गा रहै मीठे राग, हरि नाम की झंकार,
वीडियो पर बज रहा संग, हो रही जय-जयकार।
कण्ठ में तुलसी की माला, मुख पर मधुर मुस्कान,
पर क्या सच में बसता है उसमें कृष्ण का नाम?कितनी बार मीरा ने, चित्र बनाए अपने प्रेम के?
कब रैदास ने वीडियो भेजा भगवन के भेजे मेल पे?धर्म चुपचाप होता है।
जो बाएं हाथ से दिया जाए, दाएं हाथ को पता भी न चले — यही वास्तविक दान है।
भक्ति तो बहती नयन से, बिना किसी मंच के,
वो तो झुकी रहती चरणों में, बिना किसी कंचन के।
न वह कैमरे से डरती, न वाहवाही को चाहे,
वो तो बस ईश्वर को, अपने भीतर पाये।