मेरे नवीनतम बाल उपन्यास 'उन्मुक्त उड़ान' से उद्धृत, बच्चों द्वारा गाया गया एक समूह गान :-
भारत' माँ के बच्चे हैं
इरादे हमारे पक्के हैं
झुकने ना देंगे शीश
हम अपने वतन का
देशभक्त हम सच्चे हैं।
गणतंत्र दिवस आम नहीं
यह तो एक परम पर्व है
देश के वीरों की धरोहर
जिस पर हमको गर्व है।
भारत माँ के बच्चे हैं
इरादे हमारे पक्के हैं......
तोड़कर दासता की जंजीरें
लोकराज्य हमने है बनाया
तड़ीपार किया है उनको
जिन्होंने हमें बहुत सताया।
भारत माँ के बच्चे हैं
इरादे हमारे पक्के हैं......
अब अपनी है सरकार
अपने नियम और कानून
नहीं बंदिश अब गैरों की
देशप्रेमका है हमें जुनून।
भारत माँ के बच्चे हैं
इरादे हमारे पक्के है
झुकने ना देंगे शीश
हम अपने वतन का
देशभक्त हम सच्चे हैं।'