hindi Best Short Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • अनंत यात्रा..

    माधुरी सांगवान हरियाणा में पली-बढ़ी एक महिला हैं। इन दिनों वे दिल्ली में रह रही ह...

  • नृत्यांगना सुरभि

    नृत्यांगना सुरभि सुरभि ने अपनी माँ को मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन टस से मस नहीं...

  • कृपया ध्यान दीजिए

    नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कई घंटों से कमलेश माथुर बैठा हुआ था, अपने गंतव्य की ओर...

भव्यता में भयावहता भी होती है By Sushma Munindra

कॉंल बेल की घ्वनि सुन माधुरी बाहरी बरामदे में आई। शुक्ला प्रणामी मुद्रा में तैनात मिले —
‘‘मैडम, मैं शुक्ला। टी.सी. । आप और डॉंक्टर साहब जबलपुर जा रहे थे। मैं ए.सी. कोच में ड्‌यूट...

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काँटों से खींच कर ये आँचल - 1 By Rita Gupta

क्षितीज पर सिन्दूरी सांझ उतर रही थी और अंतस में जमा हुआ बहुत कुछ जैसे पिघलता जा रहा था. मन में जाग रही नयी-नयी ऊष्मा से दिलों दिमाग पर जमी बर्फ अब पिघल रही थी. एक ठंडापन जो पसरा हु...

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अनंत यात्रा.. By Arpan Kumar

माधुरी सांगवान हरियाणा में पली-बढ़ी एक महिला हैं। इन दिनों वे दिल्ली में रह रही हैं। अपने दोनों बच्चों को अपने साथ रखकर। वे एक महत्वाकांक्षी और सजग महिला है जो अपने बल-बूते दिल्ली क...

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माई नानकी By Saadat Hasan Manto

इस दफ़ा मैं एक अजीब सी चीज़ के मुतअल्लिक़ लिख रहा हूँ। ऐसी चीज़ जो एक ही वक़्त में अजीब-ओ-ग़रीब और ज़बरदस्त भी है। मैं असल चीज़ लिखने से पहले ही आप को पढ़ने की तरग़ीब दे रहा हूँ। उस की वजह...

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नृत्यांगना सुरभि By Ved Prakash Tyagi

नृत्यांगना सुरभि सुरभि ने अपनी माँ को मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन टस से मस नहीं हुई, भैया, भाभी और पिताजी को इस बारे में अभी कुछ बताया ही नहीं था। सुरभि जानती थी कि एक बार माँ राज...

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आज शाम है बहुत उदास By Anju Sharma

लोहामंडी..… कृषि कुंज...… इंदरपुरी...… टोडापुर .....ठक ठक ठक.........खटारा ब्लू लाइन के कंडक्टर ने खिड़की से एक हाथ बाहर निकाल बस के टीन को पीटते हुये ज़ोर से गला फाड़कर आवाज़ लगाई, मा...

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जिद By Seema Saxena

जिद अरे अतुल तुम यहाँ ? मैं तो तुम्हें यहाँ देखकर चौंक रहा हूँ ! कब आई ? बिलकुल अभी ! और तुम ? मैं भी आज ही आया हूँ ! अच्छा ठीक है, मैं चलती हूँ ! बाय !! कहाँ चलती हूँ, यार दो...

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तो By Ankita Bhargava

संजना जब तक अपना नाश्ता लेकर आई राज ऑफिस के लिए निकल चुके थे, आज फिर संजना डाईनिंग टेबल पर अकेली बैठी प्लेट में चम्मच घुमा रही थी। उसे तो याद भी नहीं आता कितने दिन बीत गए उसे राज क...

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नेक कर्मों की फिहरिश्त (A tribute to mother’s love) By Bhupendra kumar Dave

नेक कर्मों की फिहरिश्त (A tribute to mother’s love) ..... भूपेन्द्र कुमार दवे जिन्दगी पहले अपना अर्थ बताती है और फिर अपना मकसद जताने का प्रयास करती है। हम जैसे जैस...

