hindi Best Short Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • गुलाबी ईद

    वर्ष - 2018 प्रोफेसर रंगनाथ अपने कमरे में पड़े एक सोफे में में सर को पीछे की तरफ...

  • रुही

    पाकिस्तान के मुसलमान किसी भी हिन्दू को जिंदा नहीं छोड़ रहे थे, बच्चों और बूढ़ों को...

बेगुनाह गुनेहगार 7 By Monika Verma

सुहानी और रोहित के बीच की बातचीत बांध हो चुकी थी। और इमरान के साथ जैसे हमसफर मिल चुका हो ऐसे सुकून मिल चुका था। लेकिन रोहित की यादों से दूर नही हुई । कैसे भूल पाती। दो साल से साथ ज...

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दो क़ौमैं By Saadat Hasan Manto

मुख़तार ने शारदा को पहली मर्तबा झरनों में से देखा। वो ऊपर कोठे पर कटा हुआ पतंग लेने गया तो उसे झरनों में से एक झलक दिखाई दी। सामने वाले मकान की बालाई मंज़िल की खिड़की खुली थी। एक लड़क...

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गुलाबी ईद By Avinash Sharma

वर्ष - 2018 प्रोफेसर रंगनाथ अपने कमरे में पड़े एक सोफे में में सर को पीछे की तरफ झुकाए आराम कर रहे थे तभी उनके बगल में बजते हुए मोबाईल ने उनका ध्यान अपनी तरफ खींचा प्रोफेसर ने मोबा...

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अधूरी कहानी... By Dharmendra Kumar Pandey

यह उन दिनों की बात है जब वीरू 8 वीं के बाद 9 वीं की पढ़ाई करने के लिए शहर गया और उसका ऐडमिशन एक प्राइवेट स्कूल में कराया गया। वह शहर की जिंदगी से पूरी तरह से अंजान था। उसे स्कूल के...

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अनकही By Vinita Shukla

बैलगाड़ी नहरिया पार जा रही थी- हिचकोले पर हिचकोले खाती हुई...कच्चे मिट्टी के पुल से, धूल के गुबार उठकर, घेराबंदी करते हुए. मंगला ने घूंघट की ओट से, झांककर देखा. नहर से लगी,...

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आस्था के रंग By VIRENDER VEER MEHTA

एक ही पेशा था हम दोनों का, और अक्सर किसी बड़े काम में दोनों साथ मिलकर काम को अंजाम दिया करते थे। इस बार भी ऐसा काम हाथ में आया तो पूरे योजनाबद्ध तरीके से हमने उसे अंजाम दिया और मंदि...

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तिरोहित By Vinita Shukla

स्वरा एकटक उस विशालकाय बोर्ड को देख रही थी, जिस पर लिखा था, “रोहिणी देवी मेमोरियल हॉस्पिटल”. नये पेंट की तहें, अभी सूखी ना थीं. मन में कुछ भरभराकर टूट गया. औचक ही यादों के...

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यमराज और मेरा सपना By Author Pawan Singh

मेरा नाम विरुद्ध सेन है मेरी मृत्यु हो चुकी है आपके मन में उठ रहा होगा की ये मुझे कैसे पता? तो मै आपको बता दू की मै अब एक आत्मा हूँ जो अपनी लाश को घूर रहा है। मेरी लाश बिलकुल पीली...

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मुखौटे By Vinita Shukla

यामिनी की उड़ती हुई नज़र अपने पति सुदेश पर पड़ी. सुदेश को अपना बनाने के लिए, उसे ऐसे ही तमाम हथकंडे अपनाने पड़े थे. वे मल्टीनेशनल कम्पनी में नियुक्त, फाइव- फिगर सैलरी पाने वाले, आकर्षक...

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सम्बोधन By Krishna manu

आज वह तीन दिनो से चल रहे 'चैट चैट' के खेल का अंत कर देना चाहता था। बहुत हुआ मजाक। उसकी सोच दो दिनो पूर्व की घटना पर केंद्रित हो गई। उस दिन भी रात कुछ गहरी हो चली थी। वह ए...

