काश की मेरी किस्मत में इतनी खुशी नसीब होती

तेरी बाहों में मेरे जिस्म से ये आखरी सांस निकली होती


तोह होता ना अफसोस ये खुदा तेरे रुसवाई का


लेकिन कुदरत को हमारा मिलना ना था मंजूर

इसमें तेरा नही , यकीनन मेरी किस्मत का ही था कसूर

-PriBa

Hindi Shayri by PriBa : 111749537

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