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पगडंडी... By Shraddha Thawait

सुदूर जंगलों में जहाँ तक चौड़ी राहें न जाती, न आती हैं. लोग अपनी पुरानी मान्यताओं में जकड़े हुए हैं. जहाँ कई प्रसव जंगल में घास काटने, महुआ बीनने या लकड़ी इकठ्ठा करते हुए हो जाते हो....

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कृपया ध्यान दीजिए By Arpan Kumar

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कई घंटों से कमलेश माथुर बैठा हुआ था, अपने गंतव्य की ओर जानेवाली ट्रेन का इंतज़ार करता हुआ। बाकी दिनों की ही तरह उस दिन भी नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर गहमा-गह...

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पापा, आप एक जगह टिक कर क्यों नहीं रहते! By Arpan Kumar

जिस नए स्कूल में कुछ मुश्किल से सुयश का एडमिशन हुआ था, वहाँ हो रही आवधिक परीक्षाओं में क्रमशः उसका रिजल्ट गिरने लगा। वह अपनी उम्र से अधिक चिड़चिड़ा हो गया था। उसके मनोजगत की गाड़ी मान...

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स्टेशन की मुलाकात By Hansraj Puvar

बहुत अर्से पहले की बात हैं जब मैं छोटा था, समय की इस छलांग लगाकर वह जगह आज वापस जाने का मन कयों होगया वो पता नहीं, पर बहुत अजीब था वो समय | जब हमें सिर्फ हमारी दुनिया ही सब से अच्छ...

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महात्मा की खोज में (A horror story) By Bhupendra kumar Dave

महात्मा की खोज में(A horror story) ‘उठो शिवा, उठो’ यह आवाज सुन मैं एकदम हड़बड़ाकर उठ बैठा। मैं गहरी नींद में था और एक सपना देख रहा था। कहते हैं कि सपने अचानक टूट जाने से वे विस्मृत ह...

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वो दूसरी औरत By Neelam Kulshreshtha

वो दूसरी औरत [नीलम कुलश्रेष्ठ ] बरसों से कहूं या युगों से किस...

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गुडनाइट माइनस लव यू By Arpan Kumar

पहले लोग बड़ी संख्या में कोई न कोई किताब पढ़ते थे। उस पर परिवार के सदस्यों तो मित्रों के बीच चर्चा किया करते थे। कई उत्साही पाठक उस पर अपनी प्रतिक्रिया पत्र के माध्यम से उसके लेखकों...

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रंगों के पैकेट By Sarvesh Saxena

मार्च का महीना शुरु हो चुका है, चारों ओर होली की तैयारियां हो रही हैं, पेड़ पौधों में आई नन्ही कोपले अब हल्के हरे पत्तों में बदल गई हैं, घर के बाहर लगे पौधों में पानी डालते डालते...

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उज्वला की कहानी By Vrishali Gotkhindikar

रक्षाबंधन का दिन था .. सुबह का काम जल्दी निपटाकर उज्वला राखी लेकर अपने मायके निकल पडी | भैय्या कही बाहरगाव जा रहे थे इसलिये उन्होने जल्दी बुलाया था उसको | जैसे ही वो वहां पहुची भाभ...

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सातवां होल By Manisha Kulshreshtha

शाम चार बजते ही रिटायर्ड लेफ्टिनेन्ट कर्नल केशव शर्मा पांच किलोमीटर सायकिल चला कर गोल्फकोर्स पर आ डटते हैं। हालांकि अब खेलते कम हैं, शरीर में पुराना दम – खम बाकी रहा न नज़र में वो प...

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मोती का पेड - 2 By Anita salunkhe Dalvi

 तय मुताबिक सारे बच्चे सुबह सुबह घर के आंगन में जमा हो गए .अपनी सारे सामान के साथ हर एक  के पास एक बँग एक वॉटर बॅग और कुछ सामान था.रात को ही सब ने अपनी मां को बता दिया था...

