hindi Best Short Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • पत्ता टूटा डाल से

    गामे की माँ, कुछ सुना तूने, पाई बीमार है बड़ा.....
    ईश्वरी देवी ने अपने सिर की स...

  • हल्की सी रेखा

    पृथ्वी के आधे भाग ने अपने सियामीज जुड़वा भाई, दूसरे आधे भाग को अपनी रात की चादर ओ...

  • मिस फ़र्या

    शादी के एक महीने बाद सुहेल परेशान होगया। उस की रातों की नींद और दिन का चैन हराम...

कांट्रैक्टर - 6 By Arpan Kumar

देखते-देखते एक साल और बीत गया। रजिंदर मित्तल का तीन वर्षों का कार्यकाल पूरा हो चुका था। एक आदेश जारी हुआ और रजिंदर मित्तल रायपुर से दिल्ली के लिए रवाना हुए। जाते-जाते भी टीसीएस ने...

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मिसेस डिकोस्टा By Saadat Hasan Manto

नौ महीने पूरे हो चुके थे।

मेरे पेट में अब पहली सी गड़बड़ नहीं थी। पर मिसिज़ डी कोस्टा के पेट में चूहे दौड़ रहे थे। वो बहुत परेशान थी। चुनांचे मैं आने वाले हादिसे की तमाम अन-जानी त...

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बंद खिड़की खुल गई By Anju Sharma

उस रोज़ सूरज ने दिन को अलविदा कहा और निकल पड़ा बेफिक्री की राह पर! इधर वह बड़ी तेज़ी से भाग रही थी, इस उम्मीद में कि इस सड़क पर हर अगला कदम उसके घर की दहलीज़ के कुछ और करीब ले जाएगा! तेज़...

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लाजवन्ती By Ved Prakash Tyagi

लाजवन्ती मैं तो अपनी बेटी को डॉक्टर बनाऊँगा, नमिता के पेट पर हाथ फिराते हुए राजेन्द्र ने कहा, और अगर बेटा हुआ तो, नमिता ने अपने पेट को दोनों हाथों का सहारा देते हुए पूछा, बेटा हुआ...

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मैं ही क्यों By Ankita Bhargava

उस दिन मनस्वी कॉलेज से आई तो उसे घर का माहौल हर रोज़ से कुछ अलग लगा। मम्मा-पापा कुछ व्यस्त लग रहे थे। उसने उन्हें डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा और अपने कमरे में चली आई। कमरे में एक लि...

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खिलता है बुरांश ! - 2 By Kusum Bhatt

भाई आकुल व्याकुल घर के आगे लान में टहल रहा था, बार बार मोबाइल कान पर लगाता उसे देखते ही झल्ला गया ‘‘ओफ्फो! एक फोन तो कर ही सकती थी न दीदी... कहाँ रह गई इतनी रात.... ‘‘उसने कलाई घड़ी...

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माय फर्स्ट किस By Yayawargi (Divangi Joshi)

डियर डायरी , तुजे पता है न तेरी बातुनी याशु ऊटी जाने वाली थी कॉलेज कैंप के लिए! आज तक मैंने तुजे हर राज़ बताए है ओर बताती भी किसे तेरे अलावा, मैंरी बात सुनता ही कोन है या ये क...

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पत्ता टूटा डाल से By Anju Sharma

गामे की माँ, कुछ सुना तूने, पाई बीमार है बड़ा.....
ईश्वरी देवी ने अपने सिर की सफ़ेद चुन्नी संभालते हुए, घुटनों पर हाथ रख, मंजी पर बैठते हुए ऐलान किया तो मंजी पर बैठी गामे की माँ चौ...

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हल्की सी रेखा By Shraddha Thawait

पृथ्वी के आधे भाग ने अपने सियामीज जुड़वा भाई, दूसरे आधे भाग को अपनी रात की चादर ओढ़ा दी और खुद जाग गया. पहले जुड़वा भाई का दिन ढल गया. एक नयी कहानी लिखकर. नये अनुभवों की पोटलियां लोगो...