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कच्चा कहानीकार - अणु कथा By Deepak Shah

अगले दिन संयोजक ने ये कह कर कि, “लेखकों, कवियों को एक अच्छा मंच चाहिए। और समाज को अच्छे लेखक, अच्छे कवि। जो समाज को सही रास्ता दिखा सकें। हम वही मंच हैं।” और सभा शुरू हुई। रमता ने...

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बेईमान - परवेज़ इक़बाल की लघु कथाएं By Parvez Iqbal

भय भूख और भ्रष्टाचार को मुद्दा बना कर चुनाव लड़ रही पार्टी के मुखिया वातानुकूलित मंच से भाषण झाड़ रहे थे और चिलमिलाती धुप में पसीना पोंछते हुवे सोच में डूबा था की काली वर्दीधारी दर्...

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रस्म By Anita Lalit

बर्तन गिरने की आवाज़ से शिखा की आँख खुल गयी। घडी देखी तो आठ बज रहे थे , वह हड़बड़ा कर उठी। "उफ़्फ़ ! मम्मी जी ने कहा था कल सुबह जल्दी उठना है , 'रसोई' की रस्म करनी है, हलवा-पूरी बनाना...

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उसकी मौत By Ashok Pruthi Matwala

सहसा, सभा में मौजूद एक सज्जन ने मौत का कारण जानते हुये भी अपने पास बैठे दूसरे सज्जन से औपचारिकतावश अपनी सहानुभूति दर्शाते हुये वार्तालाप शुरू किया, वाकई ही बड़ा ज़ुल्म हुआ है भाई सा...

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प्रकृति मैम By Prabodh Kumar Govil

अरे सर, रुटना रुटना ...अविनाश दौड़ता-चिल्लाता आया।
-क्या हुआ? मैं पीछे देख कर चौंका।
-सर, टन्सेसन मिलेडा।
-अरे कन्सेशन ऐसे नहीं मिलता। मैंने लापरवाही से कहा।
-तो टेसे मिलटा है?...

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रुही By Ved Prakash Tyagi

पाकिस्तान के मुसलमान किसी भी हिन्दू को जिंदा नहीं छोड़ रहे थे, बच्चों और बूढ़ों को निर्दयता से मार रहे थे, जवान औरतों के साथ समूहिक बलात्कार करके उनको बड़े ही घिनौने ढंग से मौत के घाट...

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सच्चा इंसान By Nagendra Dutt Sharma

यह कोई उस समय की बात है जब मैं नवी कक्षा का छात्र था। किराये के जिस मकान में हम रहते थे वहाँ से मेरा स्कूल कोई डेढ़-दो किलोमीटर की दूरी पर था। स्कूल उस समय ज्यादातर विद्यार्थी पैदल...

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एक अपवित्र रात - 7 By MB (Official)

पिकारेस्क नॉबेल का जनक और स्पेन का सर्वाधिक प्रतिभाशाली कथाकार सर्वाण्टीज़ (1547-1616) जिन्दगी भर गरीबी और गुमनामी से जूझता रहा। अपने जमाने को समझने में सर्वाण्टीज़ किस कदर सफल रहा...

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स्वाभिमान - लघुकथा - 56 By Upasna Siag

जब से बहेलिये ने चिड़िया को अपना कर देख भाल करने का फैसला किया है तभी से चिड़िया सहमी हुई तो थी ही, लेकिन में विचारमग्न भी थी । वह कैसे भूल जाती बहेलिये का अत्याचार - दुराचार । उ...

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स्वाभिमान - लघुकथा - 55 By Nisha chandra

क्या करे अनी, समझ नहीं पा रही है ।क्या पापा से मर्सिडिज के लिए बोल दे या हमेशा के लिए समीर को छोड़कर पिता के घर चली जाये। इकलौती सन्तान है और करोड़ो की वारिस, पिता से कहकर मर्सिडिज...

