"सागर से पूछा..."
सागर से पूछा —
क्यों उछला तू?
जहाँ भी रहा,
तेरे चलने से
मेरा साथ क्यों बहा?
किसने भेजा प्यार बनकर
जो बढ़कर उतरा दिल में?
कोई तो चढ़ा सपना —
जो जीवनभर थमा रहा,
बिना थमे, बिना कहे
हर साँस में जमा रहा।
एक आग सी है —
जो दूर कहीं धधकती रही,
पर शायद वही
मेरे भीतर भी जलती रही।
फिर मेरे दरिया में उतरा सावन,
बूंदों की बरसात बनी कविता।
सावन में गरज थी,
सावन में कोई भीगा भी था...
शायद वही — जो कभी गया ही नहीं।
_Mohiniwrites