कोई दुख या परेशानी हो तब,
कोई पूछे कि क्या हुआ?
कोई परेशानी है?
तो उस दुख और परेशानी से आधी राहत
तभी मिलती है, साहब।
इसी तरह हमें दर्द और तकलीफ में
देखकर कोई हमें नजरअंदाज भी करे
तो उस दर्द और तकलीफ को
और बढ़ा देता है साहब।
यही कड़वा और ठोस सच है,
"मीरा" रिश्तों में अब प्यार का असर कहाँ,
रिश्ता तो बस एक बंधन है और कुछ नहीं।
मीरा
-Bhavna Chauhan