ना बोले कुछ, ना मांगा कुछ, बस हर दिन साथ चला,
धूप मेरे हिस्से ना आए — वो खुद साया बना चला।
कभी नींद मेरी बेचैन हुई — तो करवटें वो गिनता था,
मैं जब मुस्काता था तो, भीतर ही भीतर वो रोता था।
स्कूल की पहली घंटी से, कॉलेज की आख़िरी मंज़िल तक,
जो हर कदम पे छाया बन, रहा हमेशा फ़ासले रख।
ना ताली बजाई कभी — ना मंच पे आया सामने,
पर हर तालियों के पीछे, उसका ही नाम था छुपे।
पढ़ाई की फीस, किताबों का बोझ — सब अपनी जेब से तौला,
ख़ुद पुराने कपड़े पहने — पर मेरे लिए नया जोड़ा खोला।
मैं जीता रहा ख्वाबों में, वो जीता रहा हकीकत में,
मैं उड़ने लगा ऊँचाई में, वो झुका रहा ज़मीन पे।
बचपन में जब गिर जाता — वो चुपचाप सहारा देता था,
कंधों पर नहीं, सीने पर — सपनों को सहेजा करता था।
ना 'आई लव यू' कभी कहा — ना बाँहों में लिया मुझको,
पर हर 'ना कहे' को भी — प्यार बना दिया उसने खुद को।
अब जब दूर हूँ, बड़ा बन गया, दुनिया में मशहूर हुआ,
पर दिल के कोने में आज भी — उसका साया भरपूर हुआ।
वो अब भी मौन है, पर हर आशीष की जुबां है,
मैं जो कुछ भी हूँ — बस 'पापा की परछाईं' हूँ, यही मेरी पहचान है।
Father's Day Special Song
https://youtu.be/XqZqUhe1t1M
#Father 's Day #PitaKiParchhai