hindi Best Short Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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आकांक्षा By Mukteshwar Prasad Singh

आकांक्षाचार वर्षीया आकांक्षा अपने पड़ोस में होने वाली श्यामा की शादी में माँ शान्ति के साथ गयी थी। बारात के साथ वीरपुर (नेपाल) का विराट बैण्ड आया था। इस कोसी इल...

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मोज़ील By Saadat Hasan Manto

त्रिलोचन ने पहली मर्तबा....... चार बरसों में पहली मर्तबा रात को आसमान देखा था और वो भी इस लिए कि उस की तबीयत सख़्त घबराई हुई थी और वो महज़ खुली हवा में कुछ देर सोचने के लिए अडवानी च...

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एहसास By Anju Gupta

किशोरावस्था शायद होती ही ऐसी है कि दिल नित नए सपने देखने लगता है ! बचपन से किताबों से दिल लगाने वाली सुमि भी इस नए एहसास से अछूती ना रही ! बाहरवीं के पेपर हो चुके थे और रिजल्ट आने...

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पत्तियाँ By ALOK SHARMA

आकाश अपने माता पिता का इकलौता पुत्र था। उसके माता पिता उसे दुनिया में बहुत ही प्रिय थे । यही कुछ 6- 7 वर्ष उम्र होगी उसकी, परंतु उसने अपनी माँ को फोटो में ही देखा था। क्योंकि उसकी...

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आलमारी By Ajay Kumar Awasthi

*वो पुरानी लकड़ी की आलमारी* वो पुरानी लकड़ी की आलमारी ,,,आज भी उस पुराने कमरे मे जो वैसा का वैसा ही है, उसके एक कोने में धरी की धरी है । नए कमरे बन गए । सब लोग नई जगह में, नए रंगरोगन...

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खुशी By Bhupendra kumar Dave

खुशी -- भूपेन्द्र कुमार दवे वह बच्ची जिसे हम खुशी नाम से जानेंगे जन्म लेते समय अपनी माँ की पीड़ा देख द्रवित हो उठी। उसने ईश्वर से कहा, ‘हे ईश्वर! मुझसे अपनी माँ की पीड़ा देखी नहीं...

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बेटे की मा By Kusum Bhatt

माँ के चेहरे पर धूप की चिड़िया फुदक रही है, मन नही मन ढेरों मन्सूबे बनाती माँ बेटियों के बीच उदारमता हो रही है। इतनी कोमल और मीठी आवाज में माँ को ये पहली बार सुन रही है। पूर्वी माँ...

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तब राहुल सांकृत्यायन को नहीं पढ़ा था - 3 By Arpan Kumar

भाषा के भिन्न-भिन्न लहजों और लोगों की भागम-भाग के बीच एक नए माहौल में स्वयं को तैयार करता अनुरंजन अपने अगले कदम की तैयारी कर ही रहा था कि सहसा उसे अपने कंधे पर किसी की हथेली का स्प...

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सपने और नियति By Sushma Munindra

एक मुकम्मल परिभाषा देकर सपनों को डिफाइन नहीं किया जा सकता। केाई नहीं जानता सपने क्या हैं ? कैसे बनते हैं ? क्यों बनते हैं ? सपनों की एक वास्तविकता होती है या एकदम अवास्तविक होते है...

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कल्लू-बल्लू By Ajay Kori

 "कल्लू - बल्लू"ठंड का वो मौसम था... सुबह के 7:00 am बज चुके थे...। आज का मौसम भी बहुत अजीब था .. वैसे रोज़ मैं सुबह उठता नहीं था... लेकिन चिड़ियों की चेहकती आवाज़ से मैं उठ ज...

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नदी बहती रही.... - 2 By Kusum Bhatt

सलोनी-शेखर को एक साथ जाते देखती तो प्रश्नों के तीर मारती, उनके चेहरे की भाव भंगिमा देखकर रचना धीरे से कहती दोनों बचपन से दोस्त हैं... इसीलिए शेखर सलोनी को लेने आता है...
उसको आत्म...

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ओ पी डी By Ved Prakash Tyagi

ओ पी डी प्रदीप भाई ये लो गरमा गरम कॉफी और पीकर बताओ मैंने भाभी से अच्छी बनाई या नहीं........ हाँ राजेश तूने कॉफी बहुत अच्छी बनाई है लेकिन तेरी भाभी के हाथों में भी जादू है....... अ...

