मैं और मेरे अह्सास
देश की मिट्टी
देश की मिट्टी की ख़ुशबु घर वापिस परदेशी को ले आएंगीं l
अपनों के प्यार की जुस्तजू घर वापिस परदेशी को ले आएंगीं ll
जहाँ पहचान उस घर, आँगन, गालियाँ, दोस्त वहीं पर आज l
ख्वाबों से निकाल रूबरू घर वापिस परदेशी को ले आएंगीं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह