•तोहफ़ा

सोचा कल जन्मदिन हैं तुम्हारा हसीं कोई ख़िताब भेजूँ..,
झुमखा भेजूँ.., साड़ी भेजूँ या तोहफ़े में किताब भेजूँ..!

दीद-ए-उम्मीद में रात हों गई ख़्वाईश मेरी बे-नक़ाब भेजूँ..,
इश्क़ का दरिया ख़याल-ब-ज़रिया या कोई ख़्वाब भेजूँ..!

तुम्हारे शहर में सर्द ये मौसम हैं गर्म साँसे लाज़वाब भेजूँ..,
अंधेरी रातों में पूरा सा चाँद तुम कहो तो आफ़ताब भेजूँ..!

तुमने ने जब से मेरे होंठों को चूमा हैं और तो क्या ही में सबाब भेजूँ..?
दिल तोड़ तुझे जाने की इजाज़त आज भी हैं चाहों तो ये जवाब भेजूँ..!

कम्बख़त तुम तो ख़ुद एक गुलज़ार हों तुमको कौनसा ग़ुलाब भेजूँ..!
तुमको पढ़ना पसंद हैं "काफ़िया" तो सोचा तोहफ़े लिखी ये किताब भेजूँ..।

#TheUntoldकाफ़िया

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#poem #gazal #writer

Hindi Poem by TheUntoldKafiiya : 111611968

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