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मेरा और उसका इंतिक़ाम By Saadat Hasan Manto

घर में मेरे सिवा कोई मौजूद नहीं था। पिता जी कचहरी में थे और शाम से पहले कभी घर आने के आदी न थे। माता जी लाहौर में थीं और मेरी बहन बिमला अपनी किसी सहेली के हाँ गई थी! मैं तन्हा अपने...

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प्रेम — रंग, अफवाह, खुशबू By Sushma Munindra

उन्नति ने नहीं सोचा था फेस बुक पर रक्षा मिलेगी।
उन्नति का मन यॅूं भी भटका सा रहता है। जब से बेटी की शादी हुई, बेटा आई.आई.टी. करने खड़गपुर गया वह मानो लैप टॉंप पर अपने मन को भटकने क...

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नदी की उँगलियों के निशान - 2 By Kusum Bhatt

भुवन चाचा के चेहरे पर धूप की तितली बैठी, माधुरी हवा में उड़ी उसके पंख पकड़ कर मैं भी उड़ने लगी....
उस विजन में हम दो लड़कियाँ जिंदगी की नौवीं-दसवीं सीढी पर पांव रखती प्रकृति की भव्यता...

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काँटों से खींच कर ये आँचल - 6 By Rita Gupta

अब अपने आगे के नौ महीने के अज्ञातवास की भी हमें पूरी तयारी करनी थी. एक भी चूक दीक्षा की गृहस्थी के लिए घातक होती.
उसी रात को दीक्षा ने रविश को बताया कि वह मेरे साथ जल्द ही सिडनी,...

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एक अदद फ्लैट - 4 By Arpan Kumar

नंदलाल बैठे हुए सोचने लगे...ये बुज़ुर्ग कोई पैंसठ साल के होंगे। व्यास जी पचपन के और वे स्वयं भी तो पचास पार कर ही गए हैं। अलग अलग उम्र के ये तीनों अधेड़ लोग अपने अपने हिसाब से अपना ज...

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एक गधे का दर्द By Ajay Amitabh Suman

अपना गधा संपन्न था , पर सुखी नहीं। दर्द तो था , पर इसका कारण पता नहीं चल रहा था। मल्टी नेशनल कंपनी में कार्यरत होते हुए भी , अजीब सी बैचैनी थी। सर झुकाते झुकाते उसकी गर्दन तो टेड़ी...

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फ़टीचर आशिक़ By Swati Grover

"नेहा मैं तुमसे प्यार करता हूँ मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता ।" "अमन प्यार से पेट नहीं भरता ज़िन्दगी जीने के लिए और भी चीज़े चाहिए होती है, जैसे कि पैसा या...

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हथेली By Ajay Kumar Awasthi

"जानते है पांडे जी गरीबी के साथ जब दरिद्रता आती है तब जीवन नर्क लगता है ,,,,' अपनी कटी हुई हथेली को देखते हुए राज ने कहा,, "पांडे जी, जब गावँ में हम चार भाई साथ साथ थे तब कुल ए...

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परावर्तन By Sushma Munindra

जज ने चोर को सजा सुनाई। चोर ने जज से कहा — साहब सजा मुझे नहीं मेरी मॉं को दो । मॉं ने बचपन में मुझे चोरी करने से रोका होता तो मैं चोर न बनता ——
प्रेरक को यह कहानी सुजान ने सुनाई औ...

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हिवड़ो अगन संजोय By Anju Sharma

ऐ तवा ल्यो, कड़ाही ल्यो, चिमटा ल्यो, दरांत ल्यो .... बलखाती हुई आवाज़ के साथ वह लचककर मूलिया दर्जी की दुकान के नुक्कड़ से घूमी तो चौराहे पर मौजूद नज़रें उसी दिशा में उठ गईं! हर कदम के...

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भोलू और शेरू By Amita Joshi

एक आठ साल का लड़का था नाम था भोलू वो गांव में अपने घर में रहता था और पढ़ने के लिए गांव से दस किलोमीटर दूर एक स्कूल में जाता था उसके घर के आसपास चीड़ के पेड़ों का घना जंगल था जिसम...

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तीसरी आँख By Kusum Bhatt

हमारे बीच युगों की धुंध थी.....
पृथ्वी के इस छोर पर मैं हूँ, दूसरे छोर पर सिगरेट का धुआं उड़ाता वह, पश्चिम में अस्त होने को अकुलाता मेरी उंगली पर टंगा सूरज... मुझे उम्मीद है कल फिर...

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समयरेखा By Anju Sharma

छह बजने में आधा घंटा बाक़ी है और अभी तक तुम तैयार नहीं हुई! पिक्चर निकल जाएगी, जानेमन!!!
मानव ने एकाएक पीछे से आकर मुझे बाँहों में भरते हुए ज़ोर से हिला दिया! बचपन से उसकी आदत थी,...

