#आज की प्रतियोगिता "
# विषय .श्रेष्ठ "
# विधा .कविता *
प्रेम ही जीवन ,का श्रेष्ठ श्रृंगार होता ।
प्रेम ही जीवन में ,उमंगे लाता ।।
प्रेम ही जीवन में ,मिलन बिछोह कराता ।
प्रेम पर ही दिल ,न्यौछावर होता ।।
प्रेम ही जीवन में ,अपार दुःख सुख देता ।
प्रेम के आगे ,मानव दिल लाचार होता ।।
प्रेम बिना ,जीवन नहीं निखरता ।
प्रेम ही श्रेष्ठ ,पुजा अर्चना कहलाता ।।
प्रेम पाने ही मानव ,जीता मरता ।
प्रेम बिना जीवन ,सूना रेगिस्तान होता ।।
प्रेम ही जीवन के ,उद्देश्य समझाता ।
कहता बृजेश प्रेम ,बिना मानव दानव बनता ।।

-Brijmohan Rana

Hindi Poem by Brijmohan Rana : 111557849
Brijmohan Rana 4 years ago

आदरणियजी धन्यवाद मित्रश्रेष्ठ जी ।

shekhar kharadi Idriya 4 years ago

प्रत्येक शब्द प्रेम रूपी मालाओं में पिरोया हो वैसा महसूस होता, अद्भुत अप्रतिम सृजन..

Brijmohan Rana 4 years ago

आदरणियजी आर .पी .जी धन्यवाद मित्रश्रेष्ठ जी ।

Brijmohan Rana 4 years ago

आदरणियजी मंयकजी जोशीजी धन्यवाद मित्रश्रेष्ठ जी ।

Brijmohan Rana 4 years ago

आदरणियाजी सारिकाजी धन्यवाद बहनाजी ।

Brijmohan Rana 4 years ago

आदरणियजी जी .एस .पी .जी धन्यवाद मित्रश्रेष्ठ जी ।

Brijmohan Rana 4 years ago

आदरणियजी भावेशजी राठौड धन्यवाद मित्रश्रेष्ठ जी ।

Brijmohan Rana 4 years ago

आदरणियजी एच .एस .जी धन्यवाद मित्रश्रेष्ठ जी ।

Brijmohan Rana 4 years ago

आदरणियजी अनिलजी पटेलजी धन्यवाद मित्रश्रेष्ठ जी ।

Brijmohan Rana 4 years ago

आदरणियाजी एन .एस .जी धन्यवाद बहनाजी ।

Brijmohan Rana 4 years ago

लाईक करनेवाले सभी मित्रों व बहनों को धन्यवाद जी ।

Brijmohan Rana 4 years ago

आदरणियाजी धन्यवाद बहनाजी ।

Brijmohan Rana 4 years ago

आदरणियजी आर .पी .जी धन्यवाद मित्रश्रेष्ठ जी ।

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