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यस ! By Manisha Kulshreshtha

वह रन वे पर स्टार्टअप पॉइंट पर खड़ा था और मैं ए टी सी (एयर ट्रेफिक कंट्रोल टॉवर) में बैठी थी। आर टी ( रेडियो ट्रांसमीटर) पर उसकी खूबसूरत आवाज़ गूँजी।
' जूलियट वन ओ वन परमिशन ट...

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बड़ी मां By Krishan Kumar Ashu

दफ्तर जाते समय सुधा जब मुझे दरवाजे तक छोडऩे आई तो मेरे साथ उसकी नजर भी उस मुस्कराते चेहरे पर जा टिकी जो एकटक मंद-मंद मुस्कान के साथ मुझे निहार रहा था। इस तरह सार्वजनिक रूप से एक यु...

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सुनहरा फ्रेम By Manisha Kulshreshtha

कुछ अलौकिक पलों को दुबारा निराकार तौर पर जीने की आत्मछलना का ही दूसरा नाम है 'स्मृति'. एक स्मृति जिसमें वह खुद थी और वह था, अब वह उस पर फ्रेम लगाने की कोशिश में है. एक सुनह...

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पतझड़ By Ved Prakash Tyagi

पतझड़ पंडित नारायण राव अक्सर सोहन के पास आकार बैठ जाया करते, अपनी कोयले वाली प्रैस से सोहन लोगों के कपड़े प्रैस करता रहता और पंडितजी उसको देश दुनिया की तमाम बातें बताते रहते। पूरे गा...

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ब्रेनफीवर By Manisha Kulshreshtha

वह रसोई से बाहर निकली, आखिरी काम समेट, पल्लू से चेहरे का पसीना पोंछती। घर से लगे उसके पति के दफ्तरनुमा कमरे में आ गई। उसकी दुर्बल, छोटी देह संकोच उत्सर्जित कर रही थी। बड़ी-बड़ी आँख...

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मांस By Neelam Samnani

भरी गर्मी के दिन थे सूरज आग लेकर सर पर खड़ा था पसीना बूंदों की जगह पानी की धार बनकर बह रहा था कहने को आस- पास पानी  बहुत था पर बदन के नमक वाला पानी ही सूरज को चाहिए था जैसे उस...

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क्लासमेट By Krishan Kumar Ashu

'मकान का नक्शा न हुआ। ताजमहल का टेंडर हो गया। आखिर कब तक चक्कर लगवाएंगे ये लोग? बड़बड़ाते हुए विपिन नगर परिषद परिसर में ही बनी कैंटीन में आकर बैठ गया।

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सिन्ड्रेला By Swati Grover

आज सुबह से ही बारिश हो रही हैं! जनवरी के महीने में इतनी बारिश होना थोड़ा अजीब लगता है पर शायद नीमा खुद आँसू नहीं बहा सकती इसीलिए यह काम आसमान कर रहा हैं! खिड़की के पास खड़े कब से नीमा...

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दाग दिल के.... By Rachna Bhola

दाग दिल के.... 'नहीं-नहीं’, छोड़ दो, मुझे और परेशान मत करो।’ मीरा ने झटके से पैर हिलाया और गोंगियाने लगी। नींद गहरी थी इसलिए सपना टूटने में भी समय लगा। जागी तो पता चला कि वह किसी...

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समुद्री घोड़ा By Manisha Kulshreshtha

वह दोनों तरफ से अंधेरे अधर में लटके किसी रस्सों से बने पुल पर भाग रहा था। डगमग झूलता हुआ। जिसके एक ओर से कुत्तों का झुंड उस पर भौंक रहा था, दूसरी तरफ कुछ अजब आकृतियाँ फुसफुसा रहीं...

