लोग ढूंढ़ते हैं मुझे
मैं सामने ही हूं फिर भी लोग ढूंढ़ते हैं मुझे,
अपने सवालों के बीच कहीं भूलते हैं मुझे।
राहों में चलता हूं, पर परछाई-सा दिखता हूं,
हर दिल की धड़कन में हूं, फिर भी अनसुना दिखता हूं।
चेहरों के मेले में सच छिप सा जाता है,
आईना बनकर भी कोई पहचान न पाता है।
ढूंढ़ोगे जहां जहां, वहीं मिल जाऊंगा मैं,
सांसों की लय में, गीत बन गाऊंगा मैं।
फिर भी लोग ढूंढ़ते हैं मुझे