अर्ज़ किया है,
ग़ज़ब का तूने रुलाया ऐ ज़िंदगी,
मलाल तनिक भी ना है।
उसने हँसकर कहा—
मैं ज़िंदगी हूँ पगली,
रुलाया नहीं, सबक सिखाया है।
अभी तो तमाम स्टेप से
तुझे तोड़ कर जोड़ा है मैंने,
हर चोट में छुपा
तेरा ही नया चेहरा गढ़ा है मैंने।
मत समझ कि तू हार गई,
मत सोच कि तू थक गई—
ये आँसू ही तो हैं
जो तुझमें हिम्मत बनकर ढल गए।
मैं तुझे गिराती भी हूँ,
मैं तुझे उठाती भी हूँ,
तोड़कर ही निखारती हूँ,
तुझें खामोशी में सिखाती भी हूँ।
याद रख…
मैं रुलाती हूँ, मगर साथ ही
तेरी रगों में उम्मीद भी भर जाती हूँ।