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खूँटे - 2 By Kusum Bhatt

दूसरी तरफ वह जगह इस पर रामदेई नानी जिसे हम छोटी नानी कहते अलाव जलाया करती थी जाड़े के दिनांे पूरा गांव आकर घेर लेता था अलाव... आँच से दहकते चेहरे बतरस बांटने एक दूसरे से गोया... इतन...

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भरोसा अभी कायम है By Anju Sharma

“किसी गिरोह की दुश्मनी तुम्हे इस बात पर आमादा न कर दे कि इन्साफ से फिर जाओ...इंसाफ करो अगर अल्लाह की रज़ा चाहते हो .....
छोटी मस्जिद से निकली लाउडस्पीकर की आवाज़ पूरे इलाके की फिज़ा...

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हवा में फड़फड़ाती चिट्ठी By Shraddha Thawait

वह ओस से भीगी-धुली सुबह होगी. जब एक जंगल की पगडण्डी में हम यूँ ही टहलते हुए, बहुत दूर निकल जायेंगे. मैं एक खुमारी में चल रहा होऊंगा, तुम्हारे साथ की खुमारी में. तुम क्यों चलती रहोग...

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स्पेस By Seema Jain

रात के नौ बज गए थे, रेखा चिंता के कारण परेशान हो रही थी। पुत्र अभय अभी तक नहीं आया था ना फोन उठा रहा था। ड्राइंग रूम में पति हिमांशु और पुत्री इला टीवी देखने में मस्त थे। एक दो बार...

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सोने की मछली By Amita Joshi

एक नदी किनारे छोटी सी झोपड़ी में चुनमुन नाम की छह साल की लड़की रहती थी दिन भर वो माँ के आसपास उछलती कूदती और माँ के काम में हाथ बंटाती उसके बाबा पास के जंगल में सुबह सवेरे लकड़ी ल...

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करसरा की काजल का कलेजा कसकता है By Sushma Munindra

जो लोग हर स्थिति—परिस्थिति में सकारात्मक भाव रखने का मानस बना लेते हैं, जानते हैं जीवन किसी का भी हो पूर्णतः बाधारहित नहीं होता। इसीलिये ये लोग बाधाओं में भी काम लायक मसला ढॅूंढ़ ले...

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आकांक्षा By Mukteshwar Prasad Singh

आकांक्षाचार वर्षीया आकांक्षा अपने पड़ोस में होने वाली श्यामा की शादी में माँ शान्ति के साथ गयी थी। बारात के साथ वीरपुर (नेपाल) का विराट बैण्ड आया था। इस कोसी इल...

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मोज़ील By Saadat Hasan Manto

त्रिलोचन ने पहली मर्तबा....... चार बरसों में पहली मर्तबा रात को आसमान देखा था और वो भी इस लिए कि उस की तबीयत सख़्त घबराई हुई थी और वो महज़ खुली हवा में कुछ देर सोचने के लिए अडवानी च...

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एहसास By Anju Gupta

किशोरावस्था शायद होती ही ऐसी है कि दिल नित नए सपने देखने लगता है ! बचपन से किताबों से दिल लगाने वाली सुमि भी इस नए एहसास से अछूती ना रही ! बाहरवीं के पेपर हो चुके थे और रिजल्ट आने...

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पत्तियाँ By ALOK SHARMA

आकाश अपने माता पिता का इकलौता पुत्र था। उसके माता पिता उसे दुनिया में बहुत ही प्रिय थे । यही कुछ 6- 7 वर्ष उम्र होगी उसकी, परंतु उसने अपनी माँ को फोटो में ही देखा था। क्योंकि उसकी...

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आलमारी By Ajay Kumar Awasthi

*वो पुरानी लकड़ी की आलमारी* वो पुरानी लकड़ी की आलमारी ,,,आज भी उस पुराने कमरे मे जो वैसा का वैसा ही है, उसके एक कोने में धरी की धरी है । नए कमरे बन गए । सब लोग नई जगह में, नए रंगरोगन...

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खुशी By Bhupendra kumar Dave

खुशी -- भूपेन्द्र कुमार दवे वह बच्ची जिसे हम खुशी नाम से जानेंगे जन्म लेते समय अपनी माँ की पीड़ा देख द्रवित हो उठी। उसने ईश्वर से कहा, ‘हे ईश्वर! मुझसे अपनी माँ की पीड़ा देखी नहीं...

