आधा इश्क औ' आधा फ़साना
इक तरफ़ मैं इक तरफ़ ज़माना

तू मुझे हासिल , हुआ है ऐसे
शराबी को जैसे दिखे मयखाना

मैं हूँ किधर अब कहाँ खबर है
झूमूँ मैं गाफ़िल पीकर पैमाना

तू मेरा ईश्वर , तू ही खुदा है
कोई ना माने , पर मैंने ये माना

करती हूँ सज़दा कुर्बत का अपनी
जीती हूँ उसको, जिसको है जाना

इश्क है तू ही औ' तू ही दुआ है
होंठो पर ठहरा जो तू ही तराना

एक ख्वाहिश जो मरते की पूछे खुदा
कह दूँ मुझे , मेरी रूह से मिलाना

#pranjali ....

Hindi Poem by Pranjali Awasthi : 111275615
Devesh Sony 5 years ago

वाहह.. बहोत खूब ...?

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