विचारधारा...
"तेन त्यक्तेन भूंजीथा ।"अर्थात त्याग कर भोगना हैं। किसी की संपत्ति पर लालच न करे ।
इनसान को भाग्य से मिली हुई संपत्ति पर उनका अकेले का अधिकार नहीं है।ऊनको दूसरों के साथ बांटकर भोगना चाहिए। यही हमारी संस्कृति भी है और संस्कार भी ।एक भाई दूसरे भाई की संपत्ति छीनना न चाहे बल्कि सहयोग से चले ।इससे सुख शांति मय जीवन का निर्माण होता है।