झिझक इंसान को अंदर से खोखला करती है।
आज हर कोई एक अच्छी जिंदगी और बेहतर भविष्य का सपना देखता है। कुछ लोग केवल सपनों में खोए रहते हैं, जबकि कुछ लोग अपनी सोच को हकीकत में बदल देते हैं। कई बार सोच बड़ी होती है, इरादे मजबूत होते हैं, फिर भी लोग पीछे रह जाते हैं—और दोष किस्मत को देते हैं।
असल में, सबसे बड़ा दुश्मन ‘झिझक’ है।
झिझक का यह अदृश्य पर्दा इंसान को लोगों के बीच खुलकर बोलने और खुद को साबित करने से रोकता है।
यह डर दिल को अंदर से कमजोर कर देता है और सीधा दिमाग़ पर असर डालता है।
नतीजा? सब कुछ सही होते हुए भी हम मंज़िल के पास जाकर ठहर जाते हैं।
सोच ही असली ताकत है।
जिसकी सोच सही दिशा में होती है, वह हर बाधा को पार कर लेता है।
लेकिन अगर सोच की दिशा ही धुंधली हो जाए, तो मंज़िल दूर ही रह जाती है।
जीवन में किसी मुकाम तक पहुँचना है, तो सबसे पहले मन और दिमाग़ का संतुलन जरूरी है।
अन्यथा आसान काम भी कठिन लगने लगते हैं।
याद रखिए – किसी विचार को उतनी ही जगह दें, जितनी वह आपके लिए उपयोगी है।
— धीरेन्द्र सिंह बिष्ट | लेखक: फ़ोकटिया
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