तोड़ने है,
दुनिया के नियम,
बाग़ी मुझे कहलाना है,
अब हौसलों के पंखों से,
फलक पर नाम,
लिख आना हैं.....
कौन हो तुम यें,
कहने वाले,
लडकी को,
चूल्हा चौंका संभालना है,
घर बैठा दो,
लडकी को,
लड़के ने ही नाम रोशन,
कर आना है.....
इस दकियानूसी
सोंच पें अब,
पुर्णविराम लगाना है.....
माना औरत हूँ मैं,
पर कमजोर नहीं हूँ,
ये इस दुनिया को,
दिखाना है,
हक है हमारा इज्जत,
जो ना दे उस से,
छीन, स्वाभिमान बचाना है.....
तुम पुरुषों की,
इस दुनिया में,
सम्मान मुझे पाना है,
बहुत छल लिया,
सबने मुझे,
अब बाग़ी बन,
हर हिसाब चुकाना हैं .....!!!!!
#बाग़ी