था जी रहा मन! जिंदगी,जिस भावना की चाह में..
की मनमानी,छोड़कर चली गई आधी-अधूरी राह में।
अब तन्हा हूँ, संग तन्हाई का मेला है....
अच्छा नहीं किया,जो खेल ये तुमने खेला है।।
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#स्वप्नपरी
#दर्द_छलक_जाता_है
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#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
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Hindi Sorry by सनातनी_जितेंद्र मन : 111769178

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