शब्द वेदी बाण के ही भांति चुभते है तुम्हारे शब्द।
अगर तुम थोड़ा सा मीठा बोलो तो क्या खूब होगा शब्द।
मेरे हृदय में तुम्हारे शब्द कंकण की तरह भरे है।
जितनी दफा बोलते हो। उतनी दफा कंकण झरते हैं। मोती की जगह पर अब।
ह्रदय झंकृत न होकर वह कोलाहल बन जाता है।
जब भी तुम्हारा शब्द हमको याद आता है।
वो गली से निकलते हुए गाली देकर जाना।
वो तनकर मेरे सदन के सम्मुख आकार ताने मारना।
तुम्हे बता दूं कि ऐसे कटु शब्द एक बहुत कोमल हृदय को ग्रास बना लेते है।
कैंसर तो बदनाम है। बीमारी के लिए।
कटु शब्द काफी है
कटु शब्द काफी है ऐसी तैयारी के लिए।
तुम नही समझोगे दिल के चुभन की कहानियां।
शब्दो से खेलना कोई सरल काम नही।
बड़े बड़े बनाधारी इसके सम्मुख नतमस्तक हैं।
लेकिन तुम्हारी बुद्धि पर कैसे विजय प्राप्त करें।
देखो।
असंख्य उदाहरण है तुम्हारे सामने
कही शकुनी कही मंथरा कहीं संग्राम ने।
शब्द मधुर हो व्यक्ति सद जाता है।
शब्द कटु हो तो व्यक्ति बिखर जाता है।
हे पार्थ
क्षण भर के लिए शब्दो की वेदना के प्रवाहमान धारा को समझो
सब कुछ तो बह रहा है।
किंतु चुनाव हमारे हृदय का है। की उस बहाव में किस प्रकार के शब्दो पर दृष्टि फेरी जाए।
प्रत्येक शब्द में एक भाव है।
आवेश में गाली शब्द का प्रयोग करना
और प्रेम में गाली शब्द का प्रयोग करना।
दोनो का अलग अलग प्रयोजन है।
और परिणाम भी।
अहेतु की कृपा भी शब्दुचरण से ही संभव होती है।
मुख खिलकर खुले तो शब्द झरते हैं।
और मुख फूलकर खुले तो शब्द लड़ते है।
एक बिंदु और एक शब्द दोनो को समझने का प्रयास करना ही पड़ेगा
अन्यथा गलत शब्दो के प्रयोग से अनायास शब्दो के प्रयोग से अमुक व्यक्ति आपका आवेशवश कपाल फोड़ देगा।
मूक जीव को भी शब्दो से ही वशीकृत करना पड़ता है।
तो वह आपके अधर की चाल को समझता है और उसपर अपनी प्रतिक्रिया अपने शरीर के किसी भाग को संकेत देकर करेगा।
हे पार्थ।
तुम कही भी जाना
मंगल ग्रह पर भी।
वहां भी शब्द का प्रयोग बड़े पैमाने पर सरलता से करना।
क्योंकि प्रत्येक शब्द में पृथ्वी से ज्यादा गति होगी उस ग्रह पर।
शब्द नही छोड़ेंगे तुम्हे जिंदगी भर।
परंतु तुम तो महान हो।
तुम क्षोड़ सकते हो शब्दो का चयन करकर।
कौन सा शब्द बुरा है।
और कौन सा शब्द अनायास ही आपकी मुखारविंद को बेधता है।
इस पर कितना सायं रखना है।
हे पार्थ
शब्द तुम्हारे सारथी है।
और उसकी इंद्रिय में सबसे महत्वपूर्ण है जिह्वा।
जिसका उपयोग तुम जीवन भर करोगे।
और इस प्रकार से शब्द वेदी की महिमा का आभास हो जायेगा।

आनंद त्रिपाठी
लेखक।

Hindi Shayri by Anand Tripathi : 111814837

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