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अकेली By Seema Jain

नीलम कमरे में सिर झुकाए बैठी थी, और सब उपस्थित जन झुंझलाहट और गुस्से से उसकी तरफ देख रहे थे। सब की एक ही शिकायत थी बीस दिन से पति अमर अस्पताल में भर्ती था और वह एक बार भी देखने नही...

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इस्तेमाल By Sushma Munindra

रोज की तरह वे सुबह जल्दी जाग गये। पुलिस विभाग की नौकरी ने जल्दी जागने की जो आदत डाल दी है वह सेवा निवृत्ति के बाद भी कायम है। मधु मालती की छतनार बेल पर रात भर सोई समूह भर चिड़िया चह...

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ठाकुर की थाली By Pammy Rajan

मलकु सवेरे-सवेरे ही आकर रघु काका के दरवाजे की सांकल बजाते हुए चिल्लाया - " उठो काका, आज ठाकुर ने उमा को शहर से बुलवाया है। "रघु काका का बेटा उमा शहर में सरकारी विभाग में अफसर...

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डिजिटल भी और सिंगल भी By Ajay Amitabh Suman

पबजी गेम में उसकी शिकारी निगाहें दुश्मनों को बड़ी मुश्तैदी से साफ कर रहीं थी। तकरीबन आधे घंटे की मशक्कत के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगा। हुर्रे, हुर्रे, हिप हिप हुर्रे। आखिकार लेब...

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काँटों से खींच कर ये आँचल - 3 By Rita Gupta

“रेगिस्तान में उगे किसी कैक्टस की ही भांति मेरा जीवन शुष्क और कंटीला है. संभल कर रहना अनुभा कहीं मेरे कांटे तुम्हें भी जख्मी ना कर दें”,
इन्होने कहा तो मैं चौंक गयी कि कैक्टस पर म...

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मिस फ़र्या By Saadat Hasan Manto

शादी के एक महीने बाद सुहेल परेशान होगया। उस की रातों की नींद और दिन का चैन हराम होगया।

उस का ख़याल था कि बच्चा कम अज़ कम तीन साल के बाद पैदा होगा मगर अब एक दम ये मालूम करके उस क...

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नैहर आँचल समाय... By Dr Vinita Rahurikar

नैहर आँचल समाय पूरे पांच साल बाद आ रही थी प्रांजल अपने मायके. लेकिन यह पांच साल उसे युगों जितने लम्बे लग रहे थे. तभी अमेरिका से जब वह दिल्ली आई तो दोनों बच्चों को सास के पास...

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अँधेरे में जुगनू - 2 By Kusum Bhatt

घर से निकलते समय उसने एक बार भी नहीं सोचा। तूफान का मुकाबला करने की ताकत नहीं थी उसमें। पति ने मारपीट की- बच्चों के सामने! ग्लानि हुई! रोज़-रोज़ गाली-गलौज़, मारपीट... तंग आ गयी थी। वह...

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फादर्स डे By Ankita Bhargava

मुझे रात को जल्दी सोने की आदत है। अपने बेटा बहू की तरह मैं देर रात तक जागना पसंद नहीं करता। शाम का खाना जल्दी खाना और खाने के बाद थोड़ी देर टहलने जाना और फिर एक गहरी निद्रा का आनंद...

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दूर है किनारा By Anju Sharma

तपन ने आसमान की ओर सर उठाकर देखा तो कुछ देर बस देखता ही रहा! आकाश तो वहां भी था पर इतना खुला कभी नहीं लगा, खूब खुला, निस्सीम, अनंत! और ये हवा, ये भी तो वहां थी पर इतनी आजाद, इतनी ख...

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मुझे चाँद चाहिए By Shraddha Thawait

एक दिन चाँद को आसमान से धरती में झांकने पर एक झरोखे से निकलती सतरंगी आभा दिखी. चाँद ने आसमान में धीरे से नीचे आकर, थोडा सा झुक कर देखा. उसे पलंग पर बैठी हुई एक लड़की दिखी. वह सतरंगी...