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मजदूर बाजार By Rajesh Kumar Dubey

भीड़ में हलचल मच गई। सोनेलाल जब भी आता है, सब उसे जिज्ञासा से देखने लगते हैं। मंजरी चहक गई। सुरती ने चुटकी लेते हुए कहा, “देख तेरा यार आ गया” मंजरी ने झिडकते हुए कहा-...

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किरदार By Manisha Kulshreshtha

बहुत कुछ ...छोड़ गई थी वह हमारे कमरे में. कंघे में फँसे बाल. नीली, उतारी हुई नाईटी को अपनी आदत के उलट, उल्टा ही कम्प्यूटर टेबल की कुर्सी के हत्थे में टाँग कर वह स्ट्डीरूम में चली ग...

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भव्यता में भयावहता भी होती है By Sushma Munindra

कॉंल बेल की घ्वनि सुन माधुरी बाहरी बरामदे में आई। शुक्ला प्रणामी मुद्रा में तैनात मिले —
‘‘मैडम, मैं शुक्ला। टी.सी. । आप और डॉंक्टर साहब जबलपुर जा रहे थे। मैं ए.सी. कोच में ड्‌यूट...

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काँटों से खींच कर ये आँचल - 1 By Rita Gupta

क्षितीज पर सिन्दूरी सांझ उतर रही थी और अंतस में जमा हुआ बहुत कुछ जैसे पिघलता जा रहा था. मन में जाग रही नयी-नयी ऊष्मा से दिलों दिमाग पर जमी बर्फ अब पिघल रही थी. एक ठंडापन जो पसरा हु...

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अनंत यात्रा.. By Arpan Kumar

माधुरी सांगवान हरियाणा में पली-बढ़ी एक महिला हैं। इन दिनों वे दिल्ली में रह रही हैं। अपने दोनों बच्चों को अपने साथ रखकर। वे एक महत्वाकांक्षी और सजग महिला है जो अपने बल-बूते दिल्ली क...

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माई नानकी By Saadat Hasan Manto

इस दफ़ा मैं एक अजीब सी चीज़ के मुतअल्लिक़ लिख रहा हूँ। ऐसी चीज़ जो एक ही वक़्त में अजीब-ओ-ग़रीब और ज़बरदस्त भी है। मैं असल चीज़ लिखने से पहले ही आप को पढ़ने की तरग़ीब दे रहा हूँ। उस की वजह...

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नृत्यांगना सुरभि By Ved Prakash Tyagi

नृत्यांगना सुरभि सुरभि ने अपनी माँ को मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन टस से मस नहीं हुई, भैया, भाभी और पिताजी को इस बारे में अभी कुछ बताया ही नहीं था। सुरभि जानती थी कि एक बार माँ राज...

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आज शाम है बहुत उदास By Anju Sharma

लोहामंडी..… कृषि कुंज...… इंदरपुरी...… टोडापुर .....ठक ठक ठक.........खटारा ब्लू लाइन के कंडक्टर ने खिड़की से एक हाथ बाहर निकाल बस के टीन को पीटते हुये ज़ोर से गला फाड़कर आवाज़ लगाई, मा...

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जिद By Seema Saxena

जिद अरे अतुल तुम यहाँ ? मैं तो तुम्हें यहाँ देखकर चौंक रहा हूँ ! कब आई ? बिलकुल अभी ! और तुम ? मैं भी आज ही आया हूँ ! अच्छा ठीक है, मैं चलती हूँ ! बाय !! कहाँ चलती हूँ, यार दो...

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तो By Ankita Bhargava

संजना जब तक अपना नाश्ता लेकर आई राज ऑफिस के लिए निकल चुके थे, आज फिर संजना डाईनिंग टेबल पर अकेली बैठी प्लेट में चम्मच घुमा रही थी। उसे तो याद भी नहीं आता कितने दिन बीत गए उसे राज क...

