हर उस कंकड़ों पर चला हूं बिना सिकन,
जहां आपका दामन बिछा था।

हर उस कांटे के घाव को सह पाया हूं,
जिसे आपने खुद सेहलाया था।

हर उस ठोकर के बाद खड़ा हो पाया हूं,
जहां आपने अपनी गोद में संभाला था।

हर उस जलती धूप में बिना थके चला हूं,
जहां आपने दामन की छांव लगाई थी।

मां बस इतना कहना चाहता हूं की,
मां! आपके बराबर कोई नहीं।

आप ही के आशीर्वाद की बदौलत,
सफलता बिट्टू के कदमों में रहती है।

बस इतना कहना है की,
मां आप बिट्टू को बहोत प्यारी हो,
आप बस बिट्टू का खयाल करती हो,
बिट्टू के लिए उतना काफी है।

पाय लागू ममा !

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Hindi Poem by बिट्टू श्री दार्शनिक : 111826944

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