बीतीं जो तेरे संग,उन्हीं लम्हों में खुद को जीया है।
नया कुछ नहीं,गुज़रते समय में गुज़र जाना है।।
#शिकायतें_जो_तमाम_रह_गयीं
#अधूरीख़्वाहिश
#सनातनी_जितेंद्र मन

Hindi Shayri by सनातनी_जितेंद्र मन : 111762557

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