अब ज़िंदगी के रंग नहीं रहे,

फिर भी उसकी खुशबू मेरे साथ है,

यादें तो हैं बहुत पर वो वक़्त नहीं रहा,

जिसमें उनसे मिलना था, उनके साथ होना

था।

दर्द तो है बहुत पर वो आहट नहीं करते,

कभी कभी आंसुओं को भी सब्र नहीं रहते,

अब तन्हाई ही मेरी साथी है,

जब भी आती है, मुझे उनकी याद सताती है।

दुनिया के रंगों में अब मेरी रूह तन्हा है,

कोई तो जुड़ाव दिखे, कोई साथ होता तो

अच्छा होता।

पर ये ज़िंदगी है, कुछ पल दुःख भरे होते हैं,

मगर उनके बिना ये ज़िंदगी अधूरी होती है।

mkarunesh1111.blogspot.com

Hindi Poem by Karunesh Maurya : 111870167

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