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बेटे की मा By Kusum Bhatt

माँ के चेहरे पर धूप की चिड़िया फुदक रही है, मन नही मन ढेरों मन्सूबे बनाती माँ बेटियों के बीच उदारमता हो रही है। इतनी कोमल और मीठी आवाज में माँ को ये पहली बार सुन रही है। पूर्वी माँ...

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तब राहुल सांकृत्यायन को नहीं पढ़ा था - 3 By Arpan Kumar

भाषा के भिन्न-भिन्न लहजों और लोगों की भागम-भाग के बीच एक नए माहौल में स्वयं को तैयार करता अनुरंजन अपने अगले कदम की तैयारी कर ही रहा था कि सहसा उसे अपने कंधे पर किसी की हथेली का स्प...

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सपने और नियति By Sushma Munindra

एक मुकम्मल परिभाषा देकर सपनों को डिफाइन नहीं किया जा सकता। केाई नहीं जानता सपने क्या हैं ? कैसे बनते हैं ? क्यों बनते हैं ? सपनों की एक वास्तविकता होती है या एकदम अवास्तविक होते है...

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कल्लू-बल्लू By Ajay Kori

 "कल्लू - बल्लू"ठंड का वो मौसम था... सुबह के 7:00 am बज चुके थे...। आज का मौसम भी बहुत अजीब था .. वैसे रोज़ मैं सुबह उठता नहीं था... लेकिन चिड़ियों की चेहकती आवाज़ से मैं उठ ज...

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नदी बहती रही.... - 2 By Kusum Bhatt

सलोनी-शेखर को एक साथ जाते देखती तो प्रश्नों के तीर मारती, उनके चेहरे की भाव भंगिमा देखकर रचना धीरे से कहती दोनों बचपन से दोस्त हैं... इसीलिए शेखर सलोनी को लेने आता है...
उसको आत्म...

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ओ पी डी By Ved Prakash Tyagi

ओ पी डी प्रदीप भाई ये लो गरमा गरम कॉफी और पीकर बताओ मैंने भाभी से अच्छी बनाई या नहीं........ हाँ राजेश तूने कॉफी बहुत अच्छी बनाई है लेकिन तेरी भाभी के हाथों में भी जादू है....... अ...

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मेरा और उसका इंतिक़ाम By Saadat Hasan Manto

घर में मेरे सिवा कोई मौजूद नहीं था। पिता जी कचहरी में थे और शाम से पहले कभी घर आने के आदी न थे। माता जी लाहौर में थीं और मेरी बहन बिमला अपनी किसी सहेली के हाँ गई थी! मैं तन्हा अपने...

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प्रेम — रंग, अफवाह, खुशबू By Sushma Munindra

उन्नति ने नहीं सोचा था फेस बुक पर रक्षा मिलेगी।
उन्नति का मन यॅूं भी भटका सा रहता है। जब से बेटी की शादी हुई, बेटा आई.आई.टी. करने खड़गपुर गया वह मानो लैप टॉंप पर अपने मन को भटकने क...

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नदी की उँगलियों के निशान - 2 By Kusum Bhatt

भुवन चाचा के चेहरे पर धूप की तितली बैठी, माधुरी हवा में उड़ी उसके पंख पकड़ कर मैं भी उड़ने लगी....
उस विजन में हम दो लड़कियाँ जिंदगी की नौवीं-दसवीं सीढी पर पांव रखती प्रकृति की भव्यता...

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काँटों से खींच कर ये आँचल - 6 By Rita Gupta

अब अपने आगे के नौ महीने के अज्ञातवास की भी हमें पूरी तयारी करनी थी. एक भी चूक दीक्षा की गृहस्थी के लिए घातक होती.
उसी रात को दीक्षा ने रविश को बताया कि वह मेरे साथ जल्द ही सिडनी,...

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एक अदद फ्लैट - 4 By Arpan Kumar

नंदलाल बैठे हुए सोचने लगे...ये बुज़ुर्ग कोई पैंसठ साल के होंगे। व्यास जी पचपन के और वे स्वयं भी तो पचास पार कर ही गए हैं। अलग अलग उम्र के ये तीनों अधेड़ लोग अपने अपने हिसाब से अपना ज...

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एक गधे का दर्द By Ajay Amitabh Suman

अपना गधा संपन्न था , पर सुखी नहीं। दर्द तो था , पर इसका कारण पता नहीं चल रहा था। मल्टी नेशनल कंपनी में कार्यरत होते हुए भी , अजीब सी बैचैनी थी। सर झुकाते झुकाते उसकी गर्दन तो टेड़ी...

