hindi Best Short Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • ब्लैकहोल

    आखिरकार मैं पिता हूँ. मेरी हथेलियों को ग्लानि नम कर गई है, जिसे मैं बार – बार पौ...

  • मी टू

    आज ऑफिस में कैंटीन में यही बातें चल रही थी ये जो इतने दिनों न्यूज़, इन्टरनेट और अ...

  • खरपतवार

    उसकी यादों में कुछ दहशतें और कुछ वहशतें अब भी बाकी हैं. सप्ताह के बाकी दिन वह फा...

किरदार By Manisha Kulshreshtha

बहुत कुछ ...छोड़ गई थी वह हमारे कमरे में. कंघे में फँसे बाल. नीली, उतारी हुई नाईटी को अपनी आदत के उलट, उल्टा ही कम्प्यूटर टेबल की कुर्सी के हत्थे में टाँग कर वह स्ट्डीरूम में चली ग...

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बिस्मिल्लाह By Saadat Hasan Manto

फ़िल्म बनाने के सिलसिले में ज़हीर से सईद की मुलाक़ात हुई। सईद बहुत मुतअस्सिर हुआ। बंबई में उस ने ज़हीर को सेंट्रल स्टूडीयोज़ में एक दो मर्तबा देखा था और शायद चंद बातें भी की थीं मगर मु...

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ब्लैकहोल By Manisha Kulshreshtha

आखिरकार मैं पिता हूँ. मेरी हथेलियों को ग्लानि नम कर गई है, जिसे मैं बार – बार पौंछ रहा हूं, अपनी पतलून से। वह लाल पोल्का डॉट वाली स्कर्ट में जो खड़ी है, अपने कॉलेज के गेट पर मुड़ क...

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चप्पल वाला दुध By Ajay Amitabh Suman

रमेश को बहुत आश्चर्य हुआ।मोन उसके हाथ में चप्पल पकड़ा रहा था। रमेश ने लेने से मना किया तो मोनू रोने लगा। रमेश के मामा ने समझाया, भाई हाथ में पकड़ लो, वरना मोनू दुध नहीं पियेगा। रमेश...

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बुजुर्गों के फायदे By r k lal

बुजुर्गों के फायदे आर0 के0 लाल मुझे निर्मल के साथ कहीं जाना था। जब उसके घर पहुंचा तो अंदर से तेज तेज लड़ने की आवाजें आ रहीं थी और निर्मल के माता पिता बाहर बैठक में मुंह लटकाए ब...

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ठगिनी By Manisha Kulshreshtha

मरूस्थल के आठ गांवों में वह इकलौता ताल था, थे तो जेठ के गरम दिन, लेकिन रात ठंडी थी और चांदनी रात थी। ताल चांदी के तारों की कढ़ी हरी नीली चूनरी सा चमक रहा था। बगल से जाती आठ कोस की क...

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मी टू By Swati Grover

आज ऑफिस में कैंटीन में यही बातें चल रही थी ये जो इतने दिनों न्यूज़, इन्टरनेट और अखबार में आए दिन मी टू से सम्बन्धित लगातार खबरें आ रही हैं। रमेश ने कहा, “यार ये सब ऐसे ही हैं नाना प...

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मधुमक्खियाँ By Manisha Kulshreshtha

बहुत अलग थी वह शाम, अबाबीलें सर पर गोल चक्कर काट रहीं थीं. बावड़ी की मेहराबों के नीचे बने अपने गन्दे...कीचड़ – काग़ज़ के बने बदबूदार घोंसलों में नहीं लौट रही थीं...सूरज ठण्डा पड़ गया था...

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शहीदे आजम भगतसिंह By Asha Rautela

शहीदे आजम भगतसिंह भारत को स्वतंत्र कराने में न जाने कितने वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। वे सीने में गोली खाते, दर्द सहते चुपचात मौत की आगोश में सो गए, ताकि हम लोग जाग सकें।...

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पुराना दफ़्तर By Kali Raja

पुराना दफ़्तर शहेर के बीचो-बीच का एक सरकारी दफ़्तर हु मै, जो अब पुराना हो चुका हु.... शायद एक अरसा हो गया हे मुजे बंद कीये गए, मेरा हर कमरा, कमरे का हर सामान अब पुराना हो चुका ह...