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ट्रांसफर By Swati Grover

"रीमा बहुत-बहुत बधाई हो! आज तुम्हारा सपना पूरा हो गया। तुम्हारा चुनाव आई.ए.एस. के लिए हो गया। तुम्हारा सपना पूरा हो गया। बस तुम अब सारी चिंता छोड़ दो। जहाँ तुम्हारी पोस्टिंग हो वहा...

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फण्डा यह है कि By Sushma Munindra

तीस वर्ष का समय बहुत होता है किसी युवा के स्नायुओं को ढीला और नजर को कमजोर कर बूढ़ा बना देने के लिये। इसीलिये अब खिलाड़ी की धसकती कमर में वह पुष्टता नहीं दिखाई देती जो मूर्तियों की स...

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गली नंबर दो By Anju Sharma

पुत्तर छेत्ती कर, वेख, चा ठंडी होंदी पई ए।
बीजी की तेज़ आवाज़ से उसकी तन्द्रा भंग हुई। रंग में ब्रश डुबोते हाथ थम गए। पिछले एक घंटे में यह पहला मौका था, जब भूपी ने मूर्ति, रंग और ब...

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निवि By Anjali Raghuvanshi

आठ साल हुए, काफी अरसे बाद मैं उनसे मिलने वाला था, वो अपना शान्त सा पहाड़ी शहर छोड़ के दिल्ली में एक कॉलेज की प्रोफेसर थी, कभी सोचता हूँ उस सुकून तलाशने वाली लड़की ने क्यूँ इस शोर से भ...

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नयी सहर By Ankita Bhargava

निधी के सोने जाने के बाद पीछे पीछे मोहित भी अपने कमरे में चला आया वह मुंह दूसरी ओर किये लेटी थी मोहित समझ रहा था वह रो रही है मगर उसके आंसुओं का सामना करने की हिम्मत अभी मोहित मे...

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एक नींद हज़ार सपने By Anju Sharma

उस नामुराद रात का दूसरा पहर भी बीत चुका था! दिन भर की चहलकदमी और तमाशे से ऊबी गली अब चाँद के साए में झपकियां ले रही थी और दूर किसी कोने से आती किसी कुत्ते की आवाज़ पर रह-रहकर जाग उठ...

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मुक्ति और भय By Shraddha Thawait

वह पिछले पैतीस वर्षों से रोज अपने ऑफिस में कलम घिसते आ रहे थे, इस आशा में कि यह घिसाई शायद किसी के हित का हेतु बन जाये, पर उनकी यह घिसाई फाइलों के लाल फीते से बंध कर रह जाती या किस...

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चम्पा चुड़ैल By Swati Grover

बड़ी देर से खुद को शीशे मैं निहारते हुए बोली, "कि अब  पहले  से  ज्यादा  डरावनी  लग  रही हूँ । त्वचा  बिलकुल  काली  हो  गई&nbsp...

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भव्यता में भयावहता भी होती है By Sushma Munindra

कॉंल बेल की घ्वनि सुन माधुरी बाहरी बरामदे में आई। शुक्ला प्रणामी मुद्रा में तैनात मिले —
‘‘मैडम, मैं शुक्ला। टी.सी. । आप और डॉंक्टर साहब जबलपुर जा रहे थे। मैं ए.सी. कोच में ड्‌यूट...

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अनंत यात्रा.. By Arpan Kumar

माधुरी सांगवान हरियाणा में पली-बढ़ी एक महिला हैं। इन दिनों वे दिल्ली में रह रही हैं। अपने दोनों बच्चों को अपने साथ रखकर। वे एक महत्वाकांक्षी और सजग महिला है जो अपने बल-बूते दिल्ली क...

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नृत्यांगना सुरभि By Ved Prakash Tyagi

नृत्यांगना सुरभि सुरभि ने अपनी माँ को मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन टस से मस नहीं हुई, भैया, भाभी और पिताजी को इस बारे में अभी कुछ बताया ही नहीं था। सुरभि जानती थी कि एक बार माँ राज...