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फ़टीचर आशिक़ By Swati Grover

"नेहा मैं तुमसे प्यार करता हूँ मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता ।" "अमन प्यार से पेट नहीं भरता ज़िन्दगी जीने के लिए और भी चीज़े चाहिए होती है, जैसे कि पैसा या...

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हथेली By Ajay Kumar Awasthi

"जानते है पांडे जी गरीबी के साथ जब दरिद्रता आती है तब जीवन नर्क लगता है ,,,,' अपनी कटी हुई हथेली को देखते हुए राज ने कहा,, "पांडे जी, जब गावँ में हम चार भाई साथ साथ थे तब कुल ए...

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परावर्तन By Sushma Munindra

जज ने चोर को सजा सुनाई। चोर ने जज से कहा — साहब सजा मुझे नहीं मेरी मॉं को दो । मॉं ने बचपन में मुझे चोरी करने से रोका होता तो मैं चोर न बनता ——
प्रेरक को यह कहानी सुजान ने सुनाई औ...

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हिवड़ो अगन संजोय By Anju Sharma

ऐ तवा ल्यो, कड़ाही ल्यो, चिमटा ल्यो, दरांत ल्यो .... बलखाती हुई आवाज़ के साथ वह लचककर मूलिया दर्जी की दुकान के नुक्कड़ से घूमी तो चौराहे पर मौजूद नज़रें उसी दिशा में उठ गईं! हर कदम के...

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भोलू और शेरू By Amita Joshi

एक आठ साल का लड़का था नाम था भोलू वो गांव में अपने घर में रहता था और पढ़ने के लिए गांव से दस किलोमीटर दूर एक स्कूल में जाता था उसके घर के आसपास चीड़ के पेड़ों का घना जंगल था जिसम...

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तीसरी आँख By Kusum Bhatt

हमारे बीच युगों की धुंध थी.....
पृथ्वी के इस छोर पर मैं हूँ, दूसरे छोर पर सिगरेट का धुआं उड़ाता वह, पश्चिम में अस्त होने को अकुलाता मेरी उंगली पर टंगा सूरज... मुझे उम्मीद है कल फिर...

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छह बजने में आधा घंटा बाक़ी है और अभी तक तुम तैयार नहीं हुई! पिक्चर निकल जाएगी, जानेमन!!!
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खूँटे - 2 By Kusum Bhatt

दूसरी तरफ वह जगह इस पर रामदेई नानी जिसे हम छोटी नानी कहते अलाव जलाया करती थी जाड़े के दिनांे पूरा गांव आकर घेर लेता था अलाव... आँच से दहकते चेहरे बतरस बांटने एक दूसरे से गोया... इतन...

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भरोसा अभी कायम है By Anju Sharma

“किसी गिरोह की दुश्मनी तुम्हे इस बात पर आमादा न कर दे कि इन्साफ से फिर जाओ...इंसाफ करो अगर अल्लाह की रज़ा चाहते हो .....
छोटी मस्जिद से निकली लाउडस्पीकर की आवाज़ पूरे इलाके की फिज़ा...

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हवा में फड़फड़ाती चिट्ठी By Shraddha Thawait

वह ओस से भीगी-धुली सुबह होगी. जब एक जंगल की पगडण्डी में हम यूँ ही टहलते हुए, बहुत दूर निकल जायेंगे. मैं एक खुमारी में चल रहा होऊंगा, तुम्हारे साथ की खुमारी में. तुम क्यों चलती रहोग...

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स्पेस By Seema Jain

रात के नौ बज गए थे, रेखा चिंता के कारण परेशान हो रही थी। पुत्र अभय अभी तक नहीं आया था ना फोन उठा रहा था। ड्राइंग रूम में पति हिमांशु और पुत्री इला टीवी देखने में मस्त थे। एक दो बार...

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सोने की मछली By Amita Joshi

एक नदी किनारे छोटी सी झोपड़ी में चुनमुन नाम की छह साल की लड़की रहती थी दिन भर वो माँ के आसपास उछलती कूदती और माँ के काम में हाथ बंटाती उसके बाबा पास के जंगल में सुबह सवेरे लकड़ी ल...

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करसरा की काजल का कलेजा कसकता है By Sushma Munindra

जो लोग हर स्थिति—परिस्थिति में सकारात्मक भाव रखने का मानस बना लेते हैं, जानते हैं जीवन किसी का भी हो पूर्णतः बाधारहित नहीं होता। इसीलिये ये लोग बाधाओं में भी काम लायक मसला ढॅूंढ़ ले...

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