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परजीवी By Manisha Kulshreshtha

मैं हमेशा से परजीवी नहीं था, मेरे पास नौकरी थी. तुमने शादी की ज़िद की और नौकरी भी छुड़वा दी. मैं तुम्हारे साथ बिना शादी के रहना चाहता था. यूँ शादी करने की तुम्हारी उम्र भी निकल चुकी...

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रक्षा बंधन By Swati Grover

सात साल की नन्ही सुबह से ही जिद कर रही है कि इस बार राखी कान्हा की मूर्ति को नहीं कान्हा को ही बाँधेगी, तभी कुछ खाएगी। उसकी माँ सरला पहले तो हँसने लगती हैं फिर नन्ही को समझाती हैं...

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ओ मरियम ! By Manisha Kulshreshtha

मां जा रहीं थीं, जिन बहुत सारी चीज़ों को विरासत में छोड़ कर, उनमें से एक गैरदुनियादार व्यक्ति होने के नाते, मेरे हाथ लगी थी केवल उनकी डायरी और लकड़ी के गोल मनकों की माला। मेरे पास...

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पिंकी By Asha Rautela

पिंकी पिंकी टीवी पर कार्टून देख रही थी। टाॅमन एन्ड जेरी उसका फेबरेट प्रोगाम था। तभी उसकी मम्मी आई बोली,‘‘ पिंकी बेटा होमवर्क कर लो’’ मम्मी की बात सुनकर पिंकी होमवर्क करने लगी पर पि...

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बाई बाई By Saadat Hasan Manto

नाम उस का फ़ातिमा था पर सब उसे फातो कहते थे बानिहाल के दुर्रे के उस तरफ़ उस के बाप की पन-चक्की थी जो बड़ा सादा लौह मुअम्मर आदमी था।

दिन भर वो इस पन चक्की के पास बैठी रहती। पहाड़ के...

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एंजल नेहा By Rahul Joshi

“आज तुम्हरी भाभी ना सिर्फ हमको देखी. बल्कि लजाते हुए अंदर दौड़ पड़ी.”... गगन ने संतोष से कहा। दोनों जिगरी यार थे। हर छोटी-बड़ी बात आपस में साझा किया करते थे। “का बात कर...

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भूख से लड़ाई By r k lal

भूख से लड़ाई आर0 के0 लाल पिछली छुट्टी में हम अपने पापा के साथ उनके गांव गए, जहां उनके बड़े ताऊजी रहते हैं। उनका अच्...

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खरपतवार By Manisha Kulshreshtha

उसकी यादों में कुछ दहशतें और कुछ वहशतें अब भी बाकी हैं. सप्ताह के बाकी दिन वह फाइलों, टेलीफोनों, लोगों से मुलाकातों के बीच वह खुद पर व्यस्तता के छिलके चढा लेता है. अवकाश के दिन ये...

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बीवी भाग गई By Swati Grover

पूरे ऑफिस को पता चल गया था कि निखिल की बीवी उसे छोड़कर चली गई पर लोगो के लिए यह बात कि बीवी भाग गई किसी सनसनी खबर से कम नहीं थी। कुछ दिन फिर हफ्ता और एक महीना कब तक छुपाता, आखिर सबक...

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ईनाम By Ajay Amitabh Suman

बात लगभग अस्सी के दशक की है . जितने में आजकल एक कप आइसक्रीम मिलता है , उतने में उनदिनों एक किलो चावल मिल जाया करता था. अंगिरस 6 ठी कक्षा का विद्यार्थी था. उसके पिताजी पोस्ट ऑफिस मे...

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स्यामीज By Manisha Kulshreshtha

'अरे वाह, ये तो दो कठपुतलियां हैं, एक ही काठ के टुकडे पर आगे - पीछे बनाई गईं. भारतीय कला का बडा अद्भुत नमूना हैं यह भी ! इधर से देखो तो मानसी, उधर से देखो तो रूपसी. यूं नचाओ तो...

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हमारी अंतरा By Asha Rautela

हमारी अंतराअंतरा के माता-पिता नहीं थे। वह अपने चाचा-चाची के साथ रहती थी। चाची में अंतरा अपनी माँ की छवि को ही देखती थी पर उसकी चाची उससे घर का सारा काम करवाती थी। साथ ही बोलती भी र...

