*प्रातः वंदन,,,,🙏*
*बिना स्वाद की चाय की चुस्की*
*मजा नही देती.... रिश्तों की चाय में*
*शक्कर ज़रा माप के ही रखना*
*फीकी हुई तो स्वाद नहीं आएगा और*
*ज्यादा मीठी हुई तो मन भर जाएगा*
*हर चीज़ का संतुलन बहुत जरूरी है*
*और इसके लिये हमारे शब्द ही*
*हमारी मास्टर चाबी हैं,*
*ये दिलों के दरवाजे खोल भी सकते हैं*
*और लोगों के मुँह पर ताले लगा भी सकते हैं*
*चित्र ही नहीं चरित्र भी सुन्दर हो*
*भवन ही नही भावना भी सुन्दर हो*
*साधन ही नही साधना भी सुन्दर हो*
*दृष्टि ही नही दृष्टिकोण भी सुन्दर हो*
*मैं श्रेष्ठ हूँ"यह आत्मविश्वास है लेकिन*
*सिर्फ मै ही श्रेष्ठ हूँ यह अहंकार है*
*इसलियें जीवन की हर स्थिति मे*
*धेर्य बनाये रखना श्रेष्ठता है*
Good morning...........Jay shree krishna🙏🏻💐