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आज शाम है बहुत उदास By Anju Sharma

लोहामंडी..… कृषि कुंज...… इंदरपुरी...… टोडापुर .....ठक ठक ठक.........खटारा ब्लू लाइन के कंडक्टर ने खिड़की से एक हाथ बाहर निकाल बस के टीन को पीटते हुये ज़ोर से गला फाड़कर आवाज़ लगाई, मा...

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जिद By Seema Saxena

जिद अरे अतुल तुम यहाँ ? मैं तो तुम्हें यहाँ देखकर चौंक रहा हूँ ! कब आई ? बिलकुल अभी ! और तुम ? मैं भी आज ही आया हूँ ! अच्छा ठीक है, मैं चलती हूँ ! बाय !! कहाँ चलती हूँ, यार दो...

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कांट्रैक्टर - 6 By Arpan Kumar

देखते-देखते एक साल और बीत गया। रजिंदर मित्तल का तीन वर्षों का कार्यकाल पूरा हो चुका था। एक आदेश जारी हुआ और रजिंदर मित्तल रायपुर से दिल्ली के लिए रवाना हुए। जाते-जाते भी टीसीएस ने...

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मिसेस डिकोस्टा By Saadat Hasan Manto

नौ महीने पूरे हो चुके थे।

मेरे पेट में अब पहली सी गड़बड़ नहीं थी। पर मिसिज़ डी कोस्टा के पेट में चूहे दौड़ रहे थे। वो बहुत परेशान थी। चुनांचे मैं आने वाले हादिसे की तमाम अन-जानी त...

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बंद खिड़की खुल गई By Anju Sharma

उस रोज़ सूरज ने दिन को अलविदा कहा और निकल पड़ा बेफिक्री की राह पर! इधर वह बड़ी तेज़ी से भाग रही थी, इस उम्मीद में कि इस सड़क पर हर अगला कदम उसके घर की दहलीज़ के कुछ और करीब ले जाएगा! तेज़...

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लाजवन्ती By Ved Prakash Tyagi

लाजवन्ती मैं तो अपनी बेटी को डॉक्टर बनाऊँगा, नमिता के पेट पर हाथ फिराते हुए राजेन्द्र ने कहा, और अगर बेटा हुआ तो, नमिता ने अपने पेट को दोनों हाथों का सहारा देते हुए पूछा, बेटा हुआ...

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मैं ही क्यों By Ankita Bhargava

उस दिन मनस्वी कॉलेज से आई तो उसे घर का माहौल हर रोज़ से कुछ अलग लगा। मम्मा-पापा कुछ व्यस्त लग रहे थे। उसने उन्हें डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा और अपने कमरे में चली आई। कमरे में एक लि...

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खिलता है बुरांश ! - 2 By Kusum Bhatt

भाई आकुल व्याकुल घर के आगे लान में टहल रहा था, बार बार मोबाइल कान पर लगाता उसे देखते ही झल्ला गया ‘‘ओफ्फो! एक फोन तो कर ही सकती थी न दीदी... कहाँ रह गई इतनी रात.... ‘‘उसने कलाई घड़ी...

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माय फर्स्ट किस By Yayawargi (Divangi Joshi)

डियर डायरी , तुजे पता है न तेरी बातुनी याशु ऊटी जाने वाली थी कॉलेज कैंप के लिए! आज तक मैंने तुजे हर राज़ बताए है ओर बताती भी किसे तेरे अलावा, मैंरी बात सुनता ही कोन है या ये क...

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पत्ता टूटा डाल से By Anju Sharma

गामे की माँ, कुछ सुना तूने, पाई बीमार है बड़ा.....
ईश्वरी देवी ने अपने सिर की सफ़ेद चुन्नी संभालते हुए, घुटनों पर हाथ रख, मंजी पर बैठते हुए ऐलान किया तो मंजी पर बैठी गामे की माँ चौ...

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हल्की सी रेखा By Shraddha Thawait

पृथ्वी के आधे भाग ने अपने सियामीज जुड़वा भाई, दूसरे आधे भाग को अपनी रात की चादर ओढ़ा दी और खुद जाग गया. पहले जुड़वा भाई का दिन ढल गया. एक नयी कहानी लिखकर. नये अनुभवों की पोटलियां लोगो...

