तात्विक विचारधारा..."गहना कर्मणो गति:।"अर्थात् कर्म की गति गहन हैं ।कर्म की गति जानने मे बडें बडें योगी भी खो गये हैं ।क्योंकि एक ही गौ के दो बछडे ,एक शिव के मंदिर में पूजा जाता हैं, दूसरा घांची के यहां चक्कर काटता हैं । इसीलिए कहा गया हैं ,साधो ! कर्मन् की गत न्यारी ।