#Click to see u & ur inner soul...!!!
My Painful Poem ...!!!!
हम जुगनु-सी रोशनी समेटे फिरते थे
ख़्वाबोंके झरोखोंमें ही जीया करते थे
महलोंको ही असली ठिकाना समझें थे
परवाज़ों की उड़ान में आसमान छूते थे
ज़मीन पर तो पैरों को न कभी रखते थे
ख़्यालोंकी बुलंदियाँ से घमंड में चूर थे
रब प्रभु ईश्वर तस्वीरों में ही क़ैद-से थे
आँधियाँ नफ़रतों की ज़हनों में पालें थे
ख़ूनी लिबासोंमें ही बहसबाजी करते थे
बेटियाँसे भी खिलौनोंकी तरह खेलते थे
जी भर जाने पर नराधम-से जान लेते थे
क्या क्या खेल मक्कारीओके न खेले थे
एसे ही तो चाबूँक प्रभु की चलती न थी
अनगिनत मौक़े भी सँभलने के दिए थे
सुनामी टाइफ़ून हूरिकेनको न समझे थे
दावत हमने ही अपने आमालोसे दिए थे
वाइरस तों बहाना है हमें इन्सान बनना है
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