🦋...𝕊𝕦ℕ𝕠 ┤_★__
अजीब ज़िद है मेरी ख़ुद को ही
आज़माने की,
ज़रूरत ही न छोड़ी मैंने, किसी
और के सताने की,
वो ढूँढते रहे मुझमें शिकस्त का
कोई और निशान,
मैंने सरे- आम रस्म कर दी
जशन-ए-हार मनाने की,
अदब से पूछा था किसी ने मेरे
ज़ख्मों का हाल,
मैंने हँस के कह दिया आदत है
मुस्कुराने की…🔥
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♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
#LoVeAaShiQ_SinGh ☜
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