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दिल के अमीर By S Sinha

कहानी - दिल के अमीर शेखर वर्षों बाद पटना अपने पैतृक घर आया था .इसके पहले वह जब भी आया दो तीन दिन से ज्यादा नहीं रहा था .इस बार अपनी पत्नी के साथ आया था और उन्हें दो सप्ताह से...

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हिना By Ved Prakash Tyagi

हिना खूबसूरत हिना को पत्नी रूप में पाकर सुहैल बहुत खुश था, दिल्ली में रंजीत नगर के तीन कमरों वाले फ्लैट में अपनी गृहस्थी की शुरुआत की। “”अब तो पूरा हफ्ता गुजर गया, कब तक छुट्टी क...

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हिप हिप हुर्रे By Ajay Amitabh Suman

पिछले एक घंटे से उसके हाथ मोबाइल पर जमे हुए थे। पबजी गेम में उसकी शिकारी निगाहें दुश्मनों को बड़ी मुश्तैदी से साफ कर रहीं थी। तकरीबन आधे घंटे की मशक्कत के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने...

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हाइड एण्ड सीक By Manisha Kulshreshtha

उस जन्नत की तरह खूबसूरत शहर तक पहुंचने में वे उत्सुकता और बेचैनी भरी प्रतीक्षा को महसूस करना चाहते थे इसलिए घरवालों और परिचितों के बहुत मना करने के बावज़ूद उन्होंने अकेले और सड़क के...

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पद्मावती By Swati Grover

पूरे भारत में पद्मावती फिल्म को लेकर बवाल मचा हुआ था ! टी.वी पर वही खबरे बार-बार आ रही थी! और अपने घर में बैठी पदमा सोच रही थी , कौन थी यह रानी? मेरी तरह...

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पगडंडी By Mukteshwar Prasad Singh

पगडंडी​​​​​​​​​ ​​आज मंजू का सब कुछ उजड़ गया। इस कारण नहीं कि भूकंप आया था या सुनामी लहर आयी थी या फिर तूफानी वर्षा या बाढ़। आज सिर्फ उसकी ही दुनियां उजड़ी थी।...

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थकी जिन्दगी By Bhupendra kumar Dave

थकी जिन्दगी बुढ़ापा आने पर एक बात की खुशी होती है कि हम मृत्यु के नजदीक पहुँच गये होते हैं। दाँत गिरना, बाल झरना, आँख में मोतियाबिन्दी होना, शरीर के जोड़ों में दर्द होना, रह रह...

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मन क्या है? By Asha Rautela

मन क्या है? मन क्या है? इस विषय में हम इतना ही समझ पाते है कि यह केवल दुख, दर्द, संताप के सिवा कुछ नहीं। इसका प...

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दयावान चोर By paresh barai

एक समय की बात है| एक छोटे से गाँव में रघु नाम का व्यक्ति रहता था| उसे कोई ढंग का काम-काज मिल नहीं रहा था| मज़बूरी के चलते वह चोरी-चकारी के रस्ते पर चल पड़ा| पहले तो इस काम से उसे बहु...

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निश्छल प्रेम By Ved Prakash Tyagi

निश्छल प्रेम “बेटा तू खुश तो है ना अपनी नौकरी से?” माँ मेरठ के एक छोटे से गाँव से पुणे में बात कर रही थी, कुछ ही दिन पूर्व बेटी ने आइ आर एस की परीक्षा प्रथम स्थान पाकर सफल की थी, त...

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सेटल By Swati Grover

सौम्या मेट्रो मे बैठी अपने स्टेशन का इंतज़ार कर रही थी ! वह रोज़ रिठाला एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने जाती है फिर वापिस अपने घर जाने के लिए इंदरलोक मेट्रो स्टेशन पर उतरती है! वहा...

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मन की ख़ुशी By Vandna Sharma

ख़ुशी की तलाश में हम दूर तक गए इधर न मिली ,उधर ना मिली यहाँ ना मिली ,वहां ना मिली मिली तो मेरे मन में मिली बैठी थी एक कोने में लगी थी रोने -धोने में मैंने पूछा -ये क्या बात हुई ?नाम...

