मोहब्बत के मारे हैं हम
अब बस चाँद सहारे हैं हम
इस दुनिया से तो जीते हैं
एक बंदे से हारे हैं हम
पहले बस दिल ही टूटा था
अब तो टूटे सारे हैं हम
इश्क़ नहीं ख़ुद को भी ख़ुद से
ये कैसे बेचारे है हम
हमको ज़ख्मों से गिला नहीं है
ज़ख्मों ने तो निखारे है हम
टूटते हुए भी चमकते है खूब
आसमान के वो सितारे है हम!!