Read Free

अकेली By Seema Jain

नीलम कमरे में सिर झुकाए बैठी थी, और सब उपस्थित जन झुंझलाहट और गुस्से से उसकी तरफ देख रहे थे। सब की एक ही शिकायत थी बीस दिन से पति अमर अस्पताल में भर्ती था और वह एक बार भी देखने नही...

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इस्तेमाल By Sushma Munindra

रोज की तरह वे सुबह जल्दी जाग गये। पुलिस विभाग की नौकरी ने जल्दी जागने की जो आदत डाल दी है वह सेवा निवृत्ति के बाद भी कायम है। मधु मालती की छतनार बेल पर रात भर सोई समूह भर चिड़िया चह...

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ठाकुर की थाली By Pammy Rajan

मलकु सवेरे-सवेरे ही आकर रघु काका के दरवाजे की सांकल बजाते हुए चिल्लाया - " उठो काका, आज ठाकुर ने उमा को शहर से बुलवाया है। "रघु काका का बेटा उमा शहर में सरकारी विभाग में अफसर...

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डिजिटल भी और सिंगल भी By Ajay Amitabh Suman

पबजी गेम में उसकी शिकारी निगाहें दुश्मनों को बड़ी मुश्तैदी से साफ कर रहीं थी। तकरीबन आधे घंटे की मशक्कत के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगा। हुर्रे, हुर्रे, हिप हिप हुर्रे। आखिकार लेब...

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काँटों से खींच कर ये आँचल - 3 By Rita Gupta

“रेगिस्तान में उगे किसी कैक्टस की ही भांति मेरा जीवन शुष्क और कंटीला है. संभल कर रहना अनुभा कहीं मेरे कांटे तुम्हें भी जख्मी ना कर दें”,
इन्होने कहा तो मैं चौंक गयी कि कैक्टस पर म...

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मिस फ़र्या By Saadat Hasan Manto

शादी के एक महीने बाद सुहेल परेशान होगया। उस की रातों की नींद और दिन का चैन हराम होगया।

उस का ख़याल था कि बच्चा कम अज़ कम तीन साल के बाद पैदा होगा मगर अब एक दम ये मालूम करके उस क...

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नैहर आँचल समाय... By Dr Vinita Rahurikar

नैहर आँचल समाय पूरे पांच साल बाद आ रही थी प्रांजल अपने मायके. लेकिन यह पांच साल उसे युगों जितने लम्बे लग रहे थे. तभी अमेरिका से जब वह दिल्ली आई तो दोनों बच्चों को सास के पास...

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अँधेरे में जुगनू - 2 By Kusum Bhatt

घर से निकलते समय उसने एक बार भी नहीं सोचा। तूफान का मुकाबला करने की ताकत नहीं थी उसमें। पति ने मारपीट की- बच्चों के सामने! ग्लानि हुई! रोज़-रोज़ गाली-गलौज़, मारपीट... तंग आ गयी थी। वह...

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फादर्स डे By Ankita Bhargava

मुझे रात को जल्दी सोने की आदत है। अपने बेटा बहू की तरह मैं देर रात तक जागना पसंद नहीं करता। शाम का खाना जल्दी खाना और खाने के बाद थोड़ी देर टहलने जाना और फिर एक गहरी निद्रा का आनंद...

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दूर है किनारा By Anju Sharma

तपन ने आसमान की ओर सर उठाकर देखा तो कुछ देर बस देखता ही रहा! आकाश तो वहां भी था पर इतना खुला कभी नहीं लगा, खूब खुला, निस्सीम, अनंत! और ये हवा, ये भी तो वहां थी पर इतनी आजाद, इतनी ख...

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मुझे चाँद चाहिए By Shraddha Thawait

एक दिन चाँद को आसमान से धरती में झांकने पर एक झरोखे से निकलती सतरंगी आभा दिखी. चाँद ने आसमान में धीरे से नीचे आकर, थोडा सा झुक कर देखा. उसे पलंग पर बैठी हुई एक लड़की दिखी. वह सतरंगी...