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आओ बहनों चुगली करें By Asha Rautela

आओ बहनों चुगली करें पहला दृश्यएक मध्यमवर्गीय परिवार का दृश्य(बहू, सास आपस में बातें कर रहें तभी गौरव आता है। गौरव सर...

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किरदार By Manisha Kulshreshtha

बहुत कुछ ...छोड़ गई थी वह हमारे कमरे में. कंघे में फँसे बाल. नीली, उतारी हुई नाईटी को अपनी आदत के उलट, उल्टा ही कम्प्यूटर टेबल की कुर्सी के हत्थे में टाँग कर वह स्ट्डीरूम में चली ग...

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बिस्मिल्लाह By Saadat Hasan Manto

फ़िल्म बनाने के सिलसिले में ज़हीर से सईद की मुलाक़ात हुई। सईद बहुत मुतअस्सिर हुआ। बंबई में उस ने ज़हीर को सेंट्रल स्टूडीयोज़ में एक दो मर्तबा देखा था और शायद चंद बातें भी की थीं मगर मु...

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ब्लैकहोल By Manisha Kulshreshtha

आखिरकार मैं पिता हूँ. मेरी हथेलियों को ग्लानि नम कर गई है, जिसे मैं बार – बार पौंछ रहा हूं, अपनी पतलून से। वह लाल पोल्का डॉट वाली स्कर्ट में जो खड़ी है, अपने कॉलेज के गेट पर मुड़ क...

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चप्पल वाला दुध By Ajay Amitabh Suman

रमेश को बहुत आश्चर्य हुआ।मोन उसके हाथ में चप्पल पकड़ा रहा था। रमेश ने लेने से मना किया तो मोनू रोने लगा। रमेश के मामा ने समझाया, भाई हाथ में पकड़ लो, वरना मोनू दुध नहीं पियेगा। रमेश...

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बुजुर्गों के फायदे By r k lal

बुजुर्गों के फायदे आर0 के0 लाल मुझे निर्मल के साथ कहीं जाना था। जब उसके घर पहुंचा तो अंदर से तेज तेज लड़ने की आवाजें आ रहीं थी और निर्मल के माता पिता बाहर बैठक में मुंह लटकाए ब...

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ठगिनी By Manisha Kulshreshtha

मरूस्थल के आठ गांवों में वह इकलौता ताल था, थे तो जेठ के गरम दिन, लेकिन रात ठंडी थी और चांदनी रात थी। ताल चांदी के तारों की कढ़ी हरी नीली चूनरी सा चमक रहा था। बगल से जाती आठ कोस की क...

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मी टू By Swati Grover

आज ऑफिस में कैंटीन में यही बातें चल रही थी ये जो इतने दिनों न्यूज़, इन्टरनेट और अखबार में आए दिन मी टू से सम्बन्धित लगातार खबरें आ रही हैं। रमेश ने कहा, “यार ये सब ऐसे ही हैं नाना प...

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मधुमक्खियाँ By Manisha Kulshreshtha

बहुत अलग थी वह शाम, अबाबीलें सर पर गोल चक्कर काट रहीं थीं. बावड़ी की मेहराबों के नीचे बने अपने गन्दे...कीचड़ – काग़ज़ के बने बदबूदार घोंसलों में नहीं लौट रही थीं...सूरज ठण्डा पड़ गया था...

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शहीदे आजम भगतसिंह By Asha Rautela

शहीदे आजम भगतसिंह भारत को स्वतंत्र कराने में न जाने कितने वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। वे सीने में गोली खाते, दर्द सहते चुपचात मौत की आगोश में सो गए, ताकि हम लोग जाग सकें।...

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पुराना दफ़्तर By Kali Raja

पुराना दफ़्तर शहेर के बीचो-बीच का एक सरकारी दफ़्तर हु मै, जो अब पुराना हो चुका हु.... शायद एक अरसा हो गया हे मुजे बंद कीये गए, मेरा हर कमरा, कमरे का हर सामान अब पुराना हो चुका ह...

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परजीवी By Manisha Kulshreshtha

मैं हमेशा से परजीवी नहीं था, मेरे पास नौकरी थी. तुमने शादी की ज़िद की और नौकरी भी छुड़वा दी. मैं तुम्हारे साथ बिना शादी के रहना चाहता था. यूँ शादी करने की तुम्हारी उम्र भी निकल चुकी...

