान ज्यादा दिखते हैं, जबकि आज के समय में हर कोई कामयाब है और अच्छा पैसा कमा रहा है। फिर ऐसा क्या है ? कि इंसान के पास सब कुछ होते हुए भी वह दुखी रहता है...

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विदाउट यू (WITHOUT YOU)) By Swati Grover

विदाउट यू (WITHOUT YOU))

"यार ! मयंक यह हमारे देश में क्या हो रहा है ? देश में छोटी-छोटी बच्चियों के साथ कैसी दरिंदिगी हो रही हैं । मेरा तो मन कर रहा है जान से मार दूँ।...

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रहमत-ए-खुदा-वंदी के फूल By Saadat Hasan Manto

ज़मींदार, अख़बार में जब डाक्टर राथर पर रहमत-ए-ख़ुदा-वंदी के फूल बरसते थे तो यार दोस्तों ने ग़ुलाम रसूल का नाम डाक्टर राथर रख दिया। मालूम नहीं क्यूँ, इस लिए कि ग़ुलाम रसूल को डाक्टर...

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वर्दी वाली बीवी - 3 By Arpan Kumar

तीन बजकर पचास मिनट पर ‘सिरपूर कागज नगर’ आया। अब आंध्रप्रदेश आ चुका है। स्टेशनों के नाम तेलगू में लिखे जाने दिखने लगे। ‘सिरपूर कागज नगर’ आंध्रप्रदेश के अदीलाबाद जिले में है।
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उसके हिस्से की जिंदगी By Sushma Munindra

सरलता नहीं सोचती थी उस चुके हुये आदमी में साहस और दृढ़ता बाकी थी। वह फैसले लेना साथ ही सुनियोजित योजनाओं पर विचार करना छोड़ चुका था। थोड़ी दूर तक टहल—डोल कर हजारी कालोनी के अपने आवास...

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सुन्नू By RAM NIVAS VERMA

लेखक - राम निवास 22 जून 2019 रोज की तरह मैं अपने ऑफिस से घर आया तो मैंने किसी पंछी के बच्चे की आवाज़ सुनी, वह आवाज़ एक छोटे कार्टून बॉक्स से आ रही थी जब मैंने उसमे झाँक कर देखा तो...

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गलती किसकी By Anju Gupta

जून की चिलचिलाती धूप में सुधा अभी घर के बाहर पहुँची ही थी कि उसे घर के अंदर से कुछ आवाजें सुनाई दीं । उसकी जेठानी और पड़ौसन बैठी उसी की बातें कर रही थीं । उसकी जेठानी कह रही थी – “...

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पागल By Sarvesh Saxena

अभी कुछ ही देर हुई थी मुझे दुकान खोले कि बच्चों का शोर, सीटी और तालियां सुनाई देने लगी, दुकान से बाहर आकर देखा तो फिर वही रोज की कहानी, ये आजकल के बच्चे भी ना जरा भी भावनाये नहीं ह...

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शुभ सात कदम By Sushma Munindra

जैसे ही हम पहला फेरा लेते हैं, तुम मेरी आत्मा, साथी, गृहस्वामिनी और पथ प्रदर्शक बन जाती हो।
प्रजापति विवाह के ये कौल करार दिल बहलाने के लिये उम्दा हैं वरना पति, पत्नी को अपनी आत्म...

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वह भूखी और गन्दी लड़की By Kusum Bhatt

पहली नजर में मैंने उसे पहचाना ही नहीं, पहचानती भी कैसे उसकी तब्दीली की तो सपने मंे भी कल्पना नहीं कर सकती थी मैं, वैसे भी कल्पना करने की जरूरत ही नहीं थी। उसे तो तभी मैं अपनी स्मृत...

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तब राहुल सांकृत्यायन को नहीं पढ़ा था - 4 By Arpan Kumar

उसके पिता उस समय गाँव में नहीं थे। अपने बैंक की ओर से ऑडिट करने वे बक्सर तरफ़ के गाँवों में थे। रात भर में ही लाली देवी की हालत ऐसी हो गई जैसे उसका दस किलो वज़न घट गया हो। लोग उसको स...

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