तात्विक विचारधारा..."नहीं ज्ञानेन सद्दशं पवित्रम्इह विद्यते ।" इस संसार में ज्ञान जैसा पवित्र कुछ नहीं है। जैसे अग्नि काष्ट को भस्म करता है ।वैसे ज्ञान मनुष्य के कर्म को जलाकर भस्म कर देता हैं।अर्थात ज्ञानी मनुष्य निष्पाप होकर संसार सागर पार हो जाता हैं। और परम शान्ति को प्राप्त करता हैं।