♥️♥️
मुसीबतों में पलता ख़्वाब हूँ मैं
काँटो में खिलता गुलाब हूँ मैं
कई गुत्थियों का जवाब हूँ मैं
प्यासों का शादाब, भूखों का पंजाब हूँ मैं
दिन का आफ़ताब, रात का मेहताब हूँ मैं
बंदिशों की दुनिया का इंकलाब हूँ मैं
परिश्रम की बूंदों से लिखी क़िताब हूँ मैं
कुछ है, पर बहुत कुछ के लिए बेताब हूँ मैं
संस्कारविहीन दुनिया का आदाब हूँ मैं
नकाबों की दुनिया में, अब भी बेहिज़ाब हूँ मैं
जवाबो के दौर में, अब भी लाज़वाब हूँ मैं
मुसीबतों में पलता ख़्वाब हूँ मैं
काँटो में खिलता गुलाब हूँ मैं
♥️♥️

Hindi Poem by Suyash Dixit : 111646683

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