बहना ---
जीवन मे आया भईया
जीवन का मान बनके
चाहत कि जिंदगी का
विश्वास आस बनके!!
भाई बहन के प्रेम
को है वंदन भईया कि है
कलाई कच्चे धागे का है
ऐ बंधन सम्बन्ध कि
सच्चाई गंगा कि धारा
जैसे!!
उदय उदित है भईया
बहना का गहना जैसे
भईया कि सांस धड़कन
रहती प्राण बनके!!
भईया का पथ जीवन
गान बहना कि ख़ुशी जैसे
बहना के दामन मे चाहत
कि ख़ुशी बरसे हर बूंद मोती
बहना कि नाज़ बनके!!
बहना का आशीर्वाद
भईया का कवच जैसे
शिव शक्ति मृत्युजय पल
प्रहर साथ बनके!!
भाई बहन के प्रेम का
वंदन धड़कन धागो का
पावन बंधन जीवन मे है
रहता जीवन महत्व बनके!!
बहना संग लड़ना
झगड़ना बचपन कि
शरारत रोना हसना
माँ से शिकायत माँ
कि फटकार सुनना
कट्टी मिल्ली हो जैसे
आंसू मुस्कान बनके!!
बचपन ऐसे बीता
झपकते पलक जैसे
बाबुल घर छूटा बहना
हुई पराई भईया को
नही विसारा नयनों
हृदय मे बसती लोर
नीर बनके!!
रक्षा बंधन को
दौड़े आती
हुई नही कभी
जुदाई पराई जैसे
भाईया कि प्यारी
बहना जीवन सत्कार
श्रृंगार बनके!!
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश!!