आग आग में मिले तो क्या होगा
राख होगा, जमाना भला क्या होगा
पता मालूम नहीं, पता पूछनेवालों का
पता मिल भी गया तो क्या पता होगा
अगर सुलग उठी चिंगारी कुछ इस कदर बारिशों में
हाँ, मगर बारिशों के पानी का हाल क्या होगा
मैं तेरे शहर में अजनबी था शायद
रात रुक जाता तो तेरा क्या होता
अब के सफ़र, हमसफ़र पे क्या बात करता अवधूत
ख़ाक होने बाद क्या तू फिर आग होता
_अवधूत सूर्यवंशी