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रक्षा बंधन By Swati Grover

सात साल की नन्ही सुबह से ही जिद कर रही है कि इस बार राखी कान्हा की मूर्ति को नहीं कान्हा को ही बाँधेगी, तभी कुछ खाएगी। उसकी माँ सरला पहले तो हँसने लगती हैं फिर नन्ही को समझाती हैं...

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ओ मरियम ! By Manisha Kulshreshtha

मां जा रहीं थीं, जिन बहुत सारी चीज़ों को विरासत में छोड़ कर, उनमें से एक गैरदुनियादार व्यक्ति होने के नाते, मेरे हाथ लगी थी केवल उनकी डायरी और लकड़ी के गोल मनकों की माला। मेरे पास...

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पिंकी By Asha Rautela

पिंकी पिंकी टीवी पर कार्टून देख रही थी। टाॅमन एन्ड जेरी उसका फेबरेट प्रोगाम था। तभी उसकी मम्मी आई बोली,‘‘ पिंकी बेटा होमवर्क कर लो’’ मम्मी की बात सुनकर पिंकी होमवर्क करने लगी पर पि...

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बाई बाई By Saadat Hasan Manto

नाम उस का फ़ातिमा था पर सब उसे फातो कहते थे बानिहाल के दुर्रे के उस तरफ़ उस के बाप की पन-चक्की थी जो बड़ा सादा लौह मुअम्मर आदमी था।

दिन भर वो इस पन चक्की के पास बैठी रहती। पहाड़ के...

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एंजल नेहा By Rahul Joshi

“आज तुम्हरी भाभी ना सिर्फ हमको देखी. बल्कि लजाते हुए अंदर दौड़ पड़ी.”... गगन ने संतोष से कहा। दोनों जिगरी यार थे। हर छोटी-बड़ी बात आपस में साझा किया करते थे। “का बात कर...

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भूख से लड़ाई By r k lal

भूख से लड़ाई आर0 के0 लाल पिछली छुट्टी में हम अपने पापा के साथ उनके गांव गए, जहां उनके बड़े ताऊजी रहते हैं। उनका अच्...

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खरपतवार By Manisha Kulshreshtha

उसकी यादों में कुछ दहशतें और कुछ वहशतें अब भी बाकी हैं. सप्ताह के बाकी दिन वह फाइलों, टेलीफोनों, लोगों से मुलाकातों के बीच वह खुद पर व्यस्तता के छिलके चढा लेता है. अवकाश के दिन ये...

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बीवी भाग गई By Swati Grover

पूरे ऑफिस को पता चल गया था कि निखिल की बीवी उसे छोड़कर चली गई पर लोगो के लिए यह बात कि बीवी भाग गई किसी सनसनी खबर से कम नहीं थी। कुछ दिन फिर हफ्ता और एक महीना कब तक छुपाता, आखिर सबक...

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ईनाम By Ajay Amitabh Suman

बात लगभग अस्सी के दशक की है . जितने में आजकल एक कप आइसक्रीम मिलता है , उतने में उनदिनों एक किलो चावल मिल जाया करता था. अंगिरस 6 ठी कक्षा का विद्यार्थी था. उसके पिताजी पोस्ट ऑफिस मे...

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स्यामीज By Manisha Kulshreshtha

'अरे वाह, ये तो दो कठपुतलियां हैं, एक ही काठ के टुकडे पर आगे - पीछे बनाई गईं. भारतीय कला का बडा अद्भुत नमूना हैं यह भी ! इधर से देखो तो मानसी, उधर से देखो तो रूपसी. यूं नचाओ तो...

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हमारी अंतरा By Asha Rautela

हमारी अंतराअंतरा के माता-पिता नहीं थे। वह अपने चाचा-चाची के साथ रहती थी। चाची में अंतरा अपनी माँ की छवि को ही देखती थी पर उसकी चाची उससे घर का सारा काम करवाती थी। साथ ही बोलती भी र...

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दिल के अमीर By S Sinha

कहानी - दिल के अमीर शेखर वर्षों बाद पटना अपने पैतृक घर आया था .इसके पहले वह जब भी आया दो तीन दिन से ज्यादा नहीं रहा था .इस बार अपनी पत्नी के साथ आया था और उन्हें दो सप्ताह से...