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स्नेह By Anjali Dhabhai

मां कितने जतन से अपने बच्चों को पालपोस कर बड़ा करती हैं। वो चाहे अकेली हो या परिवार के साथ पर वो अपने बच्चों को परवरिश देती हैं ,पर क्या बच्चे अपनी एक माँ को ढंग से रख पाते हैं वो प...

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हुआंग चाउ की बेटी - 10 By Sax Rohmer

डरहम ने धीरे से हुआंग चाउ के ट्रेज़र हाउस की छत की जाली हटाई। वह किसी तरह के जाल और खतरों के लिए तैयार था। कोई भी सयाना व्यक्ति, उसके - डरहम के मजबूरी में पीछे छोड़े गए प्रमाणों को द...

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स्वाभिमान - लघुकथा - 54 By Krishanlata Yadav

नौकर के रूप में काम पाने आए युवक से नियोक्ता ने प्रश्न किया, ‘तुम्हारा नाम ?’
‘दीनदयाल।’
‘दीनदयाल यानी दीनू ?’
‘दीनू नहीं, सर, दीनदयाल।’
‘सर नहीं, मालिक बोलो। नौकरों की ज़ुबान...

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स्वाभिमान - लघुकथा - 53 By Asha sharma

सुनो लड़के! जरा इस गार्डन की साफ़-सफाई कर दोगे? कितने पैसे लोगे?” बाहर गली में कबाड़ वाले लड़के की आवाज सुनकर रजनी बाहर आई.

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स्वाभिमान - लघुकथा - 52 By Vinita Rahurikar

“क्या भाई साहब आपके लिए रिश्तों से बढकर पैसा हो गया? कैसा जमाना आ गया है. सब अपने स्वार्थ में ऐसे डूबे हैं की किसी की परेशानियों से तो लेना-देना ही नहीं रहा...खा थोड़े ही न रहा हूँ...

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स्वाभिमान - लघुकथा - 51 By Lata Agrawal

“व्शी ....!!! जानेमन ! अकेले- अकेले कहाँ चल दीं ...हमसे कहा होता ...संग चल देते ” कराटे क्लास से घर जा रही प्रतिभा को सुनसान रास्ते में कुछ मनचलों ने रोक लिया सीटी बजाते हुए वे...

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बेगुनाह गुनेहगार 7 By Monika Verma

सुहानी और रोहित के बीच की बातचीत बांध हो चुकी थी। और इमरान के साथ जैसे हमसफर मिल चुका हो ऐसे सुकून मिल चुका था। लेकिन रोहित की यादों से दूर नही हुई । कैसे भूल पाती। दो साल से साथ ज...

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दो क़ौमैं By Saadat Hasan Manto

मुख़तार ने शारदा को पहली मर्तबा झरनों में से देखा। वो ऊपर कोठे पर कटा हुआ पतंग लेने गया तो उसे झरनों में से एक झलक दिखाई दी। सामने वाले मकान की बालाई मंज़िल की खिड़की खुली थी। एक लड़क...

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गुलाबी ईद By Avinash Sharma

वर्ष - 2018 प्रोफेसर रंगनाथ अपने कमरे में पड़े एक सोफे में में सर को पीछे की तरफ झुकाए आराम कर रहे थे तभी उनके बगल में बजते हुए मोबाईल ने उनका ध्यान अपनी तरफ खींचा प्रोफेसर ने मोबा...

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अधूरी कहानी... By Dharmendra Kumar Pandey

यह उन दिनों की बात है जब वीरू 8 वीं के बाद 9 वीं की पढ़ाई करने के लिए शहर गया और उसका ऐडमिशन एक प्राइवेट स्कूल में कराया गया। वह शहर की जिंदगी से पूरी तरह से अंजान था। उसे स्कूल के...

