कभी यूँ भी हो तुम करो मेरा इंतजार..
जब भी तेज हवा का झोंका
खोले खिड़की के पट
तुम बरबस देखो उस ओर,
शायद मैं वहाँ तो नहीं...
और मैं....
मैं बहती जाऊं हवाओं संग दूर....बहुत दूर
महसूस करो मिट्टी से उठती,
सौंधी सुगंध में मेरी महक ..और मैं...
मैं दूर किसी उपवन में
एक नन्ही सी कली पर चमकती रहूं बूंद बनकर
और तुम.... तुम जागते रहो मेरे इंतज़ार में
पूरी रात...
जैसे में चाहती थी तुम जागो मेरे संग
पर तुम्हें कहाँ पसंद है जागना !!!
पास आते ही सोने लगते
और मैं... जागने की लालसा लिये
बार-बार आती पास तुम्हारे
अब यूँ हो जागते रहो तुम मेरे लिए!
और मैं.... मैं.....
#priyavachhani #hindikavita

Hindi Poem by Priya Vachhani : 111899042
Shakti Pandya 7 months ago

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