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हिना By Ved Prakash Tyagi

हिना खूबसूरत हिना को पत्नी रूप में पाकर सुहैल बहुत खुश था, दिल्ली में रंजीत नगर के तीन कमरों वाले फ्लैट में अपनी गृहस्थी की शुरुआत की। “”अब तो पूरा हफ्ता गुजर गया, कब तक छुट्टी क...

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हिप हिप हुर्रे By Ajay Amitabh Suman

पिछले एक घंटे से उसके हाथ मोबाइल पर जमे हुए थे। पबजी गेम में उसकी शिकारी निगाहें दुश्मनों को बड़ी मुश्तैदी से साफ कर रहीं थी। तकरीबन आधे घंटे की मशक्कत के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने...

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हाइड एण्ड सीक By Manisha Kulshreshtha

उस जन्नत की तरह खूबसूरत शहर तक पहुंचने में वे उत्सुकता और बेचैनी भरी प्रतीक्षा को महसूस करना चाहते थे इसलिए घरवालों और परिचितों के बहुत मना करने के बावज़ूद उन्होंने अकेले और सड़क के...

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पद्मावती By Swati Grover

पूरे भारत में पद्मावती फिल्म को लेकर बवाल मचा हुआ था ! टी.वी पर वही खबरे बार-बार आ रही थी! और अपने घर में बैठी पदमा सोच रही थी , कौन थी यह रानी? मेरी तरह...

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पगडंडी By Mukteshwar Prasad Singh

पगडंडी​​​​​​​​​ ​​आज मंजू का सब कुछ उजड़ गया। इस कारण नहीं कि भूकंप आया था या सुनामी लहर आयी थी या फिर तूफानी वर्षा या बाढ़। आज सिर्फ उसकी ही दुनियां उजड़ी थी।...

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थकी जिन्दगी By Bhupendra kumar Dave

थकी जिन्दगी बुढ़ापा आने पर एक बात की खुशी होती है कि हम मृत्यु के नजदीक पहुँच गये होते हैं। दाँत गिरना, बाल झरना, आँख में मोतियाबिन्दी होना, शरीर के जोड़ों में दर्द होना, रह रह...

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मन क्या है? By Asha Rautela

मन क्या है? मन क्या है? इस विषय में हम इतना ही समझ पाते है कि यह केवल दुख, दर्द, संताप के सिवा कुछ नहीं। इसका प...

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दयावान चोर By paresh barai

एक समय की बात है| एक छोटे से गाँव में रघु नाम का व्यक्ति रहता था| उसे कोई ढंग का काम-काज मिल नहीं रहा था| मज़बूरी के चलते वह चोरी-चकारी के रस्ते पर चल पड़ा| पहले तो इस काम से उसे बहु...

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निश्छल प्रेम By Ved Prakash Tyagi

निश्छल प्रेम “बेटा तू खुश तो है ना अपनी नौकरी से?” माँ मेरठ के एक छोटे से गाँव से पुणे में बात कर रही थी, कुछ ही दिन पूर्व बेटी ने आइ आर एस की परीक्षा प्रथम स्थान पाकर सफल की थी, त...

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सेटल By Swati Grover

सौम्या मेट्रो मे बैठी अपने स्टेशन का इंतज़ार कर रही थी ! वह रोज़ रिठाला एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने जाती है फिर वापिस अपने घर जाने के लिए इंदरलोक मेट्रो स्टेशन पर उतरती है! वहा...

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मन की ख़ुशी By Vandna Sharma

ख़ुशी की तलाश में हम दूर तक गए इधर न मिली ,उधर ना मिली यहाँ ना मिली ,वहां ना मिली मिली तो मेरे मन में मिली बैठी थी एक कोने में लगी थी रोने -धोने में मैंने पूछा -ये क्या बात हुई ?नाम...

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आओ बहनों चुगली करें By Asha Rautela

आओ बहनों चुगली करें पहला दृश्यएक मध्यमवर्गीय परिवार का दृश्य(बहू, सास आपस में बातें कर रहें तभी गौरव आता है। गौरव सर...

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