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अनकही By Vinita Shukla

बैलगाड़ी नहरिया पार जा रही थी- हिचकोले पर हिचकोले खाती हुई...कच्चे मिट्टी के पुल से, धूल के गुबार उठकर, घेराबंदी करते हुए. मंगला ने घूंघट की ओट से, झांककर देखा. नहर से लगी,...

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आस्था के रंग By VIRENDER VEER MEHTA

एक ही पेशा था हम दोनों का, और अक्सर किसी बड़े काम में दोनों साथ मिलकर काम को अंजाम दिया करते थे। इस बार भी ऐसा काम हाथ में आया तो पूरे योजनाबद्ध तरीके से हमने उसे अंजाम दिया और मंदि...

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तिरोहित By Vinita Shukla

स्वरा एकटक उस विशालकाय बोर्ड को देख रही थी, जिस पर लिखा था, “रोहिणी देवी मेमोरियल हॉस्पिटल”. नये पेंट की तहें, अभी सूखी ना थीं. मन में कुछ भरभराकर टूट गया. औचक ही यादों के...

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यमराज और मेरा सपना By Author Pawan Singh

मेरा नाम विरुद्ध सेन है मेरी मृत्यु हो चुकी है आपके मन में उठ रहा होगा की ये मुझे कैसे पता? तो मै आपको बता दू की मै अब एक आत्मा हूँ जो अपनी लाश को घूर रहा है। मेरी लाश बिलकुल पीली...

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मुखौटे By Vinita Shukla

यामिनी की उड़ती हुई नज़र अपने पति सुदेश पर पड़ी. सुदेश को अपना बनाने के लिए, उसे ऐसे ही तमाम हथकंडे अपनाने पड़े थे. वे मल्टीनेशनल कम्पनी में नियुक्त, फाइव- फिगर सैलरी पाने वाले, आकर्षक...

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सम्बोधन By Krishna manu

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कच्चा कहानीकार - अणु कथा By Deepak Shah

अगले दिन संयोजक ने ये कह कर कि, “लेखकों, कवियों को एक अच्छा मंच चाहिए। और समाज को अच्छे लेखक, अच्छे कवि। जो समाज को सही रास्ता दिखा सकें। हम वही मंच हैं।” और सभा शुरू हुई। रमता ने...

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बेईमान - परवेज़ इक़बाल की लघु कथाएं By Parvez Iqbal

भय भूख और भ्रष्टाचार को मुद्दा बना कर चुनाव लड़ रही पार्टी के मुखिया वातानुकूलित मंच से भाषण झाड़ रहे थे और चिलमिलाती धुप में पसीना पोंछते हुवे सोच में डूबा था की काली वर्दीधारी दर्...

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रस्म By Anita Lalit

बर्तन गिरने की आवाज़ से शिखा की आँख खुल गयी। घडी देखी तो आठ बज रहे थे , वह हड़बड़ा कर उठी। "उफ़्फ़ ! मम्मी जी ने कहा था कल सुबह जल्दी उठना है , 'रसोई' की रस्म करनी है, हलवा-पूरी बनाना...

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उसकी मौत By Ashok Pruthi Matwala

सहसा, सभा में मौजूद एक सज्जन ने मौत का कारण जानते हुये भी अपने पास बैठे दूसरे सज्जन से औपचारिकतावश अपनी सहानुभूति दर्शाते हुये वार्तालाप शुरू किया, वाकई ही बड़ा ज़ुल्म हुआ है भाई सा...

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प्रकृति मैम By Prabodh Kumar Govil

अरे सर, रुटना रुटना ...अविनाश दौड़ता-चिल्लाता आया।
-क्या हुआ? मैं पीछे देख कर चौंका।
-सर, टन्सेसन मिलेडा।
-अरे कन्सेशन ऐसे नहीं मिलता। मैंने लापरवाही से कहा।
-तो टेसे मिलटा है?...

