.......#alone .
दो अवस्थाएं।
चाहे शाब्दिक तौर पर ,एक सा लगे मगर ,
उनके अर्थ और मतितार्थ अलग है।
जैसे एकांत और अकेलापन।
अकेलापन आता है,
और एकांत हम चुनते है।
न जाने कितने ही रिश्ते और लोगों से घिरे होते हुए भी,
हमारी मनोभावनिक स्थिति को महसूस तथा उसे प्रवाही करने के लिए कोई न होना यह सबसे अधिक ,
क्लेशदाई भावना का भंडार है।
एकांत हम तब चुनते है ,
जब सभी भावनाओ से परे होने लगते है।
कहने और निभाने में अंतर होता है।

English Thought by Rahul : 111930583

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