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"रीमा बहुत-बहुत बधाई हो! आज तुम्हारा सपना पूरा हो गया। तुम्हारा चुनाव आई.ए.एस. के लिए हो गया। तुम्हारा सपना पूरा हो गया। बस तुम अब सारी चिंता छोड़ दो। जहाँ तुम्हारी पोस्टिंग हो वहा...

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फण्डा यह है कि By Sushma Munindra

तीस वर्ष का समय बहुत होता है किसी युवा के स्नायुओं को ढीला और नजर को कमजोर कर बूढ़ा बना देने के लिये। इसीलिये अब खिलाड़ी की धसकती कमर में वह पुष्टता नहीं दिखाई देती जो मूर्तियों की स...

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गली नंबर दो By Anju Sharma

पुत्तर छेत्ती कर, वेख, चा ठंडी होंदी पई ए।
बीजी की तेज़ आवाज़ से उसकी तन्द्रा भंग हुई। रंग में ब्रश डुबोते हाथ थम गए। पिछले एक घंटे में यह पहला मौका था, जब भूपी ने मूर्ति, रंग और ब...

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निवि By Anjali Raghuvanshi

आठ साल हुए, काफी अरसे बाद मैं उनसे मिलने वाला था, वो अपना शान्त सा पहाड़ी शहर छोड़ के दिल्ली में एक कॉलेज की प्रोफेसर थी, कभी सोचता हूँ उस सुकून तलाशने वाली लड़की ने क्यूँ इस शोर से भ...

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नयी सहर By Ankita Bhargava

निधी के सोने जाने के बाद पीछे पीछे मोहित भी अपने कमरे में चला आया वह मुंह दूसरी ओर किये लेटी थी मोहित समझ रहा था वह रो रही है मगर उसके आंसुओं का सामना करने की हिम्मत अभी मोहित मे...

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एक नींद हज़ार सपने By Anju Sharma

उस नामुराद रात का दूसरा पहर भी बीत चुका था! दिन भर की चहलकदमी और तमाशे से ऊबी गली अब चाँद के साए में झपकियां ले रही थी और दूर किसी कोने से आती किसी कुत्ते की आवाज़ पर रह-रहकर जाग उठ...

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मुक्ति और भय By Shraddha Thawait

वह पिछले पैतीस वर्षों से रोज अपने ऑफिस में कलम घिसते आ रहे थे, इस आशा में कि यह घिसाई शायद किसी के हित का हेतु बन जाये, पर उनकी यह घिसाई फाइलों के लाल फीते से बंध कर रह जाती या किस...

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चम्पा चुड़ैल By Swati Grover

बड़ी देर से खुद को शीशे मैं निहारते हुए बोली, "कि अब  पहले  से  ज्यादा  डरावनी  लग  रही हूँ । त्वचा  बिलकुल  काली  हो  गई&nbsp...

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भव्यता में भयावहता भी होती है By Sushma Munindra

कॉंल बेल की घ्वनि सुन माधुरी बाहरी बरामदे में आई। शुक्ला प्रणामी मुद्रा में तैनात मिले —
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अनंत यात्रा.. By Arpan Kumar

माधुरी सांगवान हरियाणा में पली-बढ़ी एक महिला हैं। इन दिनों वे दिल्ली में रह रही हैं। अपने दोनों बच्चों को अपने साथ रखकर। वे एक महत्वाकांक्षी और सजग महिला है जो अपने बल-बूते दिल्ली क...

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नृत्यांगना सुरभि By Ved Prakash Tyagi

नृत्यांगना सुरभि सुरभि ने अपनी माँ को मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन टस से मस नहीं हुई, भैया, भाभी और पिताजी को इस बारे में अभी कुछ बताया ही नहीं था। सुरभि जानती थी कि एक बार माँ राज...

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जिद By Seema Saxena

जिद अरे अतुल तुम यहाँ ? मैं तो तुम्हें यहाँ देखकर चौंक रहा हूँ ! कब आई ? बिलकुल अभी ! और तुम ? मैं भी आज ही आया हूँ ! अच्छा ठीक है, मैं चलती हूँ ! बाय !! कहाँ चलती हूँ, यार दो...

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