मैं और मेरे अह्सास
हुस्न के आने से सुहानी शाम का मंज़र ख़ुशनुमा हो रहा हैं l
आज जीभर के बातें करेंगे दिल ने दिल
से खुशी से कहा हैं ll
बड़ी बेताबी से इंतजार कर रहे हैं एक
प्यारी मुलाकात का l
अब तो चैन ओ सुकून मिले बरसों जुदाई का बहुत दर्द सहा हैं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह