"बस इतना सा ख्वाब"
(एक सपने के नाम: मेरे दोस्त के लिए)
जहां भी हो तू,
किताबों में खोया,
शब्दों में थका,
फिर भी सपनो से रोशन।
मैं कुछ नहीं कहती,
बस चुपचाप दुआ करती हूं...
कि तेरे पन्ने पर गलतियां कम हो,
और उम्मीदें ज्यादा।
तेरी आखों में नींद हो, पर हौसला बना रहे
और जब तू मुस्कुराए...
तो लगे जैसे कोई सपना
सच होने आया हो।
मैं कोई वादा नही मांगती,
बस इतना चाहती हूं...
कि जब मंजिल तुझे पुकारे
तू थका न हो
तू टूटा न हो
जो तू बनने चला था एक रौशनी।
" तुम्हारा मित्र"
("बस इतना सा ख्वाब")