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रुही By Ved Prakash Tyagi

पाकिस्तान के मुसलमान किसी भी हिन्दू को जिंदा नहीं छोड़ रहे थे, बच्चों और बूढ़ों को निर्दयता से मार रहे थे, जवान औरतों के साथ समूहिक बलात्कार करके उनको बड़े ही घिनौने ढंग से मौत के घाट...

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सच्चा इंसान By Nagendra Dutt Sharma

यह कोई उस समय की बात है जब मैं नवी कक्षा का छात्र था। किराये के जिस मकान में हम रहते थे वहाँ से मेरा स्कूल कोई डेढ़-दो किलोमीटर की दूरी पर था। स्कूल उस समय ज्यादातर विद्यार्थी पैदल...

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एक अपवित्र रात - 7 By MB (Official)

पिकारेस्क नॉबेल का जनक और स्पेन का सर्वाधिक प्रतिभाशाली कथाकार सर्वाण्टीज़ (1547-1616) जिन्दगी भर गरीबी और गुमनामी से जूझता रहा। अपने जमाने को समझने में सर्वाण्टीज़ किस कदर सफल रहा...

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स्वाभिमान - लघुकथा - 56 By Upasna Siag

जब से बहेलिये ने चिड़िया को अपना कर देख भाल करने का फैसला किया है तभी से चिड़िया सहमी हुई तो थी ही, लेकिन में विचारमग्न भी थी । वह कैसे भूल जाती बहेलिये का अत्याचार - दुराचार । उ...

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स्वाभिमान - लघुकथा - 55 By Nisha chandra

क्या करे अनी, समझ नहीं पा रही है ।क्या पापा से मर्सिडिज के लिए बोल दे या हमेशा के लिए समीर को छोड़कर पिता के घर चली जाये। इकलौती सन्तान है और करोड़ो की वारिस, पिता से कहकर मर्सिडिज...

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मां कितने जतन से अपने बच्चों को पालपोस कर बड़ा करती हैं। वो चाहे अकेली हो या परिवार के साथ पर वो अपने बच्चों को परवरिश देती हैं ,पर क्या बच्चे अपनी एक माँ को ढंग से रख पाते हैं वो प...

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हुआंग चाउ की बेटी - 10 By Sax Rohmer

डरहम ने धीरे से हुआंग चाउ के ट्रेज़र हाउस की छत की जाली हटाई। वह किसी तरह के जाल और खतरों के लिए तैयार था। कोई भी सयाना व्यक्ति, उसके - डरहम के मजबूरी में पीछे छोड़े गए प्रमाणों को द...

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स्वाभिमान - लघुकथा - 54 By Krishanlata Yadav

नौकर के रूप में काम पाने आए युवक से नियोक्ता ने प्रश्न किया, ‘तुम्हारा नाम ?’
‘दीनदयाल।’
‘दीनदयाल यानी दीनू ?’
‘दीनू नहीं, सर, दीनदयाल।’
‘सर नहीं, मालिक बोलो। नौकरों की ज़ुबान...

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स्वाभिमान - लघुकथा - 53 By Asha sharma

सुनो लड़के! जरा इस गार्डन की साफ़-सफाई कर दोगे? कितने पैसे लोगे?” बाहर गली में कबाड़ वाले लड़के की आवाज सुनकर रजनी बाहर आई.

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स्वाभिमान - लघुकथा - 52 By Vinita Rahurikar

“क्या भाई साहब आपके लिए रिश्तों से बढकर पैसा हो गया? कैसा जमाना आ गया है. सब अपने स्वार्थ में ऐसे डूबे हैं की किसी की परेशानियों से तो लेना-देना ही नहीं रहा...खा थोड़े ही न रहा हूँ...

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स्वाभिमान - लघुकथा - 51 By Lata Agrawal

“व्शी ....!!! जानेमन ! अकेले- अकेले कहाँ चल दीं ...हमसे कहा होता ...संग चल देते ” कराटे क्लास से घर जा रही प्रतिभा को सुनसान रास्ते में कुछ मनचलों ने रोक लिया सीटी बजाते हुए वे...

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