तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
बचपन से ही गाने सुनने का बड़ा शौक रहा है और वह भी पुराने फिल्मी गाने। रफी, मुकेश, महेंद्र कपूर, किशोर कुमार , मन्ना डे, लता जी, आशा, शमशाद बेगम आदि। हमारी 9वीं से 12वीं तक का दौर कुमार शानू, अभिजीत, उदित नारायण अलका याग्निक आदि का था। यह वह समय था। जब मुझे पुराने गानों में कम, इन गानों में ज्यादा दिलचस्पी होने लगी थी। लेकिन मजे की बात देखिए। गाने हम अपने समय के सुनते और जब अंताक्षरी का दौर चलता तो हम सभी गाते रफी, किशोर, लता जी के गाने। पापा हमेशा कहते थे कि हमारे संगीत का यह ऐसा सुनहरा दौर है जो आने वाली पीढ़ियां चाहे कितनी भी आधुनिकता के रंग में रंग जाए लेकिन जुबान पर उनकी हमेशा यही गाने रहेंगे और यह सही भी है।
इसी से संबंधित एक किस्सा मैं आप लोगों से साझा कर रही हूं। कॉलेज के समय से ही मुझे रफी साहब के गानों में खासी दिलचस्पी हो गई थी। हां यह अलग बात थी घर पर हमारे हमेशा मुकेश जी के गाने ही सुने जाते थे क्योंकि वह मेरे पापा के फेवरेट सिंगर थे। वह जब भी कहीं जाते उन्हीं के गानों की कैसेट ले कर आते। गाने मुझे उनके भी बहुत पसंद है लेकिन रफी साहब की बात ही कुछ और है। हर गाने में वह खुद को ऐसे ढाल लेते थे ,मानो खुद उस किरदार को जी रहे हो। उनकी यही शिद्दत से गाना गाने की अदा हम सबको उनका कायल बनाती है। उन्होंने जिंदगी के हर पहलू को अपनी आवाज दी है । चाहे वह प्यार का नगमा हो
यूं ही तुम मुझसे बात करती हो या कोई प्यार का इरादा है।
या मस्ती, शरारत भरा गाना हो
याहू, याहू चाहे कोई मुझे जंगली कहे।
या दर्द में डूबा कोई नगमा हो ।
तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम, आज के बाद।
या छेड़छाड़ भरा कोई गाना।
ओ मेरी महबूबा, महबूबा, महबूबा। तुझे जाना हो तो जा तेरी मर्जी मेरा क्या।
शादी के बाद मेरी आदत बन गई थी कि मैं किचन में काम करते हुए म हमेशा उसके गाने सुनते हुए खाना बनाती।
बच्चे हमेशा मेरा मजाक उड़ाते हुए कहते हैं " क्या मम्मी आप कौन से जमाने के गाने सुनती। इतने स्लो गाने आप कैसे सुन सकती हो। मैं उन्हें हंसते हुए यही कहती "आज के गानों मैं शोर-शराबे के अलावा कुछ नहीं।" और वह कहते हैं "मम्मी यही तो आज का फन है।" मेरा यही जवाब होता "देखना एक दिन तुम भी इन्हीं गानों को गुनगुनाते नजर आओगे"! और आज जब वह कॉलेज में है तो उसकी जुबान पर रफी ,महेंद्र कपूर और किशोर के गाने ही रहते हैं।
आज मोहम्मद रफी जी हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके गाए गीत आज भी हमारी रग रग में बसते हैं। सही कहा था उन्होंने
तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे, जब कभी सुनोगे गीत मेरे,
संग संग तुम भी गुनगुनाओगे।।
सरोज ✍️✍️