खत किए थे साथ में मैने,
बांधे थे तब साथ जो मैने।

टुकड़े थे जो कागज़ के अब,
बने पन्ने किताब मशहूर।

करता हूं में एक गुजारिश,
कर दीयो एक शिफारिश।

पढ़ कर सारे खत रखे जो,
दीजिए उसी का सादप्रति।

आज मांगा कला का भरोसा,
आप गवाह पे है ये भरोसा।

- बिट्टू श्री दार्शनिक
___________ कविता पूर्ण__________

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प्रस्तावना में आपके शब्द की जरूरत है की किताब में हमारा काम कैसा है। उस किताब को बयां करने के लिए। वो अब हिंदी में होने वाली है। आपको जब भी वक्त मिले आप जरूर लिख कर के भेजियेगा।

English Shayri by बिट्टू श्री दार्शनिक : 111863731

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