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नेक कर्मों की फिहरिश्त (A tribute to mother’s love) By Bhupendra kumar Dave

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पगडंडी... By Shraddha Thawait

सुदूर जंगलों में जहाँ तक चौड़ी राहें न जाती, न आती हैं. लोग अपनी पुरानी मान्यताओं में जकड़े हुए हैं. जहाँ कई प्रसव जंगल में घास काटने, महुआ बीनने या लकड़ी इकठ्ठा करते हुए हो जाते हो....

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कृपया ध्यान दीजिए By Arpan Kumar

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कई घंटों से कमलेश माथुर बैठा हुआ था, अपने गंतव्य की ओर जानेवाली ट्रेन का इंतज़ार करता हुआ। बाकी दिनों की ही तरह उस दिन भी नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर गहमा-गह...

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पापा, आप एक जगह टिक कर क्यों नहीं रहते! By Arpan Kumar

जिस नए स्कूल में कुछ मुश्किल से सुयश का एडमिशन हुआ था, वहाँ हो रही आवधिक परीक्षाओं में क्रमशः उसका रिजल्ट गिरने लगा। वह अपनी उम्र से अधिक चिड़चिड़ा हो गया था। उसके मनोजगत की गाड़ी मान...

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स्टेशन की मुलाकात By Hansraj Puvar

बहुत अर्से पहले की बात हैं जब मैं छोटा था, समय की इस छलांग लगाकर वह जगह आज वापस जाने का मन कयों होगया वो पता नहीं, पर बहुत अजीब था वो समय | जब हमें सिर्फ हमारी दुनिया ही सब से अच्छ...

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महात्मा की खोज में (A horror story) By Bhupendra kumar Dave

महात्मा की खोज में(A horror story) ‘उठो शिवा, उठो’ यह आवाज सुन मैं एकदम हड़बड़ाकर उठ बैठा। मैं गहरी नींद में था और एक सपना देख रहा था। कहते हैं कि सपने अचानक टूट जाने से वे विस्मृत ह...

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वो दूसरी औरत By Neelam Kulshreshtha

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मार्च का महीना शुरु हो चुका है, चारों ओर होली की तैयारियां हो रही हैं, पेड़ पौधों में आई नन्ही कोपले अब हल्के हरे पत्तों में बदल गई हैं, घर के बाहर लगे पौधों में पानी डालते डालते...

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उज्वला की कहानी By Vrishali Gotkhindikar

रक्षाबंधन का दिन था .. सुबह का काम जल्दी निपटाकर उज्वला राखी लेकर अपने मायके निकल पडी | भैय्या कही बाहरगाव जा रहे थे इसलिये उन्होने जल्दी बुलाया था उसको | जैसे ही वो वहां पहुची भाभ...

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सातवां होल By Manisha Kulshreshtha

शाम चार बजते ही रिटायर्ड लेफ्टिनेन्ट कर्नल केशव शर्मा पांच किलोमीटर सायकिल चला कर गोल्फकोर्स पर आ डटते हैं। हालांकि अब खेलते कम हैं, शरीर में पुराना दम – खम बाकी रहा न नज़र में वो प...

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मोती का पेड - 2 By Anita salunkhe Dalvi

 तय मुताबिक सारे बच्चे सुबह सुबह घर के आंगन में जमा हो गए .अपनी सारे सामान के साथ हर एक  के पास एक बँग एक वॉटर बॅग और कुछ सामान था.रात को ही सब ने अपनी मां को बता दिया था...

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यस ! By Manisha Kulshreshtha

वह रन वे पर स्टार्टअप पॉइंट पर खड़ा था और मैं ए टी सी (एयर ट्रेफिक कंट्रोल टॉवर) में बैठी थी। आर टी ( रेडियो ट्रांसमीटर) पर उसकी खूबसूरत आवाज़ गूँजी।
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बड़ी मां By Krishan Kumar Ashu

दफ्तर जाते समय सुधा जब मुझे दरवाजे तक छोडऩे आई तो मेरे साथ उसकी नजर भी उस मुस्कराते चेहरे पर जा टिकी जो एकटक मंद-मंद मुस्कान के साथ मुझे निहार रहा था। इस तरह सार्वजनिक रूप से एक यु...

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सुनहरा फ्रेम By Manisha Kulshreshtha

कुछ अलौकिक पलों को दुबारा निराकार तौर पर जीने की आत्मछलना का ही दूसरा नाम है 'स्मृति'. एक स्मृति जिसमें वह खुद थी और वह था, अब वह उस पर फ्रेम लगाने की कोशिश में है. एक सुनह...

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पतझड़ By Ved Prakash Tyagi

पतझड़ पंडित नारायण राव अक्सर सोहन के पास आकार बैठ जाया करते, अपनी कोयले वाली प्रैस से सोहन लोगों के कपड़े प्रैस करता रहता और पंडितजी उसको देश दुनिया की तमाम बातें बताते रहते। पूरे गा...

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वह रसोई से बाहर निकली, आखिरी काम समेट, पल्लू से चेहरे का पसीना पोंछती। घर से लगे उसके पति के दफ्तरनुमा कमरे में आ गई। उसकी दुर्बल, छोटी देह संकोच उत्सर्जित कर रही थी। बड़ी-बड़ी आँख...

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मांस By Neelam Samnani

भरी गर्मी के दिन थे सूरज आग लेकर सर पर खड़ा था पसीना बूंदों की जगह पानी की धार बनकर बह रहा था कहने को आस- पास पानी  बहुत था पर बदन के नमक वाला पानी ही सूरज को चाहिए था जैसे उस...

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क्लासमेट By Krishan Kumar Ashu

'मकान का नक्शा न हुआ। ताजमहल का टेंडर हो गया। आखिर कब तक चक्कर लगवाएंगे ये लोग? बड़बड़ाते हुए विपिन नगर परिषद परिसर में ही बनी कैंटीन में आकर बैठ गया।

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आज सुबह से ही बारिश हो रही हैं! जनवरी के महीने में इतनी बारिश होना थोड़ा अजीब लगता है पर शायद नीमा खुद आँसू नहीं बहा सकती इसीलिए यह काम आसमान कर रहा हैं! खिड़की के पास खड़े कब से नीमा...

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दाग दिल के.... By Rachna Bhola

दाग दिल के.... 'नहीं-नहीं’, छोड़ दो, मुझे और परेशान मत करो।’ मीरा ने झटके से पैर हिलाया और गोंगियाने लगी। नींद गहरी थी इसलिए सपना टूटने में भी समय लगा। जागी तो पता चला कि वह किसी...

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समुद्री घोड़ा By Manisha Kulshreshtha

वह दोनों तरफ से अंधेरे अधर में लटके किसी रस्सों से बने पुल पर भाग रहा था। डगमग झूलता हुआ। जिसके एक ओर से कुत्तों का झुंड उस पर भौंक रहा था, दूसरी तरफ कुछ अजब आकृतियाँ फुसफुसा रहीं...

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मजदूर बाजार By Rajesh Kumar Dubey

भीड़ में हलचल मच गई। सोनेलाल जब भी आता है, सब उसे जिज्ञासा से देखने लगते हैं। मंजरी चहक गई। सुरती ने चुटकी लेते हुए कहा, “देख तेरा यार आ गया” मंजरी ने झिडकते हुए कहा-...

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किरदार By Manisha Kulshreshtha

बहुत कुछ ...छोड़ गई थी वह हमारे कमरे में. कंघे में फँसे बाल. नीली, उतारी हुई नाईटी को अपनी आदत के उलट, उल्टा ही कम्प्यूटर टेबल की कुर्सी के हत्थे में टाँग कर वह स्